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डीआरटी व डीआरएटी में रिक्त पदों को न भरने पर हाईकोर्ट के केंद्र सरकार को लगाई फटकार

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Published : Feb 9, 2022, 9:38 AM IST

हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को डेब्ट रिकवरी ट्रिब्युनल्स व डेब्ट रिकवरी अपीलेट ट्रिब्युनल्स में चेयरमैन व पीठासीन अधिकारियों के पद खाली पड़े रहने पर केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई.

हाईकोर्ट लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट लखनऊ बेंच

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को डेब्ट रिकवरी ट्रिब्युनल्स व डेब्ट रिकवरी अपीलेट ट्रिब्युनल्स में चेयरमैन व पीठासीन अधिकारियों के पद खाली पड़े रहने पर केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई. न्यायालय ने फटकार लगाते हुए यहां तक कहा कि ट्रिब्युनल्स के इन पदों पर यदि सक्षम व्यक्तियों की नियुक्ति सरकार नहीं कर सकती तो बेहतर होगा सम्बंधित कानून को ही खत्म कर दे. इसके साथ ही न्यायालय सचिव, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने केनरा बैंक की ओर से दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. याचिकाओं में डेब्ट रिकवरी ट्रिब्युनल लखनऊ के 19 जनवरी और 3 जनवरी के आदेशों को चुनौती दी गई है. कहा गया कि उक्त याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि डेब्ट रिकवरी अपीलेट ट्रिब्युनल के पीठासीन अधिकारी का पद तीन महीने से रिक्त है.

यह भी पढ़ें: थर्ड डिग्री का मामला : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजीपी से एक सप्ताह में मांगा हलफनामा

न्यायालय ने कहा कि रिकवरी ऑफ डेब्ट एंड बैंकरप्सी एक्ट के तहत इन ट्रिब्युनल्स व अपीलेट ट्रिब्युनल्स की स्थापना की गई, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वहां महीनों और वर्षों से पद रिक्त हैं जिसकी वजह से वादकारियों को हाईकोर्ट आना पड़ रहा है. न्यायालय ने कहा कि यदि सरकार नियुक्ति करने में सक्षम नहीं है तो बेहतर होगा वह कानून ही खत्म कर दे और इन ट्रिब्युनल्स को बंद कर दे. न्यायालय ने कहा कि सचिव, वित्त मंत्रालय दो सप्ताह में जवाब दें कि देश भर में खाली पड़े इन पदों को भरने से सरकार को क्या चीज रोक रही है. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को डेब्ट रिकवरी ट्रिब्युनल्स व डेब्ट रिकवरी अपीलेट ट्रिब्युनल्स में चेयरमैन व पीठासीन अधिकारियों के पद खाली पड़े रहने पर केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई. न्यायालय ने फटकार लगाते हुए यहां तक कहा कि ट्रिब्युनल्स के इन पदों पर यदि सक्षम व्यक्तियों की नियुक्ति सरकार नहीं कर सकती तो बेहतर होगा सम्बंधित कानून को ही खत्म कर दे. इसके साथ ही न्यायालय सचिव, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने केनरा बैंक की ओर से दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. याचिकाओं में डेब्ट रिकवरी ट्रिब्युनल लखनऊ के 19 जनवरी और 3 जनवरी के आदेशों को चुनौती दी गई है. कहा गया कि उक्त याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि डेब्ट रिकवरी अपीलेट ट्रिब्युनल के पीठासीन अधिकारी का पद तीन महीने से रिक्त है.

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न्यायालय ने कहा कि रिकवरी ऑफ डेब्ट एंड बैंकरप्सी एक्ट के तहत इन ट्रिब्युनल्स व अपीलेट ट्रिब्युनल्स की स्थापना की गई, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वहां महीनों और वर्षों से पद रिक्त हैं जिसकी वजह से वादकारियों को हाईकोर्ट आना पड़ रहा है. न्यायालय ने कहा कि यदि सरकार नियुक्ति करने में सक्षम नहीं है तो बेहतर होगा वह कानून ही खत्म कर दे और इन ट्रिब्युनल्स को बंद कर दे. न्यायालय ने कहा कि सचिव, वित्त मंत्रालय दो सप्ताह में जवाब दें कि देश भर में खाली पड़े इन पदों को भरने से सरकार को क्या चीज रोक रही है. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

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