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जल विद्युत निगम वित्तीय अनियमितता मामले में हाईकोर्ट का CBI जांच से इनकार

जल विद्युत निगम के वित्तीय अनियमितता मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने याची को आदेश दिया कि याची सीधे हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर रहा है जबकि उसकी शिकायत सुनने का अधिकार प्रदेश के लोकायुक्त के पास है. न्यायालय ने याची को अपनी शिकायत लोकायुक्त के समक्ष रखने के लिए कहा.

जल विद्युत निगम वित्तीय अनियमितता मामला
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Published : Jan 6, 2021, 9:32 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जल विद्युत निगम में कथित वित्तीय अनियमितता की शिकायतों को लोकायुक्त के समक्ष उठाने के आदेश याची को दिये हैं. हालांकि न्यायालय ने मामले में फिलहाल सीबीआई जांच का आदेश देने से इंकार कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज जायसवाल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने जल विद्युत निगम के पूर्व कर्मचारी नंद कुमार जायसवाल की जनहित याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया था कि पिछले कुछ वर्षों से निगम में कुछ बड़े अधिकारियों की शह पर भारी पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं की बात सामने आई है. याचिका में उक्त अनियमितताओं की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई थी.

पांच जनहित याचिकाएं दाखिल कर चुकी है याची

याची ने यह भी मांग की कि दोषी अधिकारियों से निगम को हुए नुकसान की भरपाई कराए जाने के आदेश भी पारित किये जाएं व उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. हालांकि न्यायालय ने पाया कि याची पहले भी इसी मांग की पांच जनहित याचिकाएं दाखिल कर चुका है.

कोर्ट का आदेश, लोकायुक्त के समक्ष उठाएं मामला

न्यायालय ने कहा कि याची सीधे हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर रहा है जबकि उसकी शिकायत सुनने का अधिकार प्रदेश के लोकायुक्त के पास है. न्यायालय ने याची को अपनी शिकायत लोकायुक्त के समक्ष रखने की अनुमति देते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जल विद्युत निगम में कथित वित्तीय अनियमितता की शिकायतों को लोकायुक्त के समक्ष उठाने के आदेश याची को दिये हैं. हालांकि न्यायालय ने मामले में फिलहाल सीबीआई जांच का आदेश देने से इंकार कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज जायसवाल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने जल विद्युत निगम के पूर्व कर्मचारी नंद कुमार जायसवाल की जनहित याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया था कि पिछले कुछ वर्षों से निगम में कुछ बड़े अधिकारियों की शह पर भारी पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं की बात सामने आई है. याचिका में उक्त अनियमितताओं की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई थी.

पांच जनहित याचिकाएं दाखिल कर चुकी है याची

याची ने यह भी मांग की कि दोषी अधिकारियों से निगम को हुए नुकसान की भरपाई कराए जाने के आदेश भी पारित किये जाएं व उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. हालांकि न्यायालय ने पाया कि याची पहले भी इसी मांग की पांच जनहित याचिकाएं दाखिल कर चुका है.

कोर्ट का आदेश, लोकायुक्त के समक्ष उठाएं मामला

न्यायालय ने कहा कि याची सीधे हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर रहा है जबकि उसकी शिकायत सुनने का अधिकार प्रदेश के लोकायुक्त के पास है. न्यायालय ने याची को अपनी शिकायत लोकायुक्त के समक्ष रखने की अनुमति देते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

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