लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (High Court Lucknow Bench) ने लखनऊ-प्रयागराज हाईवे (Lucknow-Prayagraj Highway) का कार्य अब तक पूर्ण न हो पाने के मामले में सख्त रुख अपनाया है. न्यायालय ने काम पूरा होने में लगने वाला समय और अब तक हुई देरी का कारण स्पष्ट न होने पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पूर्वी उत्तर प्रदेश के रीजनल अधिकारी को तलब किया है.
इसके साथ ही न्यायालय ने एनएचएआई के चेयरमैन को 16 अगस्त तक हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि रायबरेली से प्रयागराज के बीच का काम कब तक पूरा हो जाएगा व आखिर उक्त हाईवे का काम पूरा होने में इतना अधिक वक्त क्यों लग रहा है. मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी (Justice Rituraj Awasthi) और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने उक्त हाईवे के निर्माण को लेकर दर्ज एक स्वतः संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान दिया. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान एनएचएआई के अधिवक्ता न्यायालय को यह नहीं बता पाए कि उक्त हाईवे का काम कब तक पूरा हो जाएगा और न ही वह काम में हुई देरी का कारण स्पष्ट कर सके. न्यायालय ने रीजनल अधिकारी को रिकॉर्ड के साथ कोर्ट आकर यह बताने को कहा है कि फोर लेन सड़क व डिवाइडर का काम कब तक पूरा होगा.
उल्लेखनीय है कि सेंट्रल बार एसोसिएशन (Central Bar Association) की ओर से दाखिल एक अन्य याचिका पर भी न्यायालय रायबरेली रिंग रोड का काम अब तक पूरा न होने पर सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय से जवाब तलब कर चुकी है. न्यायालय ने पूछा है कि वर्ष 2015 में शुरू हुआ रिंग रोड का काम अब तक पूर्ण क्यों नहीं हो पाया.
इसे भी पढ़ें- पॉक्सो कोर्ट ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक को किया तलब, ये है मामला