लखनऊ: उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस 24 जनवरी यानी आज है. राम-कृष्ण की इस धरती का जिक्र आते ही यहां की विविधता भरी सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन स्थल आकर्षित करते हैं, लेकिन जब बात जायके की करते हैं तो प्रदेश के काला नमक चावल की मनमोहक खुशबू और उसकी मिठास याद करते ही मुंह में पानी आ जाना लाजिमी है. राज्य की योगी सरकार ने प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के काला नमक चावल को ओडीओपी योजना में शामिल किया है. आज यह चावल प्रदेश और देश ही नहीं दुनिया में अपनी सुगंध बिखेर रहा है.
कालानमक चावल का है आध्यात्मिक इतिहास
राज्य की योगी सरकार ने काला नमक चावल को ओडीओपी योजना में शामिल किया है और अब इसकी ब्रांडिंग भी कर रही है. योगी सरकार काला नमक चावल के आध्यात्मिक इतिहास को भी देश और दुनिया के लोगों को बता रही है. माना जाता है कि भगवान बुद्ध से काला नमक चावल का इतिहास जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने कालानमक चावल को प्रसाद के रूप में वितरित किया था और उस समय उन्होंने कहा था कि इस चावल की विशिष्ट महक हमेशा लोगों को उनकी याद दिलाएगी. प्रदेश की योगी सरकार भी महात्मा बुद्ध की इसी उक्ति के साथ बौद्ध देशों में इस चावल की ब्रांडिंग कर रही है. मुख्यमंत्री का कहना है कि अगर काला नमक चावल के इतिहास के बारे में दुनिया भर के लोग जानेंगे तो पूरी रुचि के साथ इसकी खरीदारी भी करेंगे. दरअसल, जापान, श्रीलंका, थाईलैंड और चीन जैसे देशों में भगवान बुद्ध को मानने वालों की अच्छी संख्या है. काला नमक चावल की पैदावार में बढ़ोतरी और उसकी ब्रांडिंग एक जनपद एक उत्पाद स्कीम के तहत की जा रही है.
पौष्टिकता से भरपूर है काला नमक चावल
काला नमक चावल अपने आप में बेहतरीन चावल है. गुणों के आधार पर यह बासमती पर भी भारी पड़ता है. इसमें पौष्टिक गुण पाए जाते हैं. यह चावल खाने में नर्म होता है और इसमें भरपूर मात्रा में जिंक पाया जाता है. इसके अलावा इसमें आयरन भी प्रचुर मात्रा में है. इसलिए यह कुपोषण के खिलाफ जंग में भी लाभकारी साबित हो सकता है. कभी केंद्र सरकार ने भी इसे एक योजना के तहत चुना था, लेकिन तब वह योजना सफल नहीं हो पाई.
सरकार ऐसे उत्पादों के लिए गंभीर
एमएसएमई विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कहना है कि 'एक जनपद एक उत्पाद' हमारी बहुत महत्वपूर्ण योजना है. सिद्धार्थ नगर का काला नमक चावल बहुत मशहूर है. हमारी विशेषज्ञों की टीम ने सिद्धार्थ नगर क्षेत्र का दौरा किया है. काला नमक धान की बुआई कम क्यों होती गयी, इसे कैसे बढ़ाया जाए. इसकी खेती के लिए किसानों की रुचि कैसे बढ़ाई जाए. ऐसे ही कई प्रकार की रणनीतियों पर सरकार काम कर रही है. इसी रणनीति के तहत किसानों को अच्छी बीज कैसे उपलब्ध कराया जाए, इसके लिए पंतनगर एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी से बात की गई है. कई राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट से भी बात की जा रही है. उन्होंने बताया ज्यादा से ज्यादा बीज तैयार करने पर सरकार का फोकस है. फसल तैयार होने के बाद इसकी मार्केटिंग को लेकर भी हमारी योजना है. निर्यातकों ने काला नमक चावल खरीदने में रुचि दिखाई है.
राज्य सरकार ने 2018 में शुरू की ओडीओपी योजना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2018 यूपी दिवस के अवसर पर 24 जनवरी को ओडीओपी योजना की घोषणा की थी. इसके तहत सभी जिलों से एक-एक उत्पाद लिए गए हैं. ओडीओपी में सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल, कुशीनगर का केले का रेशा, कौशांबी का केला, अयोध्या, मुजफ्फरनगर का गुड़, प्रतापगढ़ का आंवला, बलरामपुर और गोंडा की दाल, औरैया का देसी घी, बहराइच में गेहूं के डंठल से बनने वाले हस्तशिल्प उत्पाद, चित्रकूट में लकड़ी के खिलौने, सहारनपुर में लकड़ी की कलाकृतियां, आगरा का चमड़ा उत्पाद, अमरोहा का वाद्य यंत्र (ढोलक), अलीगढ़ के ताले एवं हार्डवेयर, आजमगढ़ की काली मिट्टी की कलाकृतियां, अंबेडकरनगर के वस्त्र उत्पाद, अमेठी के मूंज उत्पाद, बदायूं के जरी जरदोजी उत्पाद, बागपत का होम फर्निशिंग, बरेली का जरी जरदोजी, बलिया बिंदी उत्पाद, बस्ती की काष्ठ कला तो भदोही की कालीन और बांदा का पत्थर शिल्प, बिजनौर की काष्ठ कला, बाराबंकी का वस्त्र उत्पाद, बुलंदशहर का सिरेमिक उत्पाद, चंदौली की जरी जरदोजी को शामिल किया गया है.