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हाईकोर्ट ने खारिज की शार्ट टर्म जमानत याचिका - हाईकोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने करोड़ों के घोटाले के मामले में निरुद्ध आम्रपाली के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार शर्मा की शार्ट टर्म जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. अनिल कुमार शर्मा ने मेडिकल आधार पर शॉर्ट टर्म जमानत की मांग की थी.

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Published : Dec 13, 2021, 10:07 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने करोड़ों के घोटाले के मामले में निरुद्ध आम्रपाली के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार शर्मा की शार्ट टर्म जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. अनिल कुमार शर्मा ने मेडिकल आधार पर शॉर्ट टर्म जमानत की मांग की थी.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने पारित किया. सुनवाई के दौरान जब न्यायालय ने अनिल कुमार शर्मा के वकील से पूछा क्या अभियुक्त अपना इलाज एम्स, नई दिल्ली के विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम से कराना चाहता है, इस पर अभियुक्त के अधिवक्ता ने जवाब दिया कि उनका मुवक्किल दिल्ली की सेंट्रल जेल में मरना पसंद करेगा लेकिन एम्स में इलाज के लिए नहीं जाएगा.

इस पर न्यायालय ने यह कहते हुए, उसकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया कि अभियुक्त को उसकी मर्जी के प्राइेवट अस्पताल में इलाज की इजाजत नहीं दी जा सकती है जब उसका इलाज एम्स जैसे प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है.

ये भी पढ़ेंः अविनाशी काशी में हर-हर महादेव के साथ गूंजा नमो-नमो...

न्यायालय ने कहा कि वास्तव में अभियुक्त प्राइवेट अस्पताल में चिकित्सीय उपचार के बहाने जेल से बाहर आना चाहता है. न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा है कि अभियुक्त की दूसरी जमानत याचिका 13 मार्च 2021 को खारिज हुई थी. उस समय एम्स के निदेशक ने एक हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया था कि अभियुक्त को एम्स में दाखिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है और न ही उन्हें किसी सर्जरी की आवश्यकता है.

बावजूद इसके अभियुक्त एडमिट होने के लिए अनुचित दबाव बनाता है. उल्लेखनीय है कि अनिल कुमार शर्मा पर फ्लैट खरीददारों का करोड़ों रूपया फर्जी कम्पनियों में लगाने का आरेाप है.

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लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने करोड़ों के घोटाले के मामले में निरुद्ध आम्रपाली के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार शर्मा की शार्ट टर्म जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. अनिल कुमार शर्मा ने मेडिकल आधार पर शॉर्ट टर्म जमानत की मांग की थी.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने पारित किया. सुनवाई के दौरान जब न्यायालय ने अनिल कुमार शर्मा के वकील से पूछा क्या अभियुक्त अपना इलाज एम्स, नई दिल्ली के विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम से कराना चाहता है, इस पर अभियुक्त के अधिवक्ता ने जवाब दिया कि उनका मुवक्किल दिल्ली की सेंट्रल जेल में मरना पसंद करेगा लेकिन एम्स में इलाज के लिए नहीं जाएगा.

इस पर न्यायालय ने यह कहते हुए, उसकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया कि अभियुक्त को उसकी मर्जी के प्राइेवट अस्पताल में इलाज की इजाजत नहीं दी जा सकती है जब उसका इलाज एम्स जैसे प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है.

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न्यायालय ने कहा कि वास्तव में अभियुक्त प्राइवेट अस्पताल में चिकित्सीय उपचार के बहाने जेल से बाहर आना चाहता है. न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा है कि अभियुक्त की दूसरी जमानत याचिका 13 मार्च 2021 को खारिज हुई थी. उस समय एम्स के निदेशक ने एक हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया था कि अभियुक्त को एम्स में दाखिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है और न ही उन्हें किसी सर्जरी की आवश्यकता है.

बावजूद इसके अभियुक्त एडमिट होने के लिए अनुचित दबाव बनाता है. उल्लेखनीय है कि अनिल कुमार शर्मा पर फ्लैट खरीददारों का करोड़ों रूपया फर्जी कम्पनियों में लगाने का आरेाप है.

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