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राजा भैया की पत्नी को बड़ी राहत, तत्काल गिरफ्तारी पर रोक: बहन ने ही कराया है मानहानि का केस

राजा भैया की पत्नी भानवी सिंह को हाईकोर्ट ने फौरी राहत दे दी है. कोर्ट ने भावनी सिंह की तत्काल गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है, लेकिन एफआईआर निरस्त करने से इंकार कर दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 5, 2023, 9:55 PM IST

Updated : Dec 6, 2023, 9:31 AM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया की पत्नी भानवी सिंह के विरुद्ध हजरतगंज थाने में दर्ज एफआईआर में फौरी राहत दी है. न्यायालय ने मामले के विवेचनाधिकारी को आदेश दिया है कि उक्त मामले में सभी धाराएं सात वर्ष से कम सजा की हैं. लिहाजा सभी आवश्यक बयान दर्ज किए जाएं व सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरनेश कुमार मामले में दिए दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए. इस आदेश के साथ न्यायालय ने याचिका को निस्तारित करते हुए, एफआईआर निरस्त करने से इंकार कर दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने भानवी कुमारी सिंह की याचिका पर पारित किया है. याचिका में याची के विरुद्ध हजरतगंज थाने में धारा 500, 509 व 120 बी के तहत दर्ज एफआईआर को रद् करने की मांग की गई थी. उक्त एफआईआर में वादिनी साध्वी सिंह ने आरोप लगाया है कि उसकी बहन भानवी कुमारी सिंह ने एक न्यूज चैनल के वाइस चेयरमैन, पत्रकार व एंकर के साथ मिलकर उसका सामाजिक व चारित्रिक हनन किया है.


याची की ओर से दलील दी गई कि वह न्यूज चैनल के किसी भी व्यक्ति से नहीं मिली और वादिनी के विरुद्ध खबर प्रसारित होने के जिम्मेदार सिर्फ चैनल है. हालांकि बहस के दौरान न्यायालय ने याची के अधिवक्ता से पूछा कि याची के बयान के आधार पर ऐसी खबर प्रसारित करने के लिए क्या उसकी ओर से उक्त चैनल के विरुद्ध कोई शिकायत आदि की गई. जिसके जवाब में याची के अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि याची द्वारा चैनल के विरुद्ध कोई शिकायत नहीं की गई है. इस पर न्यायालय ने टिप्पणी की कि यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि याची उक्त चैनल पर प्रसारित सामग्री के लिए जिम्मेदार है अथवा नहीं. हालांकि न्यायालय ने मामले में लगी धाराओं को देखते हुए, अरनेश कुमार मामले में दिए दिशा निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया की पत्नी भानवी सिंह के विरुद्ध हजरतगंज थाने में दर्ज एफआईआर में फौरी राहत दी है. न्यायालय ने मामले के विवेचनाधिकारी को आदेश दिया है कि उक्त मामले में सभी धाराएं सात वर्ष से कम सजा की हैं. लिहाजा सभी आवश्यक बयान दर्ज किए जाएं व सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरनेश कुमार मामले में दिए दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए. इस आदेश के साथ न्यायालय ने याचिका को निस्तारित करते हुए, एफआईआर निरस्त करने से इंकार कर दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने भानवी कुमारी सिंह की याचिका पर पारित किया है. याचिका में याची के विरुद्ध हजरतगंज थाने में धारा 500, 509 व 120 बी के तहत दर्ज एफआईआर को रद् करने की मांग की गई थी. उक्त एफआईआर में वादिनी साध्वी सिंह ने आरोप लगाया है कि उसकी बहन भानवी कुमारी सिंह ने एक न्यूज चैनल के वाइस चेयरमैन, पत्रकार व एंकर के साथ मिलकर उसका सामाजिक व चारित्रिक हनन किया है.


याची की ओर से दलील दी गई कि वह न्यूज चैनल के किसी भी व्यक्ति से नहीं मिली और वादिनी के विरुद्ध खबर प्रसारित होने के जिम्मेदार सिर्फ चैनल है. हालांकि बहस के दौरान न्यायालय ने याची के अधिवक्ता से पूछा कि याची के बयान के आधार पर ऐसी खबर प्रसारित करने के लिए क्या उसकी ओर से उक्त चैनल के विरुद्ध कोई शिकायत आदि की गई. जिसके जवाब में याची के अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि याची द्वारा चैनल के विरुद्ध कोई शिकायत नहीं की गई है. इस पर न्यायालय ने टिप्पणी की कि यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि याची उक्त चैनल पर प्रसारित सामग्री के लिए जिम्मेदार है अथवा नहीं. हालांकि न्यायालय ने मामले में लगी धाराओं को देखते हुए, अरनेश कुमार मामले में दिए दिशा निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया.


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Last Updated : Dec 6, 2023, 9:31 AM IST
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