लखनऊ : कथित दुराचार व लूटपाट के मामले में शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति फैज आलम खान की एकल पीठ ने रिजवी की अग्रिम जमानत याचिका पर पारित किया है. इस मामले की रिपोर्ट पीड़िता ने 15 जुलाई 2021 को सआदतगंज थाने में दर्ज कराई थी.
कथित दुराचार व लूटपाट के मामले में शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी की अग्रिम जमानत याचिका गुरुवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी है. वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी के विरुद्ध दुराचार व लूटपाट का आरोप है. यह आदेश न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की एकल पीठ ने रिजवी की अग्रिम जमानत याचिका पर पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई कि उसके खिलाफ पीड़िता ने 15 जुलाई 2021 को सहादतगंज थाने में उक्त एफआईआर दर्ज कराई थी. कहा गया कि याची ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कुरान की कुछ आयतों को हटाने की मांग की थी. इसके कारण वह कट्टरपंथियों के निशाने पर है. कहा गया कि वर्तमान एफआईआर भी याची के खिलाफ साजिश का हिस्सा है.
याचिका का विरोध करते हुए पीड़िता के अधिवक्ता की दलील थी कि याची इस मामले में फरार चल रहा है. यही कारण है कि पुलिस ने उसकी फरारी की उद्घोषणा के लिए निचली अदालत में सीआरपीसी की धारा 82 के तहत प्रार्थना पत्र दिया हुआ है. राज्य सरकार के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि याची के विरुद्ध 35 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. एफआईआर में कहा गया है कि चार साल पहले वसीम रिजवी पीड़िता के पति की गैर मौजूदगी में कमरे में घुस आया और जबरन दुराचार किया, इस दौरान उसने पीड़िता की अश्लील फोटो भी खींच. यह भी आरोप है कि फोटो को वायरल करने के नाम पर वसीम रिजवी ने कई बार उसके साथ दुराचार किया तथा विरोध करने पर उसे मारा-पीटा व मोबाइल, पर्स एवं डीएल छीन लिया. वहीं वसीम रिजवी की ओर कहा गया था कि पीड़िता का पति उसके यहां ड्राइवर था तथा उनकी व्यक्तिगत जानकारी दूसरों को देने के कारण उसे नौकरी से निकाल दिया गया था तथा जो कमरा उसे रहने के लिए दिया गया था उसे खाली करा लिया गया था.