लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एकमात्र मुकदमे के आधार पर हिस्ट्रीशीट खोलने और दोषमुक्त होने के बावजूद उसे बंद न करने के एक मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. न्यायालय ने जवाब देने के लिए सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने नवमी लाल की याचिका पर पारित किया.
मामला अयोध्या जनपद के बीकापुर कोतवाली थाना का है. याची के अधिवक्ता चंदन श्रीवास्तव ने याचिका में कहा कि वर्ष 2009 में दर्ज हुए एक आपराधिक मुकदमे के आधार पर याची के विरुद्ध हिस्ट्रीशीट खोल दी गई. याची उक्त मुकदमे में नामजद नहीं था. लेकिन विवेचना में उसकी संलिप्तता दिखाते हुए अभियुक्त बना दिया गया.
याचिका में कहा गया है कि उक्त मुकदमे में भी याची बरी किया जा चुका है, बावजूद इसके उसकी हिस्ट्रीशीट बंद नहीं की जा रही है. यह भी दलील दी गई है कि यूपी पुलिस रेग्युलेशंस के तहत पेशेवर अथवा स्थायी अपराधियों के विरुद्ध ही हिस्ट्रीशीट खोलने का प्रावधान है. इसके साथ ही दो साल की निगरानी में यदि हिस्ट्रीशीटर के विरुद्ध कोई शिकायत नहीं पाई जाती और उसकी गतिविधि सामान्य रहती है तो निगरानी बंद करते हुए, हिस्ट्रीशीट बंद कर दी जानी चाहिए.
याचिका में कहा गया कि वर्तमान मामले में याची के विरुद्ध वर्ष 2009 के बाद कोई आपराधिक मामला नहीं दर्ज किया गया है और इतने सालों में उसकी गतिविधि भी संदिग्ध नहीं पाई गई है. बावजूद इसके स्थानीय पुलिस याची की हिस्ट्रीशीट बंद नहीं कर रही है. याची की ओर से यह भी दलील दी गई कि उसे व्यवसाय इत्यादि करने में भी उक्त हिस्ट्रीशीट की वजह से दिक्कतें आ रही हैं. जोकि संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
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