ETV Bharat / state

राज्य विश्वविद्यालयों में बदल जाएगी आर्ट्स फैकेल्टी की पहचान, जानिए नए सत्र में क्या होंगे बदलाव

उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में नए सत्र में कई बदलाव किए जा रहे हैं. इन बदलाव के बाद पढ़ने और पढ़ाने के तरीके बदल जाएंगे. प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों में 70% तक का सिलेबस एक जैसा पढ़ाया जाएगा. खास बात यह है कि यह सारे बदलाव शैक्षिक सत्र 2021-22 से देखने को मिलेंगे.

बदल जाएगी आर्ट्स फैकेल्टी की पहचान
बदल जाएगी आर्ट्स फैकेल्टी की पहचान
author img

By

Published : Jul 8, 2021, 3:30 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 3:49 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने और पढ़ाने, दोनों का तरीका पूरी तरीके से बदलने वाला है. छात्रों को एक ओर जहां पसंदीदा विषय पढ़ने की आजादी होगी वहीं, नई फैकल्टी के गठन से लेकर उनके रूप और स्वरूप में भी बदलाव किए जा रहे हैं. खास बात यह है कि यह सारे बदलाव शैक्षिक सत्र 2021-22 से देखने को मिलेंगे.



छात्रों को अब आर्ट्स के साथ कॉमर्स के विषय या फिर कॉमर्स के साथ साइंस के विषय पढ़ने की आजादी मिलेगी. यानी बीएससी में फिजिक्स के साथ छात्र इतिहास व भूगोल भी पढ़ सकेगा. नई व्यवस्था में छात्र को तीसरा मुख्य विषय लेने की छूट होगी. यानी कोई छात्र किसी भी संकाय के विषय का चुनाव कर सकता है. अगर इतिहास और अर्थशास्त्र के साथ छात्र चाहे तो विधि संकाय में कोई भी विषय पढ़ सकता है. लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि नए शैक्षिक सत्र से पढ़ने से लेकर पढ़ाने तक के तरीके में काफी बड़ा बदलाव किया जा रहा है.


70% तक सिलेबस एक जैसा
उत्तर प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों में 70% तक का सिलेबस एक जैसा पढ़ाया जाएगा. 30 प्रतिशत सिलेबस में राज्य विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर बदलाव करने की छूट दी गई है. प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि इस व्यवस्था से छात्रों को काफी लाभ मिलने वाला है. उन्होंने बताया कि यदि कोई छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय में दाखिला लेता है. स्नातक की पढ़ाई के दौरान यदि किसी कारण के चलते उसे बरेली या इलाहाबाद जाना पड़ता है तो वह बरेली या इलाहाबाद के राज्य विश्वविद्यालयों में जाकर अपनी पढ़ाई को जारी रख सकता है. एक क्रेडिट बैंक होगा. जिसमें, उसके द्वारा प्राप्त किए गए क्रेडिट रखे जाएंगे. उनके आधार पर उसकी आगे की पढ़ाई जारी रहेगी.

कभी भी पढ़ाई जारी रखने की सुविधा
विश्वविद्यालयों की स्तर पर यूजी को पढ़ाने के तरीके में भी बदलाव किया जा रहा. 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. इसके तहत पहले वर्ष में पढ़ाई पूरी करने पर छात्र को सर्टिफिकेट, दूसरे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा, तीसरे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर बैचलर डिग्री मिलेगी. छात्र अगर चौथे वर्ष की पढ़ाई भी पूरी कर लेता है तो उसे स्नातक में शोध की डिग्री मिलेगी. इसके साथ ही छात्र कभी भी पढ़ाई बीच में छोड़ कर जा सकता है. अपनी सुविधा के अनुसार वह पढ़ाई को जारी भी कर सकता है.


भाषा पढ़ाने के लिए होगा एक अलग संकाय
अभी तक ज्यादातर भाषा आर्ट्स फैकल्टी में पढ़ाई जाती थी. लेकिन, नई व्यवस्था में इसमें बदलाव किया जा रहा है. अब सभी विश्वविद्यालयों में भाषा संकाय अलग से बनाया जाएगा. इसमें, अरेबिक, संचार अंग्रेजी, अंग्रेजी, फारसी, विदेशी भाषा, फ्रेंच, भाषा विज्ञान, आधुनिक भारतीय भाषा एवं साहित्य अध्ययन, पाली, प्राकृत, पंजाबी, सिंधी, तिब्बती और उर्दू जैसी भाषाओं के 17 विभाग बनेंगे.


आर्ट्स फैकेल्टी की बदले की पहचान
नए शैक्षिक सत्र से सभी राज्य विश्वविद्यालयों में आज फैकल्टी की पहचान ही बदल जाएगी. अभी तक हम जिसे faculty of arts के नाम से जानते थे. अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, इस संकाय को अब फैकल्टी ऑफ आर्ट्स, Humanities and social sciences के नाम से जाना जाएगा. इसके अंतर्गत कुल 31 विभाग होंगे. खास बात यह है कि मानवाधिकार, योग, महिला अध्ययन जैसे विषयों पर सभी राज्य विश्वविद्यालयों में अलग से विभाग का गठन किया जाएगा.


डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन खत्म
नई व्यवस्था में डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन को खत्म कर दिया गया है. यह अब फैकल्टी ऑफ टीचर एजुकेशन का हिस्सा होगा. अभी तक लखनऊ विश्वविद्यालय में यह एक अलग विभाग के रूप में संचालित किया जाता रहा है.

नए डीन और विभाग अध्यक्षों के पद होंगे तैयार
अभी तक लखनऊ विश्वविद्यालय में कुल 9 संकाय थे. नई व्यवस्था के तहत 11 संकाय होने जा रहे हैं. ऐसे में इन सभी संख्याओं के 11 अलग-अलग डीन होंगे. इसी तरह विभागों की संख्या में भी बढ़ोतरी होने जा रही है. वर्तमान में विश्व विद्यालय के 9 संकाय में करीब 50 विभाग थे. नई व्यवस्था जब लागू होगी तो 11 संकाय होंगे. इनमें, करीब 147 विभाग होंगे. इन सभी विभागों में एक विभागाध्यक्ष भी तैनात किया जाएगा.


कृषि, ग्रामीण विज्ञान के लिए होगा अलग संकाय
नए सत्र में इसके तहत राज्य विश्वविद्यालयों में कृषि संकाय, व्यवसायिक अध्ययन संकाय और ग्रामीण विज्ञान संकाय का गठन किया जाएगा.

  • कृषि संकाय में छात्रों को कृषि विज्ञान, कृषि अर्थव्यवस्था, कृषि विस्तार, कृषि सांख्यिकी, पशुपालन, वानिकी, पादप अनुवांशिकी, उद्यान विज्ञान, पादप संरक्षण, पादप रोग विज्ञान और बीज प्रौद्योगिकी विज्ञान जैसे विभागों में पढ़ने का मौका मिलेगा.
  • व्यवसायिक अध्ययन संकाय: यह यूजीसी के दिशा निर्देशानुसार 40% सामान्य और 60% स्किल प्रशिक्षण की व्यवस्था पर आधारित होगा. इस संख्या में 12 विभागों का संचालन किया जाएगा. जिसमें विज्ञापन, sale promotion और sales management, agribusiness management, समेत दूसरे विभाग शामिल होंगे.
  • ग्रामीण विज्ञान संकाय: इस संकाय में छात्रों को सामुदायिक विकास एवं प्रसार, सहकारिता, कृषि विपणन, उद्यान विज्ञान ग्रामीण विज्ञान, ग्रामीण उद्योग, मत्स्य पालन और ग्रामीण बैंकिंग जैसे विभागों में पढ़ने का मौका मिलेगा.


लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने और पढ़ाने, दोनों का तरीका पूरी तरीके से बदलने वाला है. छात्रों को एक ओर जहां पसंदीदा विषय पढ़ने की आजादी होगी वहीं, नई फैकल्टी के गठन से लेकर उनके रूप और स्वरूप में भी बदलाव किए जा रहे हैं. खास बात यह है कि यह सारे बदलाव शैक्षिक सत्र 2021-22 से देखने को मिलेंगे.



छात्रों को अब आर्ट्स के साथ कॉमर्स के विषय या फिर कॉमर्स के साथ साइंस के विषय पढ़ने की आजादी मिलेगी. यानी बीएससी में फिजिक्स के साथ छात्र इतिहास व भूगोल भी पढ़ सकेगा. नई व्यवस्था में छात्र को तीसरा मुख्य विषय लेने की छूट होगी. यानी कोई छात्र किसी भी संकाय के विषय का चुनाव कर सकता है. अगर इतिहास और अर्थशास्त्र के साथ छात्र चाहे तो विधि संकाय में कोई भी विषय पढ़ सकता है. लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि नए शैक्षिक सत्र से पढ़ने से लेकर पढ़ाने तक के तरीके में काफी बड़ा बदलाव किया जा रहा है.


70% तक सिलेबस एक जैसा
उत्तर प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों में 70% तक का सिलेबस एक जैसा पढ़ाया जाएगा. 30 प्रतिशत सिलेबस में राज्य विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर बदलाव करने की छूट दी गई है. प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि इस व्यवस्था से छात्रों को काफी लाभ मिलने वाला है. उन्होंने बताया कि यदि कोई छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय में दाखिला लेता है. स्नातक की पढ़ाई के दौरान यदि किसी कारण के चलते उसे बरेली या इलाहाबाद जाना पड़ता है तो वह बरेली या इलाहाबाद के राज्य विश्वविद्यालयों में जाकर अपनी पढ़ाई को जारी रख सकता है. एक क्रेडिट बैंक होगा. जिसमें, उसके द्वारा प्राप्त किए गए क्रेडिट रखे जाएंगे. उनके आधार पर उसकी आगे की पढ़ाई जारी रहेगी.

कभी भी पढ़ाई जारी रखने की सुविधा
विश्वविद्यालयों की स्तर पर यूजी को पढ़ाने के तरीके में भी बदलाव किया जा रहा. 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. इसके तहत पहले वर्ष में पढ़ाई पूरी करने पर छात्र को सर्टिफिकेट, दूसरे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा, तीसरे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर बैचलर डिग्री मिलेगी. छात्र अगर चौथे वर्ष की पढ़ाई भी पूरी कर लेता है तो उसे स्नातक में शोध की डिग्री मिलेगी. इसके साथ ही छात्र कभी भी पढ़ाई बीच में छोड़ कर जा सकता है. अपनी सुविधा के अनुसार वह पढ़ाई को जारी भी कर सकता है.


भाषा पढ़ाने के लिए होगा एक अलग संकाय
अभी तक ज्यादातर भाषा आर्ट्स फैकल्टी में पढ़ाई जाती थी. लेकिन, नई व्यवस्था में इसमें बदलाव किया जा रहा है. अब सभी विश्वविद्यालयों में भाषा संकाय अलग से बनाया जाएगा. इसमें, अरेबिक, संचार अंग्रेजी, अंग्रेजी, फारसी, विदेशी भाषा, फ्रेंच, भाषा विज्ञान, आधुनिक भारतीय भाषा एवं साहित्य अध्ययन, पाली, प्राकृत, पंजाबी, सिंधी, तिब्बती और उर्दू जैसी भाषाओं के 17 विभाग बनेंगे.


आर्ट्स फैकेल्टी की बदले की पहचान
नए शैक्षिक सत्र से सभी राज्य विश्वविद्यालयों में आज फैकल्टी की पहचान ही बदल जाएगी. अभी तक हम जिसे faculty of arts के नाम से जानते थे. अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, इस संकाय को अब फैकल्टी ऑफ आर्ट्स, Humanities and social sciences के नाम से जाना जाएगा. इसके अंतर्गत कुल 31 विभाग होंगे. खास बात यह है कि मानवाधिकार, योग, महिला अध्ययन जैसे विषयों पर सभी राज्य विश्वविद्यालयों में अलग से विभाग का गठन किया जाएगा.


डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन खत्म
नई व्यवस्था में डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन को खत्म कर दिया गया है. यह अब फैकल्टी ऑफ टीचर एजुकेशन का हिस्सा होगा. अभी तक लखनऊ विश्वविद्यालय में यह एक अलग विभाग के रूप में संचालित किया जाता रहा है.

नए डीन और विभाग अध्यक्षों के पद होंगे तैयार
अभी तक लखनऊ विश्वविद्यालय में कुल 9 संकाय थे. नई व्यवस्था के तहत 11 संकाय होने जा रहे हैं. ऐसे में इन सभी संख्याओं के 11 अलग-अलग डीन होंगे. इसी तरह विभागों की संख्या में भी बढ़ोतरी होने जा रही है. वर्तमान में विश्व विद्यालय के 9 संकाय में करीब 50 विभाग थे. नई व्यवस्था जब लागू होगी तो 11 संकाय होंगे. इनमें, करीब 147 विभाग होंगे. इन सभी विभागों में एक विभागाध्यक्ष भी तैनात किया जाएगा.


कृषि, ग्रामीण विज्ञान के लिए होगा अलग संकाय
नए सत्र में इसके तहत राज्य विश्वविद्यालयों में कृषि संकाय, व्यवसायिक अध्ययन संकाय और ग्रामीण विज्ञान संकाय का गठन किया जाएगा.

  • कृषि संकाय में छात्रों को कृषि विज्ञान, कृषि अर्थव्यवस्था, कृषि विस्तार, कृषि सांख्यिकी, पशुपालन, वानिकी, पादप अनुवांशिकी, उद्यान विज्ञान, पादप संरक्षण, पादप रोग विज्ञान और बीज प्रौद्योगिकी विज्ञान जैसे विभागों में पढ़ने का मौका मिलेगा.
  • व्यवसायिक अध्ययन संकाय: यह यूजीसी के दिशा निर्देशानुसार 40% सामान्य और 60% स्किल प्रशिक्षण की व्यवस्था पर आधारित होगा. इस संख्या में 12 विभागों का संचालन किया जाएगा. जिसमें विज्ञापन, sale promotion और sales management, agribusiness management, समेत दूसरे विभाग शामिल होंगे.
  • ग्रामीण विज्ञान संकाय: इस संकाय में छात्रों को सामुदायिक विकास एवं प्रसार, सहकारिता, कृषि विपणन, उद्यान विज्ञान ग्रामीण विज्ञान, ग्रामीण उद्योग, मत्स्य पालन और ग्रामीण बैंकिंग जैसे विभागों में पढ़ने का मौका मिलेगा.


Last Updated : Jul 8, 2021, 3:49 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.