लखनऊ: उत्तर प्रदेश को मुख्य सचिव की तलाश है. मुख्य सचिव बनने के लिए नौकरशाहों के बीच होड़ लगी है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का मुखिया बनने की रेस में कई महत्वपूर्ण अधिकारियों का नाम सामने आ रहा है. केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर बीजेपी सरकार होने के नाते यह पक्का है कि सिर्फ मुख्यमंत्री की पसंद का ही सूबे का मुख्य सचिव नहीं होगा.
केंद्रीय नेतृत्व खासकर पीएमओ की भी मुहर लगने के बाद ही इस पद पर कोई बैठेगा. सीएम योगी एक ऐसे अधिकारी की तलाश में हैं जो प्रदेश में चल रही केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को धरातल पर पहुंचा सके. साथ ही सरकार की ब्रांडिंग करने वाला हो, ताकि प्रदेश में होने वाले आगामी चुनावों में बीजेपी को लाभ मिले. वह चाहे उप चुनाव हों या पंचायत के या फिर विधानसभा के आम चुनाव.
मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडे का कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है. मुख्य सचिव डॉ. पांडे का 28 फरवरी को ही कार्यकाल समाप्त हो गया था, लेकिन योगी सरकार ने इन्हें छह माह का विस्तार दिया था. छह माह के विस्तार का कार्यकाल भी 31 अगस्त को समाप्त होने जा रहा है. ऐसे में सत्ता के गलियारे में यह चर्चा तेज है कि आखिर मुख्य सचिव बनने की रेस में कौन अधिकारी बाजी मारने वाला है.
रेस में इन अधिकारियों के हैं नाम
यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी 1984 बैच के दुर्गा शंकर मिश्रा और संजय अग्रवाल हैं. दोनों अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. 1985 बैच के राजेंद्र तिवारी का नाम है. राजेंद्र तिवारी कृषि उत्पादन आयुक्त पद के साथ-साथ उच्च शिक्षा के प्रमुख सचिव की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. इनके अलावा भूपेंद्र सिंह, दीपक त्रिवेदी, शालिनी प्रसाद, गुरदीप सिंह और आलोक कुमार का नाम भी है. सबसे महत्वपूर्ण नाम इस समय आलोक सिन्हा का लिया जा रहा है. आलोक सिन्हा यूपी सरकार में प्रमुख सचिव वित्त विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
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किसी भी प्रदेश का मुख्य सचिव का पद महत्वपूर्ण होता है. वह ब्यूरोक्रेसी का मुखिया होता है. उसी के अधीनस्थ सरकार चला करती है. इसलिए सरकार बहुत ही ठोक बजाकर नये मुख्य सचिव की तैनाती करेगी. प्रदेश में योगी सरकार है. केंद्र में भाजपा की सरकार है. यहां जो भी नया मुख्य सचिव आएगा उस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा केंद्र सरकार की भी सहमति आवश्यक है. डॉक्टर पांडे वर्तमान मुख्य सचिव हैं और वह दोबारा भी चाहते थे, लेकिन सरकार उन्हें दोबारा समय नहीं दे रही है. प्रदेश की परंपरा रही है कि जो एपीसी होता है उसी को मुख्य सचिव बनाया जाता रहा है लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है.
-पीएन द्विवेदी, राजनीतिक विश्लेषक व ब्यूरोक्रेसी के जानकार