लखनऊः राजधानी के अलीगंज थानाक्षेत्र में 16 जुलाई की हुए सुमित मिश्रा हत्याकांड (Sumit Murder Case) मामले में पुलिस की गर्दन फसती नजर आ रही है. घटना के मुख्य आरोपी आयुष पांडेय के पिता की याचिका पर हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को तलब किया है.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने आयुष पांडेय के पिता ललितकांत पांडेय की याचिका पर सुनवाई की. याचिका में अभियुक्त की गिरफ्तारी पर रोक लगाने तथा इस मामले में दर्ज वर्तमान एफआईआर को खारिज किए जाने की मांग की गई है. याची की ओर से दलील दी गई कि वास्तव में सुमित मिश्रा की मृत्यु पुलिस पिटाई से हुई थी. पुलिस ने खुद को बचाने के लिए उसे और अन्य लोगों को फंसा दिया है.
इसे भी पढ़ें- क्या पुलिस की पिटाई से हुई थी सुमित मिश्र की मौत? देखें वीडियो...
याचिका में अपने दावे की पुष्टि के लिए याची ने वीडियो क्लीपिंग्स का भी हवाला दिया. न्यायालय ने पुलिस आयुक्त को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर जवाब देने के साथ ही यह भी बताने का आदेश दिया है कि वर्तमान याची के विरुद्ध अब तक क्या साक्ष्य सामने आए हैं. उल्लेखनीय है कि अलीगंज थाना क्षेत्र में 16 जुलाई को सुमित मिश्रा नाम के युवक की अगवा कर हत्या कर देने के आरोप में पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. बाद में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसके आधार पर दावा किया गया है कि मृतक की जान पुलिस की पिटाई से गई है.
जाने क्या है पूरा मामला
अलीगंज के त्रिवेणी नगर निवासी सुमित मिश्रा ने ललित पांडेय की बेटी से लव मैरिज की थी, लेकिन शादी के कुछ महीने बाद ही दोनों में अनबन हो गई. जब ललित की बेटी वापस मायके पहुंची तो ललित ने उससे सुमित के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा करवा दिया. इसके बाद उनके परिवार और सुमित के बीच विवाद और बढ़ गया. 16 जुलाई की रात सुमित अपने दोस्त के साथ गल्ला मंडी के पास एक होटल पर खाना खा रहा था. तभी ललित का बेटा आयुष अपने दोस्तों के साथ पहुंचा और सुमित की पिटाई कर दी. इससे वह घायल हो गया था, सुमित को अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई थी.