लखनऊ : योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में यूपी के कई शहरों के नाम बदले गए. जब इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया गया तब ही लखनऊ का नाम लखनपुरी या लक्ष्मणपुरी करने की मांग हुई थी. अब प्रतापगढ़ के सांसद संगम लाल गुप्ता ने लखनऊ को लक्ष्मण नगरी बनाने की मांग करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ, गृह मंत्री अमित शाह और पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है. हालांकि समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने लखनऊ का नाम बदलने का विरोध किया है.
बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता का कहना है कि लखनऊ का नाम पहले लखनपुरी ही था. मुगलों ने इसका नाम बदल दिया. बीजेपी के नेता गाहे-बगाहे लखनऊ का नाम बदलने को लेकर तर्क देते रहे हैं. 2018 में भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने भी लखनऊ का नाम बदलने की वकालत की थी. इसके अलावा बीजेपी नेता लालजी टंडन ने भी अपनी किताब अनकहा लखनऊ में दावा किया है कि में भगवान लक्ष्मण और लखनऊ के बीच कनेक्शन होने का दावा किया था. लालजी टंडन ने अपनी किताब में लिखा है कि मुगलों और नवाबों के लखनऊ पर काबिज होने से पहले भी अवध की अपनी संस्कृति थी. तब इस इलाके का नाम लखनऊ नहीं था.
क्या है पौराणिक मान्यता : देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ जहां अपने 'तहजीब का शहर' व 'नवाबों के शहर' के रूप में विख्यात है. वहीं यह शहर आजकल अपने नाम को लेकर भी चर्चा में है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लखनऊ कौशलपुरी राज्य का हिस्सा हुआ करता था. जिसकी राजधानी अयोध्या थी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को यह क्षेत्र सौंप दिया था. जिसके बाद लक्ष्मण ने गोमती नदी के तट पर एक नगर बसाया, जिसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना गया. हालांकि लखनऊ विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनीषा का कहना है कि शहर का नाम लखनऊ कैसे पड़ा, इसकी कोई पुख्ता तथ्यात्मक जानकारी इतिहास में नहीं है.
प्रोफेसर डॉ. मनीषा का कहना है कि आपको यह कहीं भी देखने या पढ़ने को नहीं मिलेगा कि लखनऊ का नाम किसने और कब रखा, यह सिर्फ बोलचाल की भाषा में ही प्रयोग होता आ रहा है. डॉ मनीषा ने इतिहासकार अब्दुल हलीम शरद की किताब 'गुलिस्ता-ए- लखनऊ' का हवाला देते हुए बताया कि इस किताब में भी पौराणिक मान्यताओं के आधार पर लिखा है कि भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को जब भूमि तोहफे में दिया था. उन्होंने यह शहर बसाया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस शहर का नाम लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर आदि बताया गया है. अवध के इतिहास में लखनऊ का नामाकरण कैसे हुआ, इस पर कोई तथ्यात्मक पुष्टि नहीं है. डॉ मनीषा ने बताया कि लखनऊ कहां से, कब से और किसके समय से शुरू हुआ. इसके लेकर कोई भी सही जानकारी इतिहास में नहीं दर्ज है.
आसिफउद्दौला ने 1775 में लखनऊ को बनाया राजधानी : प्रोफेसर डॉ. मनीषा ने बताया कि कि 17 वीं शताब्दी में की शुरुआत में शहादत खान बुरहानउल 'मुल्क' अयोध्या से अपनी राजधानी फैजाबाद ले आए थे. इसके बाद 1775 वीं में लखनऊ के नवाब आसिफउददौला अपनी राजधानी फैजाबाद से लखनऊ ले आए थे. उस समय भी जब वह अपनी राजधानी लखनऊ लाए थे तो इस क्षेत्र को लखनऊ के नाम से ही जाना जाता था. उन्होंने बताया कि अब्दुल हलीम शरद के द्वारा लिखी किताब 'गुलिस्ता-ए- लखनऊ' इस बात का जिक्र है. ऐसे में यह कहा जाना कि आसिफउददौला के समय लखनऊ का नाम बदला गया, यह सही नहीं है. यह नाम उनके राजधानी बनाने से पहले से चला आ रहा है. यह जानकारी अवध के इतिहास पर जितने भी किताबें लिखी गई हैं उसमें यह बात साफ तौर पर दर्ज है.
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