लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि, वह हाथरस गैंगरेप मामले में पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को नौकरी, परिवार को पेंशन और कृषि भूमि इत्यादि दिलाए जाने के मुद्दे पर विचार करेगा. न्यायालय ने इस सम्बंध में एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम और इसके तहत बने विनियम के कानूनी पहलुओं पर अगली तिथि पर सुनवाई करने को कहा है. साथ ही अगली तिथि 24 सितंबर तय की है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने हाथरस गैंगरेप मामले में स्वतः संज्ञान द्वारा 'गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार' टाइटिल से दर्ज जनहित याचिका पर उक्त आदेश पारित किया. सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार की अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा मिल चुका है.
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वहीं मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर ने न्यायालय को बताया कि उक्त अधिनियम और इसके तहत बने विनियम के अंतर्गत मृतक के आश्रित को पांच हजार रुपये पेंशन, परिवार के एक सदस्य को नौकरी, कृषि भूमि, मकान और स्नातक तक की पढ़ाई का खर्च इत्यादि दिए जाने का प्रावधान है. हालांकि मकान, नौकरी अथवा पेंशन का लाभ परिवार को अब तक नहीं दिया गया है.
इस पर न्यायालय ने मामले से जुड़े सभी अधिवक्ताओं को अगली सुनवाई पर परिवार को दी जा चुकी सुविधाएं और कानून के तहत जो सुविधाएं उन्हें दी जा सकती हैं, इन पहलुओं पर संबोधित करने को कहा है.