लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow High Court Bench) ने अमेठी जनपद में चल रहे जिला प्रशासन और जिला बार एसोसिएशन के बीच विवाद के मामले में जिलाधिकारी और यूपी बार काउंसिल से अनुरोध किया है कि वे बार एसोसिएशन के सदस्यों के वास्तविक शिकायतों के सम्बंध में साथ बैठकर विमर्श कर, उसका निवारण करें. न्यायालय ने यह भी उम्मीद जताई है कि बार एसोसिएशन के सदस्यों का उत्पीड़न नहीं किया जाएगा.
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने जिला बार एसोसिएशन, अमेठी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि अमेठी का जिला व पुलिस प्रशासन लगातार वकीलों का उत्पीड़न कर रहा है, इसी क्रम में एसडीएम, गौरीगंज ने जिला बार एसोसिएशन के महासचिव का घर गिरवा दिया. कहा गया कि अमेठी में सिविल कोर्ट के निर्माण व राजस्व अदालतों में भारी भ्रष्टाचार को लेकर इत्यादि मुद्दों को लेकर स्थानीय वकील आंदोलित हैं, इसी से नाराज स्थानीय प्रशासन ने एक ही रात में बार के वर्तमान व पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ तीन-तीन एफआईआर दर्ज करावा दीं, यही नहीं उनकी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया.
याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात कहा कि जिला प्रशासन की कार्रवाई को उचित नहीं कहा जा सकता, उनकी कार्रवाई दुर्भावना से ग्रसित थी. न्यायालय ने टिप्पणी की कि बार के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर व उनके विरुद्ध राजस्व मामलों में निर्णय पारित किया जाना यह सबकुछ एक सप्ताह के भीतर हुआ, जो यह दिखाता है कि कार्रवाई नेक नीयत से नहीं की गई. उक्त टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने जिलाधिकारी व बार काउंसिल से अनुरोध करने के साथ-साथ बार के सदस्यों से भी उम्मीद जताई कि वे अपना आचरण अच्छा रखेंगे.