लखनऊ: नगर निगम में पिछले 12 साल से हाउस टैक्स को नहीं बढ़ाया गया है. पार्षदों तथा महापौर की वजह से हाउस टैक्स की दर नहीं बढ़ाई जा सकी है. टैक्स की दरों को लेकर जब भी प्रस्ताव आया पार्षदों और महापौर के विरोध के चलते वह आगे नहीं बढ़ पाया. लेकिन अब इस प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है. हर 2 साल में शहर वासियों को बढ़ा हुआ हाउस टैक्स जमा करना होगा.
सिर्फ लखनऊ की नहीं बल्कि, प्रदेश के जिन जिन शहरों में नगर निगम है वहां यह व्यवस्था लागू करने की तैयारी की जा रही है.प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में 13 सदस्य समिति का भी गठन किया गया है. जो इस संबंध में अपने विचार प्रस्तुत करेंगी.
आय का सबसे बड़ा साधन है गृहकर
किसी भी नगर निगम की आय का सबसे बड़ा साधन गृह कर है. गृह कर की दर ना बढ़ने के कारण कई नगर निगम घाटे में चल रहे हैं. लखनऊ नगर निगम में पिछले 12 वर्षों से हाउस टैक्स को नहीं बढ़ाया गया है. वर्ष 2018-19 में हाउस टैक्स बढ़ाने का एक प्रस्ताव तैयार किया गया था लेकिन महापौर और पार्षदों के विरोध के चलते यह आगे नहीं बढ़ पाया. जबकि, लखनऊ नगर निगम पर करीब 300 करोड़ की देनदारी होने की बात सामने आई है.
अधिनियम में है प्रावधान
नगर निगम अधिनियम में हर 2 साल में हाउस टैक्स को बढ़ाने का प्रावधान किया गया है. लेकिन इसके लिए कार्यकारिणी और सदन की मंजूरी ली जाती है. नई व्यवस्था के तहत हर 2 साल में हाउस टैक्स रिवाइज हो जाएगा. इसमें महापौर और पार्षदों के दखल को खत्म कर दिया जाएगा.
लखनऊ में इस दर से देना होगा तक
लखनऊ के आलमबाग में इस समय 1000 फुट का मकान बनाने वाले व्यक्ति को करीब 12 सो रुपए बतौर रहकर जमा करना होता है. दरें बढ़ने के बाद यह करीब 2400 रुपए सालाना होगा. इसी तरह गोमती नगर के पॉश इलाके में 1000 वर्ग फुट के मकान का सालाना हाउस टैक्स ₹2000 हैं जो कि नई दरों के लागू होने के बाद ₹4000 सालाना हो जाएगा.
हाउस टैक्स निर्धारण में धांधली
लखनऊ नगर निगम में हाउस टैक्स निर्धारण को लेकर लगातार धांधली की शिकायतें आती रही है.विभागीय अधिकारियों पर पहले हेवी हाउस टैक्स लगाने और बाद में उसमें सुधार करने के नाम पर सुविधा शुल्क वसूलने के आरोप लगते रहे हैं. बीते दिनों महापौर की तरफ से ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश भी जारी किए गए थे.
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