लखनऊ : कभी बैंककर्मी या सरकारी विभाग के अधिकारी बन कर तो कभी आपका रिश्तेदार या दोस्त बनकर साइबर जालसाज रोजाना लाखों लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं ये जालसाज एक झटके में आपके खाते से जीवन भर की पूंजी निकाल लेते हैं. इतना ही नहीं, जानकारी के अभाव में पीड़ित भी इधर-उधर हाथ मारता है और जब तक वह सहायता के लिए पुलिस तक पहुंचता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. कम ही लोगों को यह पता होगा कि यदि समय से आप साइबर पुलिस के पास पहुंचते हैं तो महज 72 घंटों में ही आप अपना पैसा वापस पा सकते हैं. ये कैसे संभव होगा ईटीवी भारत आपको बताता है.
एनी डेस्क एप्लिकेशन डाउनलोड करा लगाई थी चपत, ऐसे वापस मिली रकम
राजधानी के रहने वाले अमित कुमार ने 6 अक्टूबर को साइबर सेल से शिकायत की थी कि एनी डेस्क नाम की एप्लिकेशन डाउनलोड करा उनके खाते से 44,348 रुपए निकाल लिए गए. साइबर सेल ने तत्काल कार्रवाई शुरू की और 9 अक्टूबर को पीड़ित अमित कुमार को उनके ठगे गए पैसे वापस दिला दिए. 3 नवंबर को राजधानी के रहने वाले अतीक खान ने साइबर सेल को सूचना दी कि ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर साइबर जालसाजों ने उनसे एक लाख रुपये की ठगी कर ली है. अतीक ने ठगी से जुड़े सभी दस्तावेज साइबर पुलिस को दे दिए.साइबर सेल के प्रभारी सतीश साहू ने तुरंत संबंधित बैंकों से संपर्क किया. जालसाजों की बैंक डिटेल निकाली और तीसरे दिन यानी 5 नवम्बर को अतीक के पूरे एक लाख रुपये वापस दिला दिए.
क्या करना होगा 72 घंटे में पैसे वापस पाने के लिए
जागरूकता की कमी से भले ही अमित कुमार और अतीक खान ठगे गए हों, लेकिन उसके बाद उनकी जानकारियों ने उनके पैसे वापस दिलाने में जरूर मदद की है. ऐसे में यदि आप स्मार्टफोन चलाते हैं, डिजिटल ट्रांजेक्शन करते हैं तो कभी न कभी साइबर जालसाज आप तक जरूर पहुंचेंगे और ठगी करने की कोशिश करेंगे. ऐसे में यदि आप ठगी का शिकार होते हैं तो अमित और अतीक जैसे ही कदम उठाएं, आपको आपका पूरे रिफंड मिल जायेगा।
बिना देर किए 1930 पर करें कॉल
यदि आप साइबर ठगी का शिकार होते हैं तो सबसे पहले आपको बिना देर किए साइबर हेल्पलाइन 1930 नंबर पर कॉल करनी होगी. यह गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल का सेंट्रलाइज नंबर है. इस पर कॉल कर आपको ठगी से जुड़े पूरी डिटेल बतानी होगी। इसके अलावा गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in पर भी कंप्लेंट कर सकते है. जिससे ठगे गए पैसे वापस मिलने में आसानी होगी.
अपने बैंक से करें संपर्क, कॉर्ड को ब्लॉक कराएं
1930 पर शिकायत करने के बाद तुरंत आप अपने बैंक से संपर्क करें. अपने खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करवाएं. इससे जब साइबर जालसाज एक बार ठगी करने के बाद दोबारा पैसा निकालने की कोशिश करेगा तो आपके पैसे बच सकते हैं. इसके बाद आप तुरंत अपने निकटम थाने या साइबर सेल में पहुंचें. यहां आपको शिकायत दर्ज करानी होगी, शिकायत दर्ज कराते समय बैंक पासबुक कॉपी, आईडी और एड्रेस प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में देनी होगी.
दो से तीन घंटे के अंदर ही पुलिस को दें सूचना
यूपी पुलिस के साइबर सलाहकार राहुल मिश्रा कहते हैं कि साइबर ठगी होने के बाद यदि आप 1930 को कॉल करने से लेकर बैंक व पुलिस को अगले दो से तीन घंटे में सूचना दे देते हैं तो समझिए कि आपको पैसे वापस मिलने की सम्भावना प्रबल है. क्योंकि समय से सूचना मिलने पर साइबर पुलिस अपनी कार्रवाई जल्दी शुरू कर देती है और उन्हें समय मिल जाता है जालसाजों को ट्रेस करने का. लखनऊ साइबर सेल प्रभारी सतीश साहू बताते हैं कि जब हमारे पास पीड़ित शिकायत लेकर आता है तो हम यह देखते हैं कि जो ठगी UPI या डेबिट और क्रेडिट कार्ड से हुई है, उसका पैसा किन खातों में गया है. साइबर ठग शातिर होते हैं, ऐसे में वे ठगी गई रकम को कई अकाउंट में कुछ ही देर में ट्रांसफर करते रहते हैं. ऐसे में उनके खातों को ट्रेस करने में थोड़ा समय जरूर लग जाता है लेकिन हम उन्हें ट्रेस कर बैंक अधिकारियों से बात कर उसे फ्रीज करवाते हैं
एक से दूसरे खाते में रकम ट्रांसफर करते रहते हैं ठग
इंस्पेक्टर सतीश साहू कहते हैं कि साइबर ठगी होने के बाद से से हम तक सूचना पहुंचना बहुत आवश्यक है. क्योंकि साइबर जालसाज ठगी गई रकम को अधिक देर के लिए खातों में नही रखते हैं. वे कई खातों से ट्रांसफर करते हुए आखिर में उसे निकाल लेते हैं. ऐसे में यदि समय से सूचना मिल जाए तो हमारी टीम समय से जालसाजों के बैंक खातों की डिटेल निकाल पाती है फिर उन्हें स्टडी कर बैंक के अधिकारियों से संपर्क कर महज 72 घंटों में पीड़ित के पैसे वापस दिला सकते हैं.
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