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पंचायत चुनाव में संशोधित आरक्षण को चुनौती, सरकार और चुनाव आयोग से जवाब तलब - लखनऊ न्यूज

हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण सहित कई बिंदुओं पर राज्य सरकार और चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है. पीठ ने पंचायत चुनाव के आरक्षण नियमावली में संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती दिए जाने के कारण महाधिवक्ता को भी नोटिस जारी किया है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.
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Published : Apr 8, 2021, 9:51 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाल ही में यूपी पंचायत राज नियमावली में संशोधन करने और गत 17 मार्च को 2015 को आधार वर्ष मानकर त्रिस्तरीय चुनावों में चक्रानुक्रम आरक्षण करने और 26 मार्च को पंचायत चुनावों की घोषणा करने सम्बंधी शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार व चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. न्यायालय ने नियमावली में संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती देने के कारण महाधिवक्ता को भी नेाटिस जारी कर उनका पक्ष पूछा है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद नियत की है.

यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी और जस्टिस मनीष माथुर की खंडपीठ ने दिलीप कुमार की ओर से अधिवक्ता अमित सिंह भदौरिया द्वारा दाखिल रिट याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए पारित किया. इससे पहले पीठ ने अपने 15 मार्च, 2021 के उस आदेश के खिलाफ याची की ओर से दाखिल पुनरीक्षण अर्जी खारिज कर दी, जिसमें पीठ ने 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण करने का आदेश दिया था.

इसे भी पढ़ें- कोरोना का कहर: हाईकोर्ट में फिजिकल हियरिंग पूर्ण रूप से बंद

पीठ ने अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी कि 2015 को आधार वर्ष बनाने के लिए पंचायती राज नियमावली में आवश्यक संशोधन न किए जाने की याची की दलील में बल नहीं रह जाता, क्योंकि राज्य सरकार ने गत 17 मार्च को इस नियमावली में आवश्यक संशोधन कर दिए. इस अर्जी के साथ याची ने एक नयी याचिका प्रस्तुत कर दी थी, जिस पर भी सुनवाई हुई. इस याचिका में उक्त संशोधन को चुनौती दी गई थी.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाल ही में यूपी पंचायत राज नियमावली में संशोधन करने और गत 17 मार्च को 2015 को आधार वर्ष मानकर त्रिस्तरीय चुनावों में चक्रानुक्रम आरक्षण करने और 26 मार्च को पंचायत चुनावों की घोषणा करने सम्बंधी शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार व चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. न्यायालय ने नियमावली में संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती देने के कारण महाधिवक्ता को भी नेाटिस जारी कर उनका पक्ष पूछा है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद नियत की है.

यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी और जस्टिस मनीष माथुर की खंडपीठ ने दिलीप कुमार की ओर से अधिवक्ता अमित सिंह भदौरिया द्वारा दाखिल रिट याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए पारित किया. इससे पहले पीठ ने अपने 15 मार्च, 2021 के उस आदेश के खिलाफ याची की ओर से दाखिल पुनरीक्षण अर्जी खारिज कर दी, जिसमें पीठ ने 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण करने का आदेश दिया था.

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पीठ ने अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी कि 2015 को आधार वर्ष बनाने के लिए पंचायती राज नियमावली में आवश्यक संशोधन न किए जाने की याची की दलील में बल नहीं रह जाता, क्योंकि राज्य सरकार ने गत 17 मार्च को इस नियमावली में आवश्यक संशोधन कर दिए. इस अर्जी के साथ याची ने एक नयी याचिका प्रस्तुत कर दी थी, जिस पर भी सुनवाई हुई. इस याचिका में उक्त संशोधन को चुनौती दी गई थी.

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