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साइकिल से उतरे आजम तो मुसलमान भी हो सकते हैं सपा से दूर

इन दिनों सपा के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे आजम खान पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं. उनकी सपा छोड़ने की अटकलें लगाईं जा रहीं हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो अखिलेश यादव को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ जाएगा.

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Published : Apr 14, 2022, 3:33 PM IST

सपा की साइकिल से उतरे आजम तो मुसलमान भी हो सकते हैं सपा से दूर
सपा की साइकिल से उतरे आजम तो मुसलमान भी हो सकते हैं सपा से दूर

लखनऊः पिछले कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी के मुख्य मुस्लिम चेहरे आजम खान के समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं. जानकार कहते हैं कि अगर आजम खान समाजवादी पार्टी की साइकिल से उतर गए तो मुस्लिम समाज समाजवादी पार्टी से काफी दूर हो जाएगा. ऐसे में अखिलेश यादव को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है. कई मामलों में आरोपित होने की वजह से आजम खान पिछले काफी समय से जेल में बंद है. आजम के करीबी समर्थकों को लग रहा है कि उन्हें जेल से बाहर निकालने में अखिलेश यादव उचित भूमिका का निर्वहन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में अब आजम के समर्थक सपा से दूर होने के संकेत दे रहे हैं.

दरअसल, विधानसभा चुनाव 2022 के टिकट बंटवारे के दौरान आजम खान की टिकटों के बंटवारे में सिफारिश न चलने की बात उनके समर्थकों की तरफ से कही जा रही है. कहा जा रहा है कि रामपुर के आसपास मुस्लिम बहुल तमाम सीटों पर आजम खान ने जिन नामों को प्रस्तावित किया था उन्हें टिकट ही नहीं दिए गए. इसके अलावा तमाम कारण हैं जिसको लेकर आजम खान की नाराजगी बताई जा रही है.

यह बोले राजनीतिक विश्लेषक.


यही नहीं जब आजम खान कई मामलों में जेल भेजे गए थे तो उसके बाद से अखिलेश यादव की तरफ से सरकार पर दबाव बनाने की भी कोशिश नहीं की गई. आजम खान समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे हैं. वह मुलायम सिंह के भी काफी करीब हैं लेकिन आजम के समर्थकों का कहना है कि जिस प्रकार से अखिलेश यादव को उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए था और उनके लिए सरकार पर दबाव बनाकर जेल से बाहर लाने के लिए काम करने की जरूरत थी, आंदोलन करने की जरूरत है, वह सब अखिलेश यादव ने नहीं किया. ऐसे में अखिलेश को लेकर नाराजगी बढ़ने लगी है.

सूत्रों का कहना है कि आजम खान भले ही जेल में है लेकिन उनके इशारों पर ही उनके समर्थकों की तरफ से पिछले दिनों नाराजगी जताई गई थी और अखिलेश यादव पर तमाम तरह के सवाल खड़े किए गए थे. इसके बाद अब लग रहा है आजम खान समाजवादी पार्टी से दूर हो सकते हैं. जानकारों का कहना है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह अखिलेश यादव से नाराज हैं और वह भी अपना सियासी ठिकाना बदल सकते हैं. इससे सपा को बड़ा नुकसान हो सकता है. कहा जा रहा है कि आजम और शिवपाल के बीच टेलीफोन के माध्यम से कुछ बातचीत भी हुई है और आने वाले दिनों में यह तस्वीर साफ हो जाएगी.

यह भी कहा जा रहा है कि अगर आजम खान ने समाजवादी पार्टी को छोड़ने का फैसला कर लिया तो इससे मुसलमानों के प्रति भी संदेश ठीक नहीं जाएगा और इससे वे समाजवादी पार्टी से भी दूर हो सकते हैं. इसका खामियाजा सपा को भुगतना पड़ सकता है. यादव मुस्लिम समीकरण पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने वाली समाजवादी पार्टी के साथ अगर आजम के जाने के बाद मुस्लिम समाज के तमाम अन्य नेता धीरे-धीरे साथ छोड़कर जाएंगे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव आजम खान को लेकर आने वाले दिनों में सरकार पर दबाव बनाकर उन्हें बाहर रिहा करा पाते हैं या फिर आजम खान सपा से नाता खत्म कर लेंगे.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि सपा नेतृत्व से शिवपाल यादव की नाराजगी के बाद अब आजम खान सहित कई मुस्लिम नेताओं का दर्द भी छलकने लगा है. ये सभी नेता सपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इन्होंने मेहनत की थी. इस कारण ये लोग मुलायम को भी बहुत प्रिय रहे हैं.

मतदाताओं ने बसपा कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया था. सपा को शक्तिशाली विपक्ष की भूमिका निभाने का जनादेश मिला. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी लोकसभा सदस्यता से त्यागपत्र दिया. विधानसभा में वह नेता प्रतिपक्ष बने किंतु सरकार पर दबाब बनाने की बात तो दूर, सपा इस समय आंतरिक दवाब का सामना कर रही है. इसकी शुरुआत शिवपाल यादव के प्रति व्यवहार से हुई. अखिलेश ने चुनाव के पहले उनके सम्मान का वादा किया था लेकिन चुनाव बाद अखिलेश अपनी बात से पलट गए. शिवपाल को विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया. इससे अखिलेश के समक्ष ही विश्वसनीयता का संकट पैदा हो गया है. शिवपाल के बाद अब आजम की नाराजगी मुलायम सिंह को विचलित कर सकती है.

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लखनऊः पिछले कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी के मुख्य मुस्लिम चेहरे आजम खान के समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं. जानकार कहते हैं कि अगर आजम खान समाजवादी पार्टी की साइकिल से उतर गए तो मुस्लिम समाज समाजवादी पार्टी से काफी दूर हो जाएगा. ऐसे में अखिलेश यादव को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है. कई मामलों में आरोपित होने की वजह से आजम खान पिछले काफी समय से जेल में बंद है. आजम के करीबी समर्थकों को लग रहा है कि उन्हें जेल से बाहर निकालने में अखिलेश यादव उचित भूमिका का निर्वहन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में अब आजम के समर्थक सपा से दूर होने के संकेत दे रहे हैं.

दरअसल, विधानसभा चुनाव 2022 के टिकट बंटवारे के दौरान आजम खान की टिकटों के बंटवारे में सिफारिश न चलने की बात उनके समर्थकों की तरफ से कही जा रही है. कहा जा रहा है कि रामपुर के आसपास मुस्लिम बहुल तमाम सीटों पर आजम खान ने जिन नामों को प्रस्तावित किया था उन्हें टिकट ही नहीं दिए गए. इसके अलावा तमाम कारण हैं जिसको लेकर आजम खान की नाराजगी बताई जा रही है.

यह बोले राजनीतिक विश्लेषक.


यही नहीं जब आजम खान कई मामलों में जेल भेजे गए थे तो उसके बाद से अखिलेश यादव की तरफ से सरकार पर दबाव बनाने की भी कोशिश नहीं की गई. आजम खान समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे हैं. वह मुलायम सिंह के भी काफी करीब हैं लेकिन आजम के समर्थकों का कहना है कि जिस प्रकार से अखिलेश यादव को उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए था और उनके लिए सरकार पर दबाव बनाकर जेल से बाहर लाने के लिए काम करने की जरूरत थी, आंदोलन करने की जरूरत है, वह सब अखिलेश यादव ने नहीं किया. ऐसे में अखिलेश को लेकर नाराजगी बढ़ने लगी है.

सूत्रों का कहना है कि आजम खान भले ही जेल में है लेकिन उनके इशारों पर ही उनके समर्थकों की तरफ से पिछले दिनों नाराजगी जताई गई थी और अखिलेश यादव पर तमाम तरह के सवाल खड़े किए गए थे. इसके बाद अब लग रहा है आजम खान समाजवादी पार्टी से दूर हो सकते हैं. जानकारों का कहना है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह अखिलेश यादव से नाराज हैं और वह भी अपना सियासी ठिकाना बदल सकते हैं. इससे सपा को बड़ा नुकसान हो सकता है. कहा जा रहा है कि आजम और शिवपाल के बीच टेलीफोन के माध्यम से कुछ बातचीत भी हुई है और आने वाले दिनों में यह तस्वीर साफ हो जाएगी.

यह भी कहा जा रहा है कि अगर आजम खान ने समाजवादी पार्टी को छोड़ने का फैसला कर लिया तो इससे मुसलमानों के प्रति भी संदेश ठीक नहीं जाएगा और इससे वे समाजवादी पार्टी से भी दूर हो सकते हैं. इसका खामियाजा सपा को भुगतना पड़ सकता है. यादव मुस्लिम समीकरण पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने वाली समाजवादी पार्टी के साथ अगर आजम के जाने के बाद मुस्लिम समाज के तमाम अन्य नेता धीरे-धीरे साथ छोड़कर जाएंगे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव आजम खान को लेकर आने वाले दिनों में सरकार पर दबाव बनाकर उन्हें बाहर रिहा करा पाते हैं या फिर आजम खान सपा से नाता खत्म कर लेंगे.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि सपा नेतृत्व से शिवपाल यादव की नाराजगी के बाद अब आजम खान सहित कई मुस्लिम नेताओं का दर्द भी छलकने लगा है. ये सभी नेता सपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इन्होंने मेहनत की थी. इस कारण ये लोग मुलायम को भी बहुत प्रिय रहे हैं.

मतदाताओं ने बसपा कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया था. सपा को शक्तिशाली विपक्ष की भूमिका निभाने का जनादेश मिला. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी लोकसभा सदस्यता से त्यागपत्र दिया. विधानसभा में वह नेता प्रतिपक्ष बने किंतु सरकार पर दबाब बनाने की बात तो दूर, सपा इस समय आंतरिक दवाब का सामना कर रही है. इसकी शुरुआत शिवपाल यादव के प्रति व्यवहार से हुई. अखिलेश ने चुनाव के पहले उनके सम्मान का वादा किया था लेकिन चुनाव बाद अखिलेश अपनी बात से पलट गए. शिवपाल को विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया. इससे अखिलेश के समक्ष ही विश्वसनीयता का संकट पैदा हो गया है. शिवपाल के बाद अब आजम की नाराजगी मुलायम सिंह को विचलित कर सकती है.

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