ETV Bharat / state

Hijab Controversy: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का एलान, कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

हिजाब मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से मुस्लिम समुदाय नाखुश हैं. कई मुस्लिम संस्थाएं हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी एक बैठक कर यह तय किया कि हाइकोर्ट के फैसले से न्याय की मांग पूरी नहीं हो सकी है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाएंगे.

ETV BHARAT
HIJAB
author img

By

Published : Mar 19, 2022, 6:10 PM IST

लखनऊ. हिजाब पहनकर छात्राओं के स्कूल कॉलेज में प्रवेश को लेकर उठे विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने तो अपना फैसला सुना दिया लेकिन इस फैसले से नाखुश मुस्लिम संस्थाएं अब देश की सर्वोच्च अदालत में जाने का मन बना रहीं हैं. देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMIM) ने भी अपना रुख साफ करते हुए कह दिया कि हाईकोर्ट के फैसले से न्याय की मांग पूरी नहीं हो सकी है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाएंगे.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने एक लिखित बयान में कहा है कि 14 मार्च 2022 को बोर्ड की लीगल कमेटी और सेक्रेटरीज़ की ऑनलाइन मीटिंग हुई. इस अहम मीटिंग में लीगल कमेटी के संयोजक और सीनियर एडवोकेट यूसुफ़ हातिम मछाला, एडवोकेट एम आर शमशाद, ताहिर हकीम, फ़ुज़ैल अहमद अय्यूबी, नयाज़ अहमद फ़ारूक़ी के अलावा बोर्ड के सेक्रेटरीज़ मौलाना फ़ज़्लुर्रहीम मुजद्दिदी और मौलाना मुहम्मद उमरैन महफ़ूज़ रहमानी के साथ डाक्टर सय्यद क़ासिम रसूल इलयास, कमाल फ़ारूक़ी, मौलाना सग़ीर अहमद रशादी साहब-अमीरे शरीयत कर्नाटक, मौलाना अतीक़ अहमद बस्तवी और के. रहमान ख़ान ने भाग लिया.

यह भी पढ़ें : कर्नाटक: हिजाब पहनने वाली इंजीनियरिंग छात्रा ने जीते 16 गोल्ड मेडल, बनाया नया कीर्तिमान

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का विश्लेषण

बैठक में हिजाब के बारे में कर्नाटक हाईकोर्ट के हालिया फ़ैसले का विश्लेषण किया गया. ये पाया गया कि इसमें बहुत सी त्रुटियां हैं. कहा गया कि इसमें व्यक्ति की स्वतंत्रता की अनदेखा की गई है. इस्लाम में किस काम को अनिवार्यता प्राप्त है और किस को नहीं, इस विषय पर अदालत ने अपनी राय से फ़ैसला करने की कोशिश की है.

किसी भी क़ानून की व्याख्या का अधिकार उस क़ानून के विशेषज्ञों को होता है. इस लिए शरीयत के किसी क़ानून का कोई मामला हो तो उसमें उल्मा की राय महत्वपूर्ण होगी. हालांकि फ़ैसले में इस पहलू को सामने नहीं रखा गया है. इसलिए अदालत के इस फ़ैसले से न्याय की मांग पूरी नहीं हो सकी. लिहाज़ा इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा.

अदालतें पक्षपातपूर्ण मानसिकता का शिकार

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि अब मुसलमानों में यह एहसास पनप रहा है कि अदालतें भी शरई व मज़हबी मामलों में पक्षपातपूर्ण मानसिकता का शिकार होती जा रही हैं. अक्सर संवैधानिक प्रावधानों की मनमानी व्याख्या करतीं हैं. बोर्ड इस पर गहरी चिंता जताता है. बोर्ड ने यह फ़ैसला किया कि वह क़ानून के दायरे में रहते हुए जल्दी ही उचित क़दम उठाएगा और सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करेगा.

मुस्लिम गर्ल्स स्कूल खोलने की अपील

बोर्ड ने उल्मा, बुद्धिजीवी, मुस्लिम नेतृत्व, शिक्षाविद, पूंजिपतियों और व्यपारियों से अपील की कि वे अधिक से अधिक गर्ल्स स्कूल खोलें. इस्लामी माहौल और नैतिक मूल्यों के साथ स्तरीय शिक्षा की व्यवस्था करें. लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दें. बोर्ड ने मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ता और नेताओं से अपील की कि वे प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं से मुलाक़ात करके उनको सातवीं क्लास से ऊपर की लड़कियों के लिए अलग क्लासरूम बनाने की प्रेरणा दें.

इसके अलावा जिस राज्य में सरकार स्कार्फ़ पर पाबंदी लगाए, वहां सरकार के खि़लाफ़ भरपूर मगर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें. बोर्ड ने मिल्लत की उन बच्चियों को भी मुबारकबाद दी है जिन्होंने बेपर्दा होने को स्वीकार नहीं किया. इस्लामी पहचान पर जमी रहीं. बोर्ड मुसलमानों से अपील करता है कि वे धैर्य से काम लें, क़ानून को अपने हाथ में न लें और बोर्ड के निर्देश का इंतज़ार करें.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ. हिजाब पहनकर छात्राओं के स्कूल कॉलेज में प्रवेश को लेकर उठे विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने तो अपना फैसला सुना दिया लेकिन इस फैसले से नाखुश मुस्लिम संस्थाएं अब देश की सर्वोच्च अदालत में जाने का मन बना रहीं हैं. देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMIM) ने भी अपना रुख साफ करते हुए कह दिया कि हाईकोर्ट के फैसले से न्याय की मांग पूरी नहीं हो सकी है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाएंगे.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने एक लिखित बयान में कहा है कि 14 मार्च 2022 को बोर्ड की लीगल कमेटी और सेक्रेटरीज़ की ऑनलाइन मीटिंग हुई. इस अहम मीटिंग में लीगल कमेटी के संयोजक और सीनियर एडवोकेट यूसुफ़ हातिम मछाला, एडवोकेट एम आर शमशाद, ताहिर हकीम, फ़ुज़ैल अहमद अय्यूबी, नयाज़ अहमद फ़ारूक़ी के अलावा बोर्ड के सेक्रेटरीज़ मौलाना फ़ज़्लुर्रहीम मुजद्दिदी और मौलाना मुहम्मद उमरैन महफ़ूज़ रहमानी के साथ डाक्टर सय्यद क़ासिम रसूल इलयास, कमाल फ़ारूक़ी, मौलाना सग़ीर अहमद रशादी साहब-अमीरे शरीयत कर्नाटक, मौलाना अतीक़ अहमद बस्तवी और के. रहमान ख़ान ने भाग लिया.

यह भी पढ़ें : कर्नाटक: हिजाब पहनने वाली इंजीनियरिंग छात्रा ने जीते 16 गोल्ड मेडल, बनाया नया कीर्तिमान

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का विश्लेषण

बैठक में हिजाब के बारे में कर्नाटक हाईकोर्ट के हालिया फ़ैसले का विश्लेषण किया गया. ये पाया गया कि इसमें बहुत सी त्रुटियां हैं. कहा गया कि इसमें व्यक्ति की स्वतंत्रता की अनदेखा की गई है. इस्लाम में किस काम को अनिवार्यता प्राप्त है और किस को नहीं, इस विषय पर अदालत ने अपनी राय से फ़ैसला करने की कोशिश की है.

किसी भी क़ानून की व्याख्या का अधिकार उस क़ानून के विशेषज्ञों को होता है. इस लिए शरीयत के किसी क़ानून का कोई मामला हो तो उसमें उल्मा की राय महत्वपूर्ण होगी. हालांकि फ़ैसले में इस पहलू को सामने नहीं रखा गया है. इसलिए अदालत के इस फ़ैसले से न्याय की मांग पूरी नहीं हो सकी. लिहाज़ा इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा.

अदालतें पक्षपातपूर्ण मानसिकता का शिकार

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि अब मुसलमानों में यह एहसास पनप रहा है कि अदालतें भी शरई व मज़हबी मामलों में पक्षपातपूर्ण मानसिकता का शिकार होती जा रही हैं. अक्सर संवैधानिक प्रावधानों की मनमानी व्याख्या करतीं हैं. बोर्ड इस पर गहरी चिंता जताता है. बोर्ड ने यह फ़ैसला किया कि वह क़ानून के दायरे में रहते हुए जल्दी ही उचित क़दम उठाएगा और सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करेगा.

मुस्लिम गर्ल्स स्कूल खोलने की अपील

बोर्ड ने उल्मा, बुद्धिजीवी, मुस्लिम नेतृत्व, शिक्षाविद, पूंजिपतियों और व्यपारियों से अपील की कि वे अधिक से अधिक गर्ल्स स्कूल खोलें. इस्लामी माहौल और नैतिक मूल्यों के साथ स्तरीय शिक्षा की व्यवस्था करें. लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दें. बोर्ड ने मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ता और नेताओं से अपील की कि वे प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं से मुलाक़ात करके उनको सातवीं क्लास से ऊपर की लड़कियों के लिए अलग क्लासरूम बनाने की प्रेरणा दें.

इसके अलावा जिस राज्य में सरकार स्कार्फ़ पर पाबंदी लगाए, वहां सरकार के खि़लाफ़ भरपूर मगर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें. बोर्ड ने मिल्लत की उन बच्चियों को भी मुबारकबाद दी है जिन्होंने बेपर्दा होने को स्वीकार नहीं किया. इस्लामी पहचान पर जमी रहीं. बोर्ड मुसलमानों से अपील करता है कि वे धैर्य से काम लें, क़ानून को अपने हाथ में न लें और बोर्ड के निर्देश का इंतज़ार करें.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.