लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सहकारी समिति चुनाव में सिर्फ सत्ताधारी दल के ही प्रत्याशियों को नामांकन फॉर्म देने के आरोपों को लेकर दाखिल याचिकाओं को निस्तारित करते हुए फिलहाल कोई हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने सीतापुर और लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारियों की ओर से रिपोर्ट दिए जाने के बाद अपने आदेश में कहा कि चुनाव बाद यदि याचीगण चाहें तो निर्वाचन याचिका दाखिल कर सकते हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने सीतापुर के सानंदीप मिश्रा और लखीमपुर खीरी के विनोद कुमार मिश्रा और एक अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर पारित किया. सीतापुर की याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता शिवम शर्मा ने दलील दी थी कि वहां सहकारी समिति चुनाव के लिए सत्ताधारी दल के अलावा किसी भी अन्य प्रत्याशी को नामांकन फॉर्म ही नहीं दिया जा रहा है. आरोप लगाया गया कि निष्पक्ष चुनाव कराने के बजाय सिर्फ सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों को निर्विरोध जिताने के लिए धांधली कराई जा रही है और यही कारण है कि किसी और को नामांकन फॉर्म उपलब्ध ही नहीं कराया जा रहा है.
इस पर न्यायालय ने गुरुवार को दोनों जनपदों के जिलाधिकारियों से रिपोर्ट तलब किया था. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान सीतापुर के जिलाधिकारी ने कोर्ट को दी अपनी रिपोर्ट में बताया कि वहां नौ नामांकन फॉर्म दिए गए हैं. जबकि खीरी के जिलाधिकारी के मुताबिक 14 निर्वाचन फॉर्म दिए गए हैं. वहीं, याचिकाओं का राज्य चुनाव आयोग के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने विरोध करते हुए दलील दी कि मामला चुनाव से सम्बंधित है. लिहाजा इस मामले में सिर्फ निर्वाचन याचिका ही पोषणीय है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात याचिकाओं को निस्तारित कर दिया.
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