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Pradhan Mantri Awas Yojana : यूपी में पांच साल में 50 हजार गरीबों को आवंटित हुए आवास, 15 लाख अभी भी कतार में

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) भारत सरकार की एक योजना है. इस योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के माध्यम से नगरों व ग्रामीण इलाकों में रहने वाले निर्धन लोगों को आवास दिए जाते हैं. योजना के तहत उत्तर प्रदेश के शहरों में 50,000 गरीब आवासों का निर्माण भी किया गया.

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Published : Feb 17, 2023, 11:16 AM IST

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लखनऊ : सरकार का वादा था कि 2022 तक हर गरीब के सिर पर छत होगी. जिसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी बनाई गई थी. इस योजना में 2022 तक उत्तर प्रदेश के शहरों में 50,000 गरीब आवासों का निर्माण भी किया गया. अभी भी उत्तर प्रदेश के 15 लाख गरीब रजिस्ट्रेशन कराकर आवास का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन नतीजा सिफर है. बात लखनऊ की जाए तो यहां भी हाल बहुत बुरा है. लखनऊ में करीब 10 हजार लोगों ने एक लाख आवासों की मांग के लिए सूडा पर पंजीकरण कराया है, लेकिन पिछले करीब पांच साल से लखनऊ में केवल 10 हजार प्रधानमंत्री आवास बनाए गए हैं. ऐसे में लक्ष्य से लखनऊ बहुत पीछे है.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2022 तक हर गरीब को छत मिलनी थी. ग्रामीण क्षेत्र में तो प्रधानमंत्री आवास योजना बहुत सफल रही है, लेकिन जमीन की कमी के चलते शहरी इलाकों में प्रधानमंत्री आवास योजना सफल नहीं हो सकी. पूरे प्रदेश की बात की जाए तो पिछले 5 साल में करीब 50 हजार प्रधानमंत्री आवास और गरीब आवास आवंटित किए गए हैं. वहीं बात जरूरत और पंजीकरण की की जाए तो यह 15 लाख के करीब का आंकड़ा है.

निजी क्षेत्र में भी आंकड़ा खराब : निजी क्षेत्र में आंकड़ा औऱ भी अधिक खराब है. पिछले 2 साल में निजी क्षेत्र में ईडब्ल्यूएस एलआईजी का लक्ष्य 62000 का था, लेकिन पूरे उत्तर प्रदेश में केवल 10 हजार ईडब्ल्यूएस और एलआईजी भवनों का निर्माण किया गया. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने बुरे हैं. राजधानी लखनऊ का भी इसमें बुरा हाल है, जबकि प्रदेश में सबसे अधिक निजी कॉलोनी नोएडा और लखनऊ में हैं. इस मामले में शासन ने सभी विकास प्राधिकरण को आदेश दिया है कि वे निजी क्षेत्र को लेकर सख्ती करें, ताकि बेहतर व्यवस्था हो सके.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी का इस बारे में कहना है कि 'लखनऊ में हम करीब 5000 प्रधानमंत्री आवास बनवा रहे हैं. इसके अलावा जो डिमांड है वह सब्सिडी क्षेत्र में भी है. हम लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.

यह भी पढ़ें : Lucknow Airport पर फर्जी टिकट से यात्रा करने की कोशिश, इमीग्रेशन अधिकारियों ने दबोचा

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लखनऊ : सरकार का वादा था कि 2022 तक हर गरीब के सिर पर छत होगी. जिसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी बनाई गई थी. इस योजना में 2022 तक उत्तर प्रदेश के शहरों में 50,000 गरीब आवासों का निर्माण भी किया गया. अभी भी उत्तर प्रदेश के 15 लाख गरीब रजिस्ट्रेशन कराकर आवास का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन नतीजा सिफर है. बात लखनऊ की जाए तो यहां भी हाल बहुत बुरा है. लखनऊ में करीब 10 हजार लोगों ने एक लाख आवासों की मांग के लिए सूडा पर पंजीकरण कराया है, लेकिन पिछले करीब पांच साल से लखनऊ में केवल 10 हजार प्रधानमंत्री आवास बनाए गए हैं. ऐसे में लक्ष्य से लखनऊ बहुत पीछे है.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2022 तक हर गरीब को छत मिलनी थी. ग्रामीण क्षेत्र में तो प्रधानमंत्री आवास योजना बहुत सफल रही है, लेकिन जमीन की कमी के चलते शहरी इलाकों में प्रधानमंत्री आवास योजना सफल नहीं हो सकी. पूरे प्रदेश की बात की जाए तो पिछले 5 साल में करीब 50 हजार प्रधानमंत्री आवास और गरीब आवास आवंटित किए गए हैं. वहीं बात जरूरत और पंजीकरण की की जाए तो यह 15 लाख के करीब का आंकड़ा है.

निजी क्षेत्र में भी आंकड़ा खराब : निजी क्षेत्र में आंकड़ा औऱ भी अधिक खराब है. पिछले 2 साल में निजी क्षेत्र में ईडब्ल्यूएस एलआईजी का लक्ष्य 62000 का था, लेकिन पूरे उत्तर प्रदेश में केवल 10 हजार ईडब्ल्यूएस और एलआईजी भवनों का निर्माण किया गया. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने बुरे हैं. राजधानी लखनऊ का भी इसमें बुरा हाल है, जबकि प्रदेश में सबसे अधिक निजी कॉलोनी नोएडा और लखनऊ में हैं. इस मामले में शासन ने सभी विकास प्राधिकरण को आदेश दिया है कि वे निजी क्षेत्र को लेकर सख्ती करें, ताकि बेहतर व्यवस्था हो सके.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी का इस बारे में कहना है कि 'लखनऊ में हम करीब 5000 प्रधानमंत्री आवास बनवा रहे हैं. इसके अलावा जो डिमांड है वह सब्सिडी क्षेत्र में भी है. हम लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.

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