ETV Bharat / state

Millets Farming : इस वजह से घट रही बाजरे की खेती, कृषि विशेषज्ञ ने दी ये सलाह - लखनऊ की खबर

लखनऊ में बाजरा की लगातार घटती खेती चिंता का विषय बन गई है. जिंक और आयरन से भरपूर बाजरे की खेती अब बहुत ही कम किसान कर रहे हैं. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं. चलिए जानते हैं उनके बारे में...

बाजरा की खेती बढ़ाने को विशेषज्ञों ने दी ये सलाह.
बाजरा की खेती बढ़ाने को विशेषज्ञ ने दी ये सलाह.
author img

By

Published : Oct 15, 2021, 9:06 PM IST

लखनऊः बाजरे की खेती कभी किसानों के लिए आय का अच्छा माध्यम होती थी. बढ़ती आबादी और घटते रकबे के कारण अब लखनऊ के आसपास के किसान बहुत कम ही इसकी खेती कर रहे हैं. ज्यादातर किसान आधुनिक खेती की वजह से बाजरे की खेती नहीं कर रहे हैं. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं.



कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने सलाह दी है कि धान, गेहूं के साथ छोटे अनाजों का रकबा बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि किसानों को बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो सांवा की खेती करनी चाहिए. ये फसले कम खर्च और हल्की सिंचाई में तैयार हो जातीं हैं. उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों और महिलाओं में रक्त की कमी अक्सर देखी जाती है. इस कमी को बाजरा दूर करता है. इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर मिलता है. पेट संबंधी विकारों में भी यह काफी मददगार रहता है. उन्होंने कहा कि इसका बाजार भाव कभी निम्न स्तर पर नहीं आता है. बाजरे की खेती करके किसान अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं और अपने पशुओं को चारे की भी उचित व्यवस्था कर सकते हैं. कम उत्पादन के दौर में बाजरे को उगाना बेहद की फायदे का सौदा रहेगा.

बाजरा की खेती बढ़ाने को विशेषज्ञ ने दी ये सलाह.

संकुल और शंकर बाजरा की प्रजाति अधिक प्रचलित है. संकुल बाजरे की डब्ल्यू सीसी 75 ,राज 171 एवं जनशक्ति बहुत अच्छी प्रजातियां हैं. संकुल प्रजाति में पूसा 322, पूसा 23 आईसीएमएस, 451 कावेरी अच्छी प्रजाति है. उन्होंने बताया कि शंकर प्रजातियों के लिए 80 से 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है. इसके साथ ही देसी प्रजातियों के लिए 40 से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः लखीमपुर खीरी कांड: SIT की टीम ने अंकित दास के आवास से बरामद की पिस्टल व रिपीटर गन

उन्होंने कहा कि बाजरे में प्रमुख रूप से कंडुवा रोग की समस्या होती है. जब भी इस प्रकार की बीमारी दिखाई दे तो खेत की गहरी जुताई करें और फसल चक्र सिद्धांत का इस्तेमाल कर रोग ग्रसित बालियों को निकाल कर नष्ट कर दें. बीज शोधन थीरम 75% डब्लूएस 2.5 ग्राम तथा कार्बोडांजिम 50% डब्लूपी 2 ग्राम अथवा मेटैलेक्सिल 25% डब्लूएस की 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करने के बाद ही बुवाई करें. दीमक लगने पर क्लोरपीरिफॉस 20 ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.

लखनऊः बाजरे की खेती कभी किसानों के लिए आय का अच्छा माध्यम होती थी. बढ़ती आबादी और घटते रकबे के कारण अब लखनऊ के आसपास के किसान बहुत कम ही इसकी खेती कर रहे हैं. ज्यादातर किसान आधुनिक खेती की वजह से बाजरे की खेती नहीं कर रहे हैं. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं.



कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने सलाह दी है कि धान, गेहूं के साथ छोटे अनाजों का रकबा बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि किसानों को बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो सांवा की खेती करनी चाहिए. ये फसले कम खर्च और हल्की सिंचाई में तैयार हो जातीं हैं. उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों और महिलाओं में रक्त की कमी अक्सर देखी जाती है. इस कमी को बाजरा दूर करता है. इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर मिलता है. पेट संबंधी विकारों में भी यह काफी मददगार रहता है. उन्होंने कहा कि इसका बाजार भाव कभी निम्न स्तर पर नहीं आता है. बाजरे की खेती करके किसान अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं और अपने पशुओं को चारे की भी उचित व्यवस्था कर सकते हैं. कम उत्पादन के दौर में बाजरे को उगाना बेहद की फायदे का सौदा रहेगा.

बाजरा की खेती बढ़ाने को विशेषज्ञ ने दी ये सलाह.

संकुल और शंकर बाजरा की प्रजाति अधिक प्रचलित है. संकुल बाजरे की डब्ल्यू सीसी 75 ,राज 171 एवं जनशक्ति बहुत अच्छी प्रजातियां हैं. संकुल प्रजाति में पूसा 322, पूसा 23 आईसीएमएस, 451 कावेरी अच्छी प्रजाति है. उन्होंने बताया कि शंकर प्रजातियों के लिए 80 से 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है. इसके साथ ही देसी प्रजातियों के लिए 40 से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः लखीमपुर खीरी कांड: SIT की टीम ने अंकित दास के आवास से बरामद की पिस्टल व रिपीटर गन

उन्होंने कहा कि बाजरे में प्रमुख रूप से कंडुवा रोग की समस्या होती है. जब भी इस प्रकार की बीमारी दिखाई दे तो खेत की गहरी जुताई करें और फसल चक्र सिद्धांत का इस्तेमाल कर रोग ग्रसित बालियों को निकाल कर नष्ट कर दें. बीज शोधन थीरम 75% डब्लूएस 2.5 ग्राम तथा कार्बोडांजिम 50% डब्लूपी 2 ग्राम अथवा मेटैलेक्सिल 25% डब्लूएस की 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करने के बाद ही बुवाई करें. दीमक लगने पर क्लोरपीरिफॉस 20 ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.