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गोमती रिवर फ्रंट की खूबसूरती पर ग्रहण, 30 मीटर ऊंचे खंभे से हाईमास्ट की चोरी

गोमती रिवरफ्रंट का हाल लगातार बुरा होता जा रहा है. यहां ना केवल हरियाली सूख रही है, बल्कि 30 मीटर ऊंची हाईमास्ट लाइटें (Highmast stolen from 30 meter high pole) व रेलिंग चोरी हो रही हैं. जिसकी जांच का आगाज हो गया है.

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Published : Nov 22, 2022, 1:51 PM IST

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लखनऊ : गोमती रिवरफ्रंट का हाल लगातार बुरा होता जा रहा है. यहां ना केवल हरियाली सूख रही है, बल्कि 30 मीटर ऊंची हाईमास्ट लाइटें (Highmast stolen from 30 meter high pole) व रेलिंग चोरी हो रही हैं. जिसकी जांच का आगाज हो गया है. वहीं सिंचाई विभाग से लखनऊ विकास प्राधिकरण के हाथ गया गोमती रिवरफ्रंट का संरक्षण ठीक से नहीं किया जा रहा है. जिसकी वजह से ही यह बदहाल होता जा रहा है.


रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के तहत गोमती के दोनों किनारों पर लगीं 20 खंभों की हाईमास्ट लाइटें चोरी हो गई हैं. ये खंभे करीब 30 मीटर ऊंचे हैं. ऐसे में खंभे पर चढ़कर लाइटें चुराना मुमकिन नहीं है. खंभे में बने बॉक्स का ताला खोलकर चेन की मदद से इसे झुकाना भी आसान नहीं होता. इस दौरान करंट लगने का भी डर होता है. इन हालात में लाइटें चोरी होने से सिंचाई विभाग के अफसर भी हैरान हैं. माना जा रहा है कि अंदर के किसी व्यक्ति की मिलीभगत से यह चोरियां की गई हैं.


रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को विकसित करने के साथ इसके संचालन और सुरक्षा का जिम्मा सिंचाई विभाग का है. वहीं, एलडीए को दोनों किनारों पर पौधरोपण और लेआउट के मुताबिक काम करवाना है. हाईमास्ट लाइटें चोरी होने के बाद दोनों विभागों के अफसर सक्रिय हो गए हैं. इसके लिए एलडीए ने सिंचाई विभाग को पत्र भेजकर एनओसी देने को कहा है. यह एनओसी मिलने के बाद एलडीए गोमती रिवरफ्रंट पर अपने सिक्यॉरिटी गार्ड और कर्मचारियों को तैनात करने के साथ रखरखाव और मरम्मत करवा सकेगा.


सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक, गोमती के दोनों किनारों पर लगी ग्रिल भी करीब 150 जगह से कटी है. चोर हर जगह 4 से 6 फुट तक लंबी ग्रिल काट ले गए हैं. इस कारण से यहां आने वालों के लिए हादसे का खतरा बना रहता है.

सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि रिवर फ्रंट पर लगीं हाईमास्ट लाइटें कैसे चोरी हुईं, इसकी रिपोर्ट तलब की गई है. रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्यवाही होगी. इस संबंध में एलडीए से भी बात चल रही है. एलडीए उपाध्यक्ष डॉ इंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि लाइटें चोरी होने की सूचना मिली है, लेकिन यह सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी है. हमने एनओसी देने को कहा है. एनओसी मिलने के बाद हम जिम्मेदारी उठा सकेंगे.

कुछ अहम बिंदु

- 30 मीटर ऊंचा एक हाईमास्ट टावर लगाने में 16 से 20 लाख रुपये की लागत आती है.
- हाईमास्ट लाइट का एक सेट 7 से 10 हजार रुपये में आता है.

यह भी पढ़ें : लखनऊ में बेखौफ बदमाशों ने फर्नीचर व्यापारी को मारी गोली, हालत गंभीर

लखनऊ : गोमती रिवरफ्रंट का हाल लगातार बुरा होता जा रहा है. यहां ना केवल हरियाली सूख रही है, बल्कि 30 मीटर ऊंची हाईमास्ट लाइटें (Highmast stolen from 30 meter high pole) व रेलिंग चोरी हो रही हैं. जिसकी जांच का आगाज हो गया है. वहीं सिंचाई विभाग से लखनऊ विकास प्राधिकरण के हाथ गया गोमती रिवरफ्रंट का संरक्षण ठीक से नहीं किया जा रहा है. जिसकी वजह से ही यह बदहाल होता जा रहा है.


रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के तहत गोमती के दोनों किनारों पर लगीं 20 खंभों की हाईमास्ट लाइटें चोरी हो गई हैं. ये खंभे करीब 30 मीटर ऊंचे हैं. ऐसे में खंभे पर चढ़कर लाइटें चुराना मुमकिन नहीं है. खंभे में बने बॉक्स का ताला खोलकर चेन की मदद से इसे झुकाना भी आसान नहीं होता. इस दौरान करंट लगने का भी डर होता है. इन हालात में लाइटें चोरी होने से सिंचाई विभाग के अफसर भी हैरान हैं. माना जा रहा है कि अंदर के किसी व्यक्ति की मिलीभगत से यह चोरियां की गई हैं.


रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को विकसित करने के साथ इसके संचालन और सुरक्षा का जिम्मा सिंचाई विभाग का है. वहीं, एलडीए को दोनों किनारों पर पौधरोपण और लेआउट के मुताबिक काम करवाना है. हाईमास्ट लाइटें चोरी होने के बाद दोनों विभागों के अफसर सक्रिय हो गए हैं. इसके लिए एलडीए ने सिंचाई विभाग को पत्र भेजकर एनओसी देने को कहा है. यह एनओसी मिलने के बाद एलडीए गोमती रिवरफ्रंट पर अपने सिक्यॉरिटी गार्ड और कर्मचारियों को तैनात करने के साथ रखरखाव और मरम्मत करवा सकेगा.


सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक, गोमती के दोनों किनारों पर लगी ग्रिल भी करीब 150 जगह से कटी है. चोर हर जगह 4 से 6 फुट तक लंबी ग्रिल काट ले गए हैं. इस कारण से यहां आने वालों के लिए हादसे का खतरा बना रहता है.

सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि रिवर फ्रंट पर लगीं हाईमास्ट लाइटें कैसे चोरी हुईं, इसकी रिपोर्ट तलब की गई है. रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्यवाही होगी. इस संबंध में एलडीए से भी बात चल रही है. एलडीए उपाध्यक्ष डॉ इंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि लाइटें चोरी होने की सूचना मिली है, लेकिन यह सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी है. हमने एनओसी देने को कहा है. एनओसी मिलने के बाद हम जिम्मेदारी उठा सकेंगे.

कुछ अहम बिंदु

- 30 मीटर ऊंचा एक हाईमास्ट टावर लगाने में 16 से 20 लाख रुपये की लागत आती है.
- हाईमास्ट लाइट का एक सेट 7 से 10 हजार रुपये में आता है.

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