लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाए जाने के मामले में प्रतापगढ़ जनपद में दर्ज मुकदमे में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को राहत देने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि मुकदमे को खारिज नहीं किया जा सकता है. यह निचली अदालत में चलेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने स्वामी प्रसाद मौर्य की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया है.
स्वामी प्रसाद की ओर से दाखिल याचिका में प्रतापगढ़ के कोतवाली सिटी में दर्ज एफआईआर की विवेचना के उपरांत दाखिल आरोप पत्र व निचली अदलात द्वारा संज्ञान लिए जाने सम्बंधी आदेश को चुनौती दी गई थी. मामले में एक फरवरी 2023 को अधिवक्ता संतोष कुमार मिश्रा ने कोतवाली सिटी में स्वामी प्रसाद मौर्य और रानीगंज से सपा विधायक डॉ. आरके वर्मा तथा अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी.
आरोप लगाया था कि हिंदुओं के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ की प्रतियां अभियुक्तों द्वारा जलाई गईं हैं, ऐसा कृत्य करके अभियुक्तों ने समाज में अशान्ति फैलाने का काम किया है. मांग की गई थी कि माहौल बिगाड़ने वाले नेताओं व उनके समर्थकों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए. मामले में विवेचना के बाद पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया था.
आरोप पत्र को स्वामी प्रसाद द्वारा यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इन्हीं आरोपों में उनके खिलाफ राजधानी के पीजीआई थाने में भी मुकदमा दर्ज कराया गया है. मुकदमे राजनीतिक रंजिश के कारण दर्ज कराए गए हैं. वहीं राज्य सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया गया था. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कहा कि इस स्तर पर हाईकोर्ट मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती.
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