ETV Bharat / state

लखनऊ: रिश्वत के मामले की जांच पर कोर्ट का सख्त रुख

विजिलेंस की टीम ने दलाल कुशाल कुमार को तीन हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन उस दौरान यह दोनों लोकसेवक मुल्जिम भाग गए थे. वहीं इस मामले में जांच पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है.

लखनऊ हाई कोर्ट.
author img

By

Published : Jul 6, 2019, 11:41 AM IST

लखनऊ: रिश्वत के एक मामले में मुल्जिम लोकसेवकों के खिलाफ दो साल से प्रचलित विवेचना पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने सख्त रुख अख्तियार किया है. एडीजे मुकेश कुमार सिंह ने इस संदर्भ में भ्रष्टाचार निवारण संगठन से सवाल जवाब किया है. कोर्ट ने पूछा है कि विवेचना की वर्तमान स्थिति क्या है. अभी तक पुलिस रिपोर्ट दाखिल क्यों नहीं किए गए और अब तक कितने विवेचकों ने विवेचना की है.

क्या है पूरा मामला

सरकारी वकील ज्वाला प्रसाद शर्मा के मुताबिक अगस्त 2017 में इसकी शिकायत राजीव कुमार सिंह ने विजिलेंस को दर्ज कराई थी. वाहन की नीलामी की रकम उनके एकाउंट में स्थानांतरित करने के लिए आरटीओ के प्रधान लेखाकर अजय कुमार और सहायक लेखाकर राजीव सक्सेना एक दलाल कुशल कुमार के जरिए उनसे पांच हजार की रिश्वत मांग रहे थे. विजिलेंस की टीम ने दलाल कुशाल कुमार को तीन हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन उस दौरान यह दोनों लोकसेवक मुल्जिम भाग गए थे. विजिलेंस के इंसपेक्टर सुंदर सिंह सोलंकी ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई. विवेचना के बाद सिर्फ कुशल कुमार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हुआ. उसके मुकदमे का विचारण भी शुरू हो गया. गवाही के दौरान इंसपेक्टर सुंदर सिंह सोलंकी व शिकायतकर्ता ने लोकसेवक मुल्जिमों के खिलाफ भी स्पष्ट साक्ष्य दिया, लेकिन दो साल हो गए, अभी तक उन दोनों के मामले में विवेचना प्रचलित है.

मोबाइल का कॉल डिटेल दाखिल किया जाए

  • इस मामले में कुछ तथ्यों का साक्ष्य भी दाखिल करने का आदेश दिया है.
  • घटना के दो माह पहले और एक माह बाद तक तीनों मुल्जिमों की मोबाइल का कॉल डिटेल दाखिल किया जाए.
  • साथ ही घटना के एक हफ्ते पहले तक का आरटीओ आफिस का सीसीटीवी फुटेज भी दाखिल किया जाए.
  • अपने आदेश के अनुपालन के लिए इसकी प्रति भ्रष्टाचार निवारण संगठन के अपर पुलिस महानिदेशक को भेजने का निर्देश दिया है.

कानूनी प्रावधानों के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामलों का दो साल में निपटारा करना होता है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि इस मामले में लोकसेवक मुल्जिमों के खिलाफ दो साल से विवेचना ही प्रचलित है. जबकि एक गैर लोकसेवक मुल्जिम के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व आईपीसी की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया. अब मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी.

लखनऊ: रिश्वत के एक मामले में मुल्जिम लोकसेवकों के खिलाफ दो साल से प्रचलित विवेचना पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने सख्त रुख अख्तियार किया है. एडीजे मुकेश कुमार सिंह ने इस संदर्भ में भ्रष्टाचार निवारण संगठन से सवाल जवाब किया है. कोर्ट ने पूछा है कि विवेचना की वर्तमान स्थिति क्या है. अभी तक पुलिस रिपोर्ट दाखिल क्यों नहीं किए गए और अब तक कितने विवेचकों ने विवेचना की है.

क्या है पूरा मामला

सरकारी वकील ज्वाला प्रसाद शर्मा के मुताबिक अगस्त 2017 में इसकी शिकायत राजीव कुमार सिंह ने विजिलेंस को दर्ज कराई थी. वाहन की नीलामी की रकम उनके एकाउंट में स्थानांतरित करने के लिए आरटीओ के प्रधान लेखाकर अजय कुमार और सहायक लेखाकर राजीव सक्सेना एक दलाल कुशल कुमार के जरिए उनसे पांच हजार की रिश्वत मांग रहे थे. विजिलेंस की टीम ने दलाल कुशाल कुमार को तीन हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन उस दौरान यह दोनों लोकसेवक मुल्जिम भाग गए थे. विजिलेंस के इंसपेक्टर सुंदर सिंह सोलंकी ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई. विवेचना के बाद सिर्फ कुशल कुमार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हुआ. उसके मुकदमे का विचारण भी शुरू हो गया. गवाही के दौरान इंसपेक्टर सुंदर सिंह सोलंकी व शिकायतकर्ता ने लोकसेवक मुल्जिमों के खिलाफ भी स्पष्ट साक्ष्य दिया, लेकिन दो साल हो गए, अभी तक उन दोनों के मामले में विवेचना प्रचलित है.

मोबाइल का कॉल डिटेल दाखिल किया जाए

  • इस मामले में कुछ तथ्यों का साक्ष्य भी दाखिल करने का आदेश दिया है.
  • घटना के दो माह पहले और एक माह बाद तक तीनों मुल्जिमों की मोबाइल का कॉल डिटेल दाखिल किया जाए.
  • साथ ही घटना के एक हफ्ते पहले तक का आरटीओ आफिस का सीसीटीवी फुटेज भी दाखिल किया जाए.
  • अपने आदेश के अनुपालन के लिए इसकी प्रति भ्रष्टाचार निवारण संगठन के अपर पुलिस महानिदेशक को भेजने का निर्देश दिया है.

कानूनी प्रावधानों के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामलों का दो साल में निपटारा करना होता है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि इस मामले में लोकसेवक मुल्जिमों के खिलाफ दो साल से विवेचना ही प्रचलित है. जबकि एक गैर लोकसेवक मुल्जिम के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व आईपीसी की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया. अब मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी.

Intro:Body:

हाईकोर्ट


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.