लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश के सभी विकास प्राधिकारणों द्वारा जोनल प्लान बनाए जाने को लेकर स्थिति स्पष्ट न करने पर असंतुष्टि जाहिर की है. न्यायालय ने कहा कि इस संबंध में हमारे आदेश के बावजूद राज्य सरकार की ओर से अनुपालन रिपोर्ट अब तक दाखिल नहीं की गई है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 दिसम्बर की तिथि नियत करते हुए स्पष्ट किया है कि यदि अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की जाती तो सचिव, शहरी नियोजन विभाग को कोर्ट के समक्ष हाजिर होना होगा.
इसे भी पढ़ें:- लखनऊः पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अधिवेशन में गूंजा CAB का मुद्दा
न्यायालय ने दिया था मास्टर प्लान बनाने का आदेश
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने राधा रानी सिंह की ओर से दाखिल एक याचिका पर दिया. 16 सितम्बर को इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आदेश दिया था कि आज तक जिन विकास क्षेत्रों का मास्टर प्लान नहीं बना है, वहां इसे बनाकर तत्काल अनुमोदित कराया जाए. इसके साथ ही विकास प्राधिकरणों के गठन के लिए वर्ष 1973 में बने अधिनियम के बावजूद जोनल प्लान न बनने पर असंतुष्टि जाहिर किया गया. सभी प्राधिकरणों को एक साल के भीतर जोनल प्लान तैयार करने का भी आदेश दिया था.
याचिका में याची के घर के पास के एक अवैध निर्माण का मुद्दा उठाया गया था. न्यायालय ने अवैध निर्माण के मामलों को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने का निर्णय लिया था. न्यायलाय ने लखनऊ विकास प्राधिकरण से भी पूछा था कि क्या मास्टर प्लान के साथ-साथ जोनल प्लान बनाया गया है लेकिन अब तक लखनऊ विकास प्राधिकरण की ओर से भी जवाब नहीं दाखिल किया गया. इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया था कि वर्ष 1973 में बने यूपी शहरी नियोजन और विकास अधिनियम के बनने के बाद लखनऊ के लिए पहला मास्टर प्लान पूरे 19 साल बाद बना. जोनल प्लान लखनऊ समेत प्रदेश के किसी विकास प्राधिकरण ने आज तक नहीं बनाया है. जोनल प्लान नगरीय क्षेत्रों के सीमावर्ती इलाकों में चल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के सम्बंध में मॉडल बनाने से सम्बंधित है.
हाईकोर्ट ने एल्डर्स कमेटी को दिया आदेश
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कलेक्ट्रेट परिसर स्थित लखनऊ बार एसोसिएशन के चुनावों की मतगणना कराकर दो दिन के भीतर परिणाम कोर्ट के समक्ष सील कवर में पेश करने के आदेश दिये हैं. इसके साथ ही न्यायालय ने एसएसपी लखनऊ को भी निर्देश दिया है कि चुनावी प्रकिया पूरी करने के लिए एल्डर्स कमेटी को पर्याप्त पुलिस बल मुहैया कराया जाए. न्यायालय ने एल्डर्स कमेटी को भी निर्देश दिया है कि यदि कोई अधिवक्ता या कोई अन्य व्यक्ति मतगणना में बाधा डालता है तो उसका नाम कोर्ट को बताएं.
प्रत्याशियों ने चुनाव में धांधली का लगाया था आरोप
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने लखनऊ बार एसोसिएशन के एल्डर्स कमेटी की ओर से दाखिल एक विचाराधीन रिट याचिका पर पारित किया. न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एल्डर्स कमेटी को 15 अक्टूबर 2019 तक चुनाव कराने का आदेश दिया था और चुनाव परिणाम भी घोषित करने को कहा था. जिसके बाद एल्डर्स कमेटी ने 11 अक्टूबर को चुनाव तो सम्पन्न करा दिये, लेकिन मतगणना शुरू होते ही कुछ प्रत्याशियों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था और यह कहते हुए मतगणना रूकवा दिया कि मतदान के लिए जारी मत पत्र व बायोमिट्रिक की संख्या में अंतर है. विरोध के मद्देनजर एल्डर्स कमेटी ने निर्णय लिया था कि मतपेटियां जिला प्रशासन की निगरानी में रखवा दी जाएं और हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी.