लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डॉ. बद्री विशाल को परिवार कल्याण के महानिदेशक के पद से हटाए जाने पर राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि एक भर्ती के सम्बंध में अनुचित दबाव न मानने पर उन्हें हटाया गया है. मामले की अगली सुनवाई लॉक डाउन समाप्त होने के पश्चात होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने डॉ. बद्री विशाल की ओर से दाखिल सेवा सम्बंधी याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया है कि 19 अप्रैल 2020 को एक आदेश पारित करते हुए डॉ. बद्री विशाल से चार्ज ले लिया गया व उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया गया. याची की ओर से उक्त आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया है कि उन्हें हटाने का कोई कारण नहीं बताया गया जिससे स्पष्ट है कि सरकार के पास इस आपात काल में इतने महत्वपूर्ण पद पर तैनात अफसर को हटाने का कोई यथोचित कारण नहीं था.
याची की अधिवक्ता का कहना है कि सरकार ने डॉ. बद्री विशाल के स्थान पर डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी को अस्थायी रूप से तैनात किया है जिससे सरकार की अनावश्यक हड़बड़ी साफ दिखती है. अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि याची को हटाने का मुख्य कारण स्वास्थ्य कार्यकर्ता (पुरुष) पद पर भर्ती के संबंध में उन पर डाला जा रहा अनुचित दवाब था.
वहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा हुई सुनवाई में याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने दलील दी कि राज्य में गम्भीर मेडिकल इमरजेंसी के हालात हैं जिनकी वजह से याची से चार्ज लिया गया है. उन्होंने न्यायालय से सम्बंधित रिकॉर्ड को जवाबी हलफनामा के साथ दाखिल किये जाने के लिए समय दिये जाने की मांग की जिसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने तीन सप्ताह का समय सरकार को जवाबी हलफनामा व उसके बाद के एक सप्ताह का समय याची को प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए दिया है.