लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लेवाना होटल अग्निकांड मामले (levana hotel fire case) में सरकार और फायर डिपार्टमेंट के जवाब पर असंतुष्टि जाहिर की है. न्यायालय ने चीफ फायर ऑफिसर के हलफनामे पर गौर करते हुए कहा कि नोटिस तो तमाम लोगों को भेजी गई लेकिन कार्रवाई कितनों पर हुई, यह स्पष्ट नहीं है. पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने के विषय पर भी सरकार के जवाब को न्यायालय ने असंतोषजनक बताया. मामले की अगली सुनवाई 7 दिसम्बर को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने लेवाना सुइट्स होटल में आग की घटना नाम से स्वतः संज्ञान लेते हुए दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया. न्यायालय ने इस मामले की पिछली सुनवाई पर ही सरकार, एलडीए और चीफ फायर ऑफिसर से विस्तृत जवाब मांगा था. न्यायालय के आदेश के अनुपालन में एलडीए वीसी और चीफ फायर ऑफिसर कोर्ट के समक्ष हाजिर हुए. चीफ फायर ऑफिसर की ओर से एक हलफनामा पेश किया गया, जिसमें 94 ऐसे भवनों को नोटिस जारी किए जाने की जानकारी दी गई, जिनमें फायर सिस्टम को लेकर अनियमितता पाई गई. न्यायालय ने उनके हलफनामे पर गौर करने के उपरांत पूछा कि क्या किसी भवन को सील भी किया गया है.
न्यायालय ने आगे कहा कि नोटिस पर जवाब देने का समय तीस दिन है, यदि इन तीस दिनों के बीच कोई और हादसा हो जाता है तो विभाग क्या करेगा. वहीं न्यायालय ने एलडीए को सर्वेक्षण करने के उपरांत विस्तृत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा था कि शहर में कितने भवन एलडीए के बॉयलॉज का उल्लंघन करते हुए बनाए गए हैं और उन पर क्या कार्रवाई की गई.
एलडीए की ओर से कहा गया कि उनका जवाबी हलफनामा लगभग तैयार है कुछ और समय उसे दाखिल करने के लिए दिया जाए. वहीं पीड़ितों को क्षतिपूर्ति दिए जाने के विषय पर न्यायालय ने पूछा कि सरकार ने चार लाख रुपये की क्षतिपूर्ति इस मामले में तय की है, हम जानना चाहते हैं कि यह राशि तय करने का क्या आधार सरकार के पास है.
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