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सरकारी वकीलों की नियुक्ति सूची में दखल से High Court का इनकार

हाईकोर्ट (High Court) की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार द्वारा कुछ दिनों पहले जारी की गई सरकारी वकीलों की नियुक्ति सूची में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है.

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सरकारी वकीलों की नियुक्ति सूची में दखल से हाईकोर्ट का इनकार
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Published : Aug 24, 2022, 8:16 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट (High Court)की लखनऊ बेंच (lucknow bench) ने राज्य सरकार द्वारा कुछ दिनों पहले जारी की गई सरकारी वकीलों की नियुक्ति संबंधी सूची में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने आगे कोई सूची जारी करने पर भी स्थगन आदेश देने से मना कर दिया. हालांकि न्यायालय ने सरकार से सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की जानकारी मांगी है. न्यायालय ने इसके लिए सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने अधिवक्ता रमा शंकर तिवारी व अन्य की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर दिया है. याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए कोई स्पष्ट व पारदर्शी प्रकिया नहीं है. कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के तहत सरकार को इसके लिए पारदर्शी प्रकिया बनानी चाहिए. वहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने स्वच्छ व पारदर्शी प्रकिया पहले से ही बना रखी है और वह एलआर मैनुअल के तहत ही नियुक्तियां करती है.

यह भी जानकारी दी गई कि इस बार की नियुक्तियां महाधिवक्ता की अध्यक्षता में बनी स्क्रीनिंग कमेटी ने फाइनल किया था और आगे भी यही प्रकिया जारी रहेगी. इस पर न्यायालय ने प्रमुख सचिव विधि को शपथ पत्र दाखिल कर नियुक्ति प्रक्रिया का विवरण पेश करने का कहा है.

लखनऊः हाईकोर्ट (High Court)की लखनऊ बेंच (lucknow bench) ने राज्य सरकार द्वारा कुछ दिनों पहले जारी की गई सरकारी वकीलों की नियुक्ति संबंधी सूची में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने आगे कोई सूची जारी करने पर भी स्थगन आदेश देने से मना कर दिया. हालांकि न्यायालय ने सरकार से सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की जानकारी मांगी है. न्यायालय ने इसके लिए सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने अधिवक्ता रमा शंकर तिवारी व अन्य की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर दिया है. याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए कोई स्पष्ट व पारदर्शी प्रकिया नहीं है. कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के तहत सरकार को इसके लिए पारदर्शी प्रकिया बनानी चाहिए. वहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने स्वच्छ व पारदर्शी प्रकिया पहले से ही बना रखी है और वह एलआर मैनुअल के तहत ही नियुक्तियां करती है.

यह भी जानकारी दी गई कि इस बार की नियुक्तियां महाधिवक्ता की अध्यक्षता में बनी स्क्रीनिंग कमेटी ने फाइनल किया था और आगे भी यही प्रकिया जारी रहेगी. इस पर न्यायालय ने प्रमुख सचिव विधि को शपथ पत्र दाखिल कर नियुक्ति प्रक्रिया का विवरण पेश करने का कहा है.

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