लखनऊः हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है. सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति की जमानत पर रोक लगा दी है. धोखाधड़ी और अवैध वसूली के इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 30 जुलाई को गायत्री प्रजापति की जमानत मंजूर की थी. न्यायालय ने उक्त आदेश के क्रियान्वयन पर अगली सुनवाई तक रोक के साथ-साथ गायत्री को नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 16 नवम्बर को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर दिया. सरकार का पक्ष रखते हुए, अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने दलील दी कि गायत्री के खिलाफ उसी की कम्पनी के एक निदेशक बृज भुवन चौबे ने 17 सितम्बर 2020 को गोमती नगर विस्तार थाने में एफआईआर लिखाई थी. उक्त एफआईआर में गायत्री प्रजापति, अनिल प्रजापति और एक अन्य महिला को नामजद किया गया था. एफआईआर के मुताबिक खरगापुर स्थित उसकी पत्नी के नाम की जमीन धमकी देकर एफआईआर में नामजद महिला के नाम करा दी गई.
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चित्रकूट निवासी इसी महिला ने गायत्री प्रजापति पर दुराचार की एफआईआर दर्ज कराई थी. दलील दी गई कि विचारण न्यायालय ने विवेचना के दौरान लिए गए गवाहों के बयानों और गायत्री प्रजापति के आपराधिक इतिहास पर विचार किए बगैर उसकी जमानत मंजूर कर ली. न्यायालय ने सरकार की दलीलों को सुनने के पश्चात मामले पर विचार की आवश्यकता जताते हुए, ट्रायल कोर्ट के 30 जुलाई के आदेश पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है.