लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रमुख सचिव आवास व शहरी नियोजन को दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है. कहा गया है कि विकास क्षेत्रों में मास्टर प्लान व जोनल प्लान तैयार नहीं है, उनके मास्टर व जोनल प्लान कब तक तैयार हो जाएंगे. न्यायालय ने इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के भी आदेश दिए हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने राधा रानी सिंह की याचिका पर दिया. याची के अधिवक्ता सौरभ यादव का कहना था कि उसके घर के बगल में बेसमेंट का अवैध निर्माण हो रहा है, जिसके चलते उसके मकान में दरारें आ गईं हैं.
याचिका पर सुनवाई करते हुए अवैध निर्माण की समस्या पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने 16 सितम्बर 2019 को मामले को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज किया. इस मामले में आदेश दिया था कि जिन विकास क्षेत्रों का मास्टर प्लान आज तक नहीं बना है. वहां इसे बनाकर तत्काल अनुमोदित कराया जाए. इसके साथ ही विकास प्राधिकरणों के गठन के लिए वर्ष 1973 में बने अधिनियम के बावजूद जोनल प्लान न बनने पर असंतुष्टि जाहिर की. सभी प्राधिकरणों को एक साल के भीतर जोनल प्लान तैयार करने का भी आदेश दिया था.
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याचिका पर जवाब देते हुए प्रमुख सचिव की ओर से हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि मात्र तीन विकास प्राधिकरणों, लखनऊ, वाराणसी और फिरोजाबाद-शिकोहाबाद ने मास्टर प्लान तैयार किया है. प्रदेश के बाकी के 26 विकास प्राधिकरणों का वर्ष 2031 का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसे जनवरी 2021 तक लागू करवा दिया जाएगा. शपथ पत्र में यह भी आश्वासन दिया गया कि मास्टर प्लान संस्तुत होने के तीन महीने के भीतर सभी के जोनल प्लान भी तैयार कर लिए जाएंगे.
न्यायालय ने जवाब पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए इसे बेकार बताया. न्यायालय ने कहा कि हमारे 16 सितम्बर 2019 के आदेश के अनुपालन में त्वरित कदम नहीं उठाए गए हैं. प्रमुख सचिव को एक और मौका देते हुए न्यायालय ने दो सप्ताह में लखनऊ, वाराणसी और फिरोजाबाद-शिकोहाबाद विकास प्राधिकरणों के जोनल प्लान व बाकी के 26 विकास प्राधिकरणों के मास्टर प्लान तैयार होने की समय सीमा बताने को कहा है.