लखनऊ: उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा अपीलीय अधिकरण (रेरा) लखनऊ में आउटसोर्सिंग के आधार पर वर्ष 2019 से कार्यरत कर्मचारियों को निकाले जाने का मामला आखिरकार हाईकोर्ट पहुंच गया है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दाखिल कर कर्मचारियों को निकाले जाने को विधि विरुद्ध बताते हुए इसे रद्द किये जाने की मांग की गई है. मामले पर अगली सुनवाई के लिए न्यायालय ने 10 मई की तिथि नियत की है.
शासनादेश को दर किनार करते हुए चयन सूची की गई जारी
यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने धर्मेंद्र सिंह और अन्य की याचिका पर पारित किया. याचियों के अधिवक्ता रवि सिंह और शौनक सिंह के अनुसार यूपी भू-सम्पदा अपीलीय अधिकरण में करीब 2 वर्ष से कार्य कर रहे कर्मचारियों को 1 अप्रैल 2021 को निकाल दिया गया और नई भर्तियां की जा रही हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि रेरा अपीलीय ट्रिब्यूनल में फरवरी माह में ए स्क्वायर एजेंसी के माध्यम से अतिरिक्त कर्मचारियों को उपलब्ध कराने की मांग की गई तथा सरकारी शासनादेश को दर किनार करते हुए चयन सूची जारी की गई. जिसमें रेरा ट्रिब्यूनल में कार्यरत कई कर्मचारियों के नाम नहीं हैं. आरोप लगाया गया कि अधिकारीगण अपने जानने वालों की भर्ती कर रहे हैं. वहीं आउटसोर्सिंग कंपनी ए स्क्वायर एजेंसी ने भी इसे शासनादेशों का उल्लंघन और विधि विरुद्ध बताया है.