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यूपी एक खोजः इस इमामबाड़े को कहा जाता था भारत का बेबीलोन...शान-ओ-शौकत हैरान करने वाली

यूपी एक खोज में आज हम आपको बताने जा रहे हैं लखनऊ के ऐतिहासिक छोटा इमामबाड़ा यानी हुसैनाबाद इमामबाड़ा के बारे में. कभी इसे भारत का बेबीलोन भी कहा जाता था. इसकी शान-ओ-शौकत हैरान करने वाली है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

यूपी एक खोजः
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Published : May 9, 2022, 4:14 PM IST

Updated : May 9, 2022, 6:50 PM IST

लखनऊ : नवाबों का शहर लखनऊ कई उम्दा और नायाब निर्माणों के लिए पर्यटकों को आज भी भाता है. तमाम इमामबाड़े, तालाब, बाग, बावलियां और कोठियां शहर की शान बढ़ा रहीं हैं. इन इमामबाड़ों में आज भी सबसे ज्यादा सजा-संवरा इमामबाड़ा है 'हुसैनाबाद इमामबाड़ा' अथवा छोटा 'इमामबाड़ा'. इसका निर्माण अवध के तीसरे बादशाह मोहम्मद अली शाह ने कराया था.

इस इमामबाड़े का मुख्य दरवाजा लखनवी निर्माण शैली में ही बना हुआ है. इस इमामबाड़े के भीतर नवाब मुहम्मद अली शाह और उनकी मां दफन हैं. दोनों की कब्रें चांदी के कटघरे से घिरी हैं. इस इमामबाड़े का मुख्य आकर्षण भवन में सजाए गए बेल्जियम के कीमती झाड़-फानूस और अन्य सामान शामिल हैं. इमामबाड़े में चांदी का शाही मिम्बर रखा हुआ है, जिस पर मजलिसों में इमाम बैठते हैं. यहां चंदन, हाथी दांत, जरी और मोम के ताजिए भी रखे हुए हैं. इसके साथ ही चारों ओर बड़ी चौखट वाले सुनहरे फ्रेम के साथ बड़े-बड़े आईने भी लगे हुए हैं.

छोटे इमामबाड़े को लेकर इतिहासकारों ने दी यह जानकारी.


सुंदर बाउंड्री से घिरे इस इमामबाड़े में एक बाग और नहर भी है, जो हमेशा पानी से लबालब रहती है. इसमें कमल भी खिलते हैं. इमारत में घुसते ही अवध के बादशाहों का मोनोग्राम दिखाई देता है. यहीं पर हवा का रुख बताने वाली पीतल की मछली भी दिखाई देती है. इस परिसर में ही एक मस्जिद भी मौजूद है. इसी के ठीक सामने शाही हम्माम है. इस हम्माम में फर्श, हौज और मेहराबें संगमरमर की बनी हुई हैं. इस इमामबाड़े के आसपास कई और खूबसूरत भवनों का निर्माण भी कराया गया था.

हुसैनाबाद इमामबाड़ा.
हुसैनाबाद इमामबाड़ा.

इनमें पिक्चर गैलरी, हौज, शाही कुंआ, सरदगाह, मीना बाजार, वेधशाला, सराय, सतखंडा, रईस मंजिस, जिलौखाना, शाही हम्माम, वेधशाला, सराय, शरीफ मंजिल, गेंदखाने आदि की तमाम आलीशान इमारतें बनी थीं. आज इन इमारतों में कुछ ही महफूज हैं.

हुसैनाबाद इमामबाड़ा.
हुसैनाबाद इमामबाड़ा.

पुराने लखनऊ में जहां नवाबों और बदशाहों की बनवाई यह इमारतें मौजूद हैं, उस इलाके को हुसैनाबाद कहा जाता है. इतिहासकार बताते हैं कि अपनी खूबसूरती के कारण कभी यह इलाका भारत का बेबीलोन कहा जाता था. इतिहासकार योगेश प्रवीन ने अपनी किताब ने लिखा है कि हुसैनाबाद के जगमगाते पीतल के गुंबदों को देखकर एक रूसी पर्यटक ने इस क्षेत्र को क्रेमलिन ऑफ इंडिया का नाम दिया था.

हुसैनाबाद इमामबाड़ा.
हुसैनाबाद इमामबाड़ा.

ये भी पढ़ेंः यूपी एक खोज : सावधान! इस इमारत की 'दीवारों के कान' हैं, आप यहां भूल सकते हैं रास्ता!


इसी परिसर में बादशाह ने अपनी प्यारी बेटी असिया के लिए चारमीनारों वाले मकबरे का निर्माण कराया था, जिसके भीतर डिजाइनों में कुरान की आयतों को उकेरा गया है. इस मकबरे को ताजमहल की नकल भी कहा जाता है.

हुसैनाबाद इमामबाड़ा.
हुसैनाबाद इमामबाड़ा.

मोहम्मद अली शाह आठ जुलाई 1837 को बादशाह बने थे. उन्होंने केवल पांच वर्ष अवध के तख्त पर शासन किया था. इसी दौरान उन्होंने अनेक खूबसूरत इमारतों का निर्माण कराया था. 16 मई 1842 को उनका निधन हो गया, जिसके बाद उन्हें हुसैनाबाद इमामबाड़े में उनकी मां मलका आलिया की कब्र के पास ही दफन किया गया.

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लखनऊ : नवाबों का शहर लखनऊ कई उम्दा और नायाब निर्माणों के लिए पर्यटकों को आज भी भाता है. तमाम इमामबाड़े, तालाब, बाग, बावलियां और कोठियां शहर की शान बढ़ा रहीं हैं. इन इमामबाड़ों में आज भी सबसे ज्यादा सजा-संवरा इमामबाड़ा है 'हुसैनाबाद इमामबाड़ा' अथवा छोटा 'इमामबाड़ा'. इसका निर्माण अवध के तीसरे बादशाह मोहम्मद अली शाह ने कराया था.

इस इमामबाड़े का मुख्य दरवाजा लखनवी निर्माण शैली में ही बना हुआ है. इस इमामबाड़े के भीतर नवाब मुहम्मद अली शाह और उनकी मां दफन हैं. दोनों की कब्रें चांदी के कटघरे से घिरी हैं. इस इमामबाड़े का मुख्य आकर्षण भवन में सजाए गए बेल्जियम के कीमती झाड़-फानूस और अन्य सामान शामिल हैं. इमामबाड़े में चांदी का शाही मिम्बर रखा हुआ है, जिस पर मजलिसों में इमाम बैठते हैं. यहां चंदन, हाथी दांत, जरी और मोम के ताजिए भी रखे हुए हैं. इसके साथ ही चारों ओर बड़ी चौखट वाले सुनहरे फ्रेम के साथ बड़े-बड़े आईने भी लगे हुए हैं.

छोटे इमामबाड़े को लेकर इतिहासकारों ने दी यह जानकारी.


सुंदर बाउंड्री से घिरे इस इमामबाड़े में एक बाग और नहर भी है, जो हमेशा पानी से लबालब रहती है. इसमें कमल भी खिलते हैं. इमारत में घुसते ही अवध के बादशाहों का मोनोग्राम दिखाई देता है. यहीं पर हवा का रुख बताने वाली पीतल की मछली भी दिखाई देती है. इस परिसर में ही एक मस्जिद भी मौजूद है. इसी के ठीक सामने शाही हम्माम है. इस हम्माम में फर्श, हौज और मेहराबें संगमरमर की बनी हुई हैं. इस इमामबाड़े के आसपास कई और खूबसूरत भवनों का निर्माण भी कराया गया था.

हुसैनाबाद इमामबाड़ा.
हुसैनाबाद इमामबाड़ा.

इनमें पिक्चर गैलरी, हौज, शाही कुंआ, सरदगाह, मीना बाजार, वेधशाला, सराय, सतखंडा, रईस मंजिस, जिलौखाना, शाही हम्माम, वेधशाला, सराय, शरीफ मंजिल, गेंदखाने आदि की तमाम आलीशान इमारतें बनी थीं. आज इन इमारतों में कुछ ही महफूज हैं.

हुसैनाबाद इमामबाड़ा.
हुसैनाबाद इमामबाड़ा.

पुराने लखनऊ में जहां नवाबों और बदशाहों की बनवाई यह इमारतें मौजूद हैं, उस इलाके को हुसैनाबाद कहा जाता है. इतिहासकार बताते हैं कि अपनी खूबसूरती के कारण कभी यह इलाका भारत का बेबीलोन कहा जाता था. इतिहासकार योगेश प्रवीन ने अपनी किताब ने लिखा है कि हुसैनाबाद के जगमगाते पीतल के गुंबदों को देखकर एक रूसी पर्यटक ने इस क्षेत्र को क्रेमलिन ऑफ इंडिया का नाम दिया था.

हुसैनाबाद इमामबाड़ा.
हुसैनाबाद इमामबाड़ा.

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इसी परिसर में बादशाह ने अपनी प्यारी बेटी असिया के लिए चारमीनारों वाले मकबरे का निर्माण कराया था, जिसके भीतर डिजाइनों में कुरान की आयतों को उकेरा गया है. इस मकबरे को ताजमहल की नकल भी कहा जाता है.

हुसैनाबाद इमामबाड़ा.
हुसैनाबाद इमामबाड़ा.

मोहम्मद अली शाह आठ जुलाई 1837 को बादशाह बने थे. उन्होंने केवल पांच वर्ष अवध के तख्त पर शासन किया था. इसी दौरान उन्होंने अनेक खूबसूरत इमारतों का निर्माण कराया था. 16 मई 1842 को उनका निधन हो गया, जिसके बाद उन्हें हुसैनाबाद इमामबाड़े में उनकी मां मलका आलिया की कब्र के पास ही दफन किया गया.

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Last Updated : May 9, 2022, 6:50 PM IST
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