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नई पेंशन स्कीम को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज, प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों ने दी थी चुनौती

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (High Court Lucknow Bench) ने नई पेंशन स्कीम (New Pension Scheme) को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दीं. प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों और प्राचार्यों ने नई पेंशन स्कीम को चुनौती दी थी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 13, 2023, 11:00 PM IST

Updated : Dec 14, 2023, 6:12 AM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नई पेंशन स्कीम को चुनौती देने वाली प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों और प्राचार्यों की याचिकाओं को एक साथ सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया. न्यायालय ने कहा कि याचियों ने नई पेंशन स्कीम के प्रभाव में आने के बाद नियुक्ति पाई थी और उन्होंने अपने नियुक्ति पत्र के नियमों और शर्तों को स्वीकार किया था. यह निर्णय न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने प्राथमिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों व प्राचार्यों की कुल 219 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया.

याचियों की ओर से नई पेंशन स्कीम को लागू करने वाले 28 मार्च 2005 के शासनादेश को चुनौती देते हुए कहा गया था कि नई पेंशन स्कीम में अनिश्चितताएं हैं. वहीं, प्रान (पर्मानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नम्बर) में पंजीकरण न करने वाले याची शिक्षकों का वेतन रोकने संबंधी राज्य सरकार के 16 दिसम्बर 2022 के शासनादेश के उस प्रावधान को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें एनपीएस न अपनाने वाले शिक्षकों का वेतन रोकने का प्रावधान किया गया था. हालांकि, न्यायालय ने पाया कि 27 जनवरी 2023 को संशोधित शासनादेश पारित करते हुए राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि प्रान में पंजीकरण न कराने वाले शिक्षकों का वेतन नहीं रोका जाएगा. न्यायालय ने कहा कि सरकार के 27 जनवरी के शासनादेश के बाद वेतन रोके जाने संबंधी प्रावधान को चुनौती देने की प्रार्थना भी निष्प्रयोज्य हो गई है.

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2023 में न्यायालय ने वेतन रोके जाने संबंधी प्रावधान पर हस्तक्षेप करते हुए सरकार को आदेश दिया था कि वह प्रान में पंजीकरण न कराने वाले शिक्षकों के वेतन न रोके.

यह भी पढ़ें: बीएड को सहायक शिक्षक की शैक्षिक योग्यता से बाहर करने की मांग, हाईकोर्ट ने एनसीटीई के पत्र पर निर्णय लेने का दिया आदेश

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नई पेंशन स्कीम को चुनौती देने वाली प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों और प्राचार्यों की याचिकाओं को एक साथ सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया. न्यायालय ने कहा कि याचियों ने नई पेंशन स्कीम के प्रभाव में आने के बाद नियुक्ति पाई थी और उन्होंने अपने नियुक्ति पत्र के नियमों और शर्तों को स्वीकार किया था. यह निर्णय न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने प्राथमिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों व प्राचार्यों की कुल 219 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया.

याचियों की ओर से नई पेंशन स्कीम को लागू करने वाले 28 मार्च 2005 के शासनादेश को चुनौती देते हुए कहा गया था कि नई पेंशन स्कीम में अनिश्चितताएं हैं. वहीं, प्रान (पर्मानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नम्बर) में पंजीकरण न करने वाले याची शिक्षकों का वेतन रोकने संबंधी राज्य सरकार के 16 दिसम्बर 2022 के शासनादेश के उस प्रावधान को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें एनपीएस न अपनाने वाले शिक्षकों का वेतन रोकने का प्रावधान किया गया था. हालांकि, न्यायालय ने पाया कि 27 जनवरी 2023 को संशोधित शासनादेश पारित करते हुए राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि प्रान में पंजीकरण न कराने वाले शिक्षकों का वेतन नहीं रोका जाएगा. न्यायालय ने कहा कि सरकार के 27 जनवरी के शासनादेश के बाद वेतन रोके जाने संबंधी प्रावधान को चुनौती देने की प्रार्थना भी निष्प्रयोज्य हो गई है.

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2023 में न्यायालय ने वेतन रोके जाने संबंधी प्रावधान पर हस्तक्षेप करते हुए सरकार को आदेश दिया था कि वह प्रान में पंजीकरण न कराने वाले शिक्षकों के वेतन न रोके.

यह भी पढ़ें: बीएड को सहायक शिक्षक की शैक्षिक योग्यता से बाहर करने की मांग, हाईकोर्ट ने एनसीटीई के पत्र पर निर्णय लेने का दिया आदेश

Last Updated : Dec 14, 2023, 6:12 AM IST
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