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जनसंख्या नीति लागू हुई तो भाजपा के आधे विधायक हो जाएंगे अयोग्य, नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

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Published : Jul 15, 2021, 4:37 PM IST

आंकड़ों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के 152 विधायक ऐसे हैं जिनके दो से अधिक बच्चे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नीति अगर इन्हीं प्रावधानों के साथ उत्तर प्रदेश में लागू होती है तो यह सभी 152 विधायक चुनाव लड़ने से वंचित रह जाएंगे.

जनसंख्या नीति लागू हुई तो भाजपा के आधे विधायक हो जाएंगे अयोग्य
जनसंख्या नीति लागू हुई तो भाजपा के आधे विधायक हो जाएंगे अयोग्य

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट जारी किया है. इसमें एक महत्वपूर्ण प्रावधान किया गया है जिसमें जिन लोगों के दो से अधिक संतानें होंगी, वह चुनावों के लिए अयोग्य होंगे. माना जा रहा है कि यदि इन्हीं प्रावधानों के साथ जनसंख्या नीति उत्तर प्रदेश में लागू होती है तो इस नीति को लागू करने वाली उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के करीब 150 विधायक अयोग्य हो जाएंगे. वह लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

जनसंख्या नीति लागू हुई तो भाजपा के आधे विधायक हो जाएंगे अयोग्य
भाजपा सरकार ने लिया ऐतिहासिक फैसला

राज्य सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण पर जो ऐतिहासिक फैसला लिया है, उसकी कई स्तरों पर सराहना हो रही है. हालांकि कुछ राजनीतिक दल इसे लेकर सवाल भी उठा रहे हैं. वे इसे वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं. हालांकि प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी इस नीति को लेकर चुप्पी साधे है. पार्टी के नेता न तो नीति का समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध. उन्हें इस पर कुछ भी बोलने और न बोलने को लेकर नफा नुकसान की चिंता सता रही है.


भाजपा के 152 विधायक जिनके दो से अधिक बच्चे

आंकड़ों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के 152 विधायक ऐसे हैं जिनके दो से अधिक बच्चे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नीति अगर इन्हीं प्रावधानों के साथ उत्तर प्रदेश में लागू होती है तो यह सभी 152 विधायक चुनाव लड़ने से वंचित रह जाएंगे. चुनाव लड़ने को लेकर आयोग्य घोषित हो जाएंगे. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को एक सियासी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. हालांकि पार्टी ने तमाम स्तरों पर विचार करके ही इस जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट को जारी किया है. यह भाजपा सरकार का जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक साहसिक फैसला माना जा रहा है जिसे लेकर अब तक मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है.


भाजपा प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण एक बड़ी समस्या है. इसे व्यवस्थित करने को लेकर सरकार ने जनसंख्या नीति लाने को लेकर एक ड्राफ्ट जारी किया है. इसमें जो प्रावधान हैं, उनको लेकर सुझाव भी मांगे गए हैं. जब जनसंख्या नीति पूरी तरह लागू होगी, तभी इस पर कोई कमेंट किया जा सकता है. प्रावधानों के अनुसार जो चीजें हैं, वह सबके सामने हैं.

वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि बढ़ती जनसंख्या इस समय देश की एक बड़ी समस्या है. इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ने एक बड़ी पहल की है. नई नीति बनाई है. हम सबको इसका समर्थन करना चाहिए. भारत के संसाधन सीमित हैं, ऐसे में बढ़ती जनसंख्या परेशानी का सबब बन सकती है. कहा कि जनप्रतिनिधियों को आगे आकर इस फैसले का समर्थन करना चाहिए. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर वोट बैंक की राजनिति से सभी को बचना चाहिए.

जनसंख्या नीति में ये हैं कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान

  • मुख्य रूप से इस जनसंख्या नीति में 2 से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकाय व अन्य चुनाव लड़ने पर रोक लगाए जाने का प्रावधान रखा गया है.
  • इसी प्रकार दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का जिक्र इस जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में शामिल किया गया है.
  • इसके अनुसार दो से अधिक बच्चे होने पर एक तरफ जहां सरकारी नौकरियों में आवेदन और पदोन्नति का मौका नहीं मिलेगा.
  • 2 से अधिक बच्चे होने वालों को राज्य सरकार की 70 से अधिक सरकारी योजनाओं व अनुदान से भी वंचित रखा जाएगा.
  • स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव लड़ने वाले जनप्रतिनिधियों को यह शपथ पत्र देना होगा कि वह इसका उल्लंघन नहीं करेंगे 2 बच्चे से अधिक होने पर उन्हें स्थानीय निकाय या पंचायत चुनाव में शामिल नहीं किया जा सकेगा.

ये हैं प्रावधान

  • जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति और बर्खास्त किए जाने तक की भी सिफारिश का प्रस्ताव शामिल है.
  • नई जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में नसबंदी करवाने और इंक्रीमेंट तथा प्रमोशन का लाभ भी दिए जाने की बात कही गई है.
  • परिवार का मुखिया यदि सरकारी नौकरी में है और अपनी नसबंदी करवाता है तो उसे अतिरिक्त इंक्रीमेंट, पदोन्नति, सरकारी आवास योजनाओं में छूट, पीएफ में एंपलॉयर कंट्रीब्यूशन जैसी कई सुविधाएं देने की सिफारिश की गई है.
  • जिन परिवारों में मुखिया के सिर्फ दो बच्चे हैं और वह सरकारी नौकरी में नहीं है तो उन्हें बिजली, पानी, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का भी जनसंख्या नीति में प्रावधान किया गया है.
  • एक संतान पर खुद से नसबंदी कराने वाले अभिभावकों को संतान के 20 वर्ष तक मुफ्त इलाज, फ्री-शिक्षा, बीमा, शिक्षण संस्था व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है.
  • सरकारी नौकरी वाले दंपत्ति को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का भी सुझाव शामिल किया गया है. अगर दंपत्ति गरीबी रेखा के नीचे हैं और उनके एक संतान ही है और वह नसबंदी करवाते हैं तो उनके बेटे के लिए ₹80 हजार और बेटी के लिए ₹1 लाख एकमुश्त देने का भी प्रावधान है.

यह भी पढ़ें : UP Board: कक्षा 9 के 27 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं का पेपर पैटर्न बदला, जानें कैसे पूछे जाएंगे सवाल

कानून के उल्लंघन पर कई कड़े प्रावधान भी

  • जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में कहा गया है कि एक वर्ष में सभी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, स्थानीय निकाय में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को शपथ पत्र देना होगा कि वह इस नियम का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं. अगर उल्लंघन करते हैं तो वे योजना के पात्र नहीं होंगे.
  • मुख्य रूप से सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति रोकना की सिफारिश की गयी है. हालांकि यह कानून लागू होते समय गर्भवती होना या दूसरे गर्भ में जुड़वा बच्चे होने पर यह कानून लागू नहीं होगा.
  • अगर किसी का पहला, दूसरा या दोनों बच्चे नि:शक्त हैं तो उसे भी तीसरी संतान पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकेगा.
  • इसके अलावा तीसरे बच्चे को गोद लेने पर भी रोक लगाए जाने का इस ड्राफ्ट के अंतर्गत प्रावधान किया गया है.
  • एक जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट के अंतर्गत बहुविवाह पर भी नियम बनाया गया है.
  • ड्राफ्ट के अनुसार धार्मिक या पर्सनल लाॅ के तहत एक से अधिक शादी करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान होंगे.
  • अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक विवाह करता है और सभी पत्नियों से मिलाकर उसके दो से अधिक संतान हैं तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा.
  • अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिला कर दो से अधिक बच्चे होते हैं तो भी उसे सुविधाएं नहीं मिलेंगी.


दो से अधिक संस्थान होने पर इस तरह की कटौती का प्रावधान

  • योगी सरकार के नई जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में दो से अधिक संतान होने पर इस तरह की कटौती का भी प्रावधान किया गया है जिसमें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा.
  • राशन कार्ड में 4 से अधिक सदस्य नहीं बनाए जाने का प्रावधान शामिल किया गया है.
  • स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव न लड़ने का प्रावधान भी किया गया है.
  • इसी तरह सरकारी नौकरियों में भी मौका न दिए जाने की बात इस जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में कही गई है.


यूपी में जनसंख्या की स्थिति

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार करीब 20 करोड़ आबादी थी. वर्तमान में उत्तर प्रदेश की अनुमानित जनसंख्या लगभग 24 करोड़ मानी जा रही है. धर्म के आधार पर 2011 में उत्तर प्रदेश में हिंदुओं की आबादी करीब 16 करोड़ बताई गई है. यह कुल आबादी का करीब 80 फ़ीसदी है.

वहीं, मुसलमानों की आबादी की बात करें तो करीब चार करोड़ के आसपास बताई जा रही है. ईसाइयों की संख्या करीब 4 लाख, सिख समुदाय के लोगों की संख्या करीब साढ़े छह लाख और जैन समुदाय की जनसंख्या करीब 2 लाख 30 हजार के आसपास बताई जा रही है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट जारी किया है. इसमें एक महत्वपूर्ण प्रावधान किया गया है जिसमें जिन लोगों के दो से अधिक संतानें होंगी, वह चुनावों के लिए अयोग्य होंगे. माना जा रहा है कि यदि इन्हीं प्रावधानों के साथ जनसंख्या नीति उत्तर प्रदेश में लागू होती है तो इस नीति को लागू करने वाली उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के करीब 150 विधायक अयोग्य हो जाएंगे. वह लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

जनसंख्या नीति लागू हुई तो भाजपा के आधे विधायक हो जाएंगे अयोग्य
भाजपा सरकार ने लिया ऐतिहासिक फैसला

राज्य सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण पर जो ऐतिहासिक फैसला लिया है, उसकी कई स्तरों पर सराहना हो रही है. हालांकि कुछ राजनीतिक दल इसे लेकर सवाल भी उठा रहे हैं. वे इसे वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं. हालांकि प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी इस नीति को लेकर चुप्पी साधे है. पार्टी के नेता न तो नीति का समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध. उन्हें इस पर कुछ भी बोलने और न बोलने को लेकर नफा नुकसान की चिंता सता रही है.


भाजपा के 152 विधायक जिनके दो से अधिक बच्चे

आंकड़ों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के 152 विधायक ऐसे हैं जिनके दो से अधिक बच्चे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नीति अगर इन्हीं प्रावधानों के साथ उत्तर प्रदेश में लागू होती है तो यह सभी 152 विधायक चुनाव लड़ने से वंचित रह जाएंगे. चुनाव लड़ने को लेकर आयोग्य घोषित हो जाएंगे. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को एक सियासी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. हालांकि पार्टी ने तमाम स्तरों पर विचार करके ही इस जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट को जारी किया है. यह भाजपा सरकार का जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक साहसिक फैसला माना जा रहा है जिसे लेकर अब तक मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है.


भाजपा प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण एक बड़ी समस्या है. इसे व्यवस्थित करने को लेकर सरकार ने जनसंख्या नीति लाने को लेकर एक ड्राफ्ट जारी किया है. इसमें जो प्रावधान हैं, उनको लेकर सुझाव भी मांगे गए हैं. जब जनसंख्या नीति पूरी तरह लागू होगी, तभी इस पर कोई कमेंट किया जा सकता है. प्रावधानों के अनुसार जो चीजें हैं, वह सबके सामने हैं.

वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि बढ़ती जनसंख्या इस समय देश की एक बड़ी समस्या है. इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ने एक बड़ी पहल की है. नई नीति बनाई है. हम सबको इसका समर्थन करना चाहिए. भारत के संसाधन सीमित हैं, ऐसे में बढ़ती जनसंख्या परेशानी का सबब बन सकती है. कहा कि जनप्रतिनिधियों को आगे आकर इस फैसले का समर्थन करना चाहिए. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर वोट बैंक की राजनिति से सभी को बचना चाहिए.

जनसंख्या नीति में ये हैं कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान

  • मुख्य रूप से इस जनसंख्या नीति में 2 से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकाय व अन्य चुनाव लड़ने पर रोक लगाए जाने का प्रावधान रखा गया है.
  • इसी प्रकार दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का जिक्र इस जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में शामिल किया गया है.
  • इसके अनुसार दो से अधिक बच्चे होने पर एक तरफ जहां सरकारी नौकरियों में आवेदन और पदोन्नति का मौका नहीं मिलेगा.
  • 2 से अधिक बच्चे होने वालों को राज्य सरकार की 70 से अधिक सरकारी योजनाओं व अनुदान से भी वंचित रखा जाएगा.
  • स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव लड़ने वाले जनप्रतिनिधियों को यह शपथ पत्र देना होगा कि वह इसका उल्लंघन नहीं करेंगे 2 बच्चे से अधिक होने पर उन्हें स्थानीय निकाय या पंचायत चुनाव में शामिल नहीं किया जा सकेगा.

ये हैं प्रावधान

  • जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति और बर्खास्त किए जाने तक की भी सिफारिश का प्रस्ताव शामिल है.
  • नई जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में नसबंदी करवाने और इंक्रीमेंट तथा प्रमोशन का लाभ भी दिए जाने की बात कही गई है.
  • परिवार का मुखिया यदि सरकारी नौकरी में है और अपनी नसबंदी करवाता है तो उसे अतिरिक्त इंक्रीमेंट, पदोन्नति, सरकारी आवास योजनाओं में छूट, पीएफ में एंपलॉयर कंट्रीब्यूशन जैसी कई सुविधाएं देने की सिफारिश की गई है.
  • जिन परिवारों में मुखिया के सिर्फ दो बच्चे हैं और वह सरकारी नौकरी में नहीं है तो उन्हें बिजली, पानी, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का भी जनसंख्या नीति में प्रावधान किया गया है.
  • एक संतान पर खुद से नसबंदी कराने वाले अभिभावकों को संतान के 20 वर्ष तक मुफ्त इलाज, फ्री-शिक्षा, बीमा, शिक्षण संस्था व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है.
  • सरकारी नौकरी वाले दंपत्ति को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का भी सुझाव शामिल किया गया है. अगर दंपत्ति गरीबी रेखा के नीचे हैं और उनके एक संतान ही है और वह नसबंदी करवाते हैं तो उनके बेटे के लिए ₹80 हजार और बेटी के लिए ₹1 लाख एकमुश्त देने का भी प्रावधान है.

यह भी पढ़ें : UP Board: कक्षा 9 के 27 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं का पेपर पैटर्न बदला, जानें कैसे पूछे जाएंगे सवाल

कानून के उल्लंघन पर कई कड़े प्रावधान भी

  • जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में कहा गया है कि एक वर्ष में सभी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, स्थानीय निकाय में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को शपथ पत्र देना होगा कि वह इस नियम का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं. अगर उल्लंघन करते हैं तो वे योजना के पात्र नहीं होंगे.
  • मुख्य रूप से सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति रोकना की सिफारिश की गयी है. हालांकि यह कानून लागू होते समय गर्भवती होना या दूसरे गर्भ में जुड़वा बच्चे होने पर यह कानून लागू नहीं होगा.
  • अगर किसी का पहला, दूसरा या दोनों बच्चे नि:शक्त हैं तो उसे भी तीसरी संतान पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकेगा.
  • इसके अलावा तीसरे बच्चे को गोद लेने पर भी रोक लगाए जाने का इस ड्राफ्ट के अंतर्गत प्रावधान किया गया है.
  • एक जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट के अंतर्गत बहुविवाह पर भी नियम बनाया गया है.
  • ड्राफ्ट के अनुसार धार्मिक या पर्सनल लाॅ के तहत एक से अधिक शादी करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान होंगे.
  • अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक विवाह करता है और सभी पत्नियों से मिलाकर उसके दो से अधिक संतान हैं तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा.
  • अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिला कर दो से अधिक बच्चे होते हैं तो भी उसे सुविधाएं नहीं मिलेंगी.


दो से अधिक संस्थान होने पर इस तरह की कटौती का प्रावधान

  • योगी सरकार के नई जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में दो से अधिक संतान होने पर इस तरह की कटौती का भी प्रावधान किया गया है जिसमें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा.
  • राशन कार्ड में 4 से अधिक सदस्य नहीं बनाए जाने का प्रावधान शामिल किया गया है.
  • स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव न लड़ने का प्रावधान भी किया गया है.
  • इसी तरह सरकारी नौकरियों में भी मौका न दिए जाने की बात इस जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट में कही गई है.


यूपी में जनसंख्या की स्थिति

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार करीब 20 करोड़ आबादी थी. वर्तमान में उत्तर प्रदेश की अनुमानित जनसंख्या लगभग 24 करोड़ मानी जा रही है. धर्म के आधार पर 2011 में उत्तर प्रदेश में हिंदुओं की आबादी करीब 16 करोड़ बताई गई है. यह कुल आबादी का करीब 80 फ़ीसदी है.

वहीं, मुसलमानों की आबादी की बात करें तो करीब चार करोड़ के आसपास बताई जा रही है. ईसाइयों की संख्या करीब 4 लाख, सिख समुदाय के लोगों की संख्या करीब साढ़े छह लाख और जैन समुदाय की जनसंख्या करीब 2 लाख 30 हजार के आसपास बताई जा रही है.

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