लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, दो अधिवक्ताओं को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है व उन्हें इस तथ्य की जांच करने का निर्देश दिया है कि क्या जॉपलिंग रोड स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल में टीन शेड के नीचे बच्चों की कक्षाएं चलाई जा रही हैं अथवा स्कूल परिसर में टीन शेड बनाकर मात्र निर्माण सामग्रियां रखी जा रही हैं. मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होनी है.
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया है. याचिका शहर के विभन्न स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के विषय पर दाखिल की गई है. याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी, लखनऊ की निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें नौ स्कूलों के विरुद्ध टिप्पणी करते हुए कहा गया है कि ये स्कूल मानदंडों व दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं चलाए जा रहे हैं.
याचिका का सीएमएस और राज्य सरकार के अधिवक्ताओं द्वारा विरोध किया गया. हालांकि न्यायालय ने आपत्तियों से असहमति जताई. न्यायालय ने इस बात पर भी हैरत जताई कि उसके पूर्व के आदेश के बाद सीएमएस को फायर व पीडब्ल्यूडी विभागों तथा एलडीए से फायर सेफ़्टी व स्ट्रक्चरल सेफ़्टी प्रमाण पत्रजारी कर दिए गए जबकि राज्य सरकार के अधिवक्ता इस बात का कोई जवाब नहीं दे सके कि क्या उक्त स्कूल के लिए किसी बिल्डिंग प्लान की संस्तुति मिली है. न्यायालय ने टिप्पणी भी की कि ऐसा लगता है कि इन्हीं वजहों से वर्तमान याचिका को शुरूआती चरण में ही खत्म किए जाने का प्रयास किया गया.
याचिका के साथ संलग्न फोटोग्रॉफ्स को देखते हुए न्यायालय ने कहा कि स्कूल में 350-400 बच्चे पढ़ते हैं जिसके बारे में याची के अनुसार वहां टीन शेड में कक्षाएं चलाई जा रही हैं जबकि सीएमएस के अनुसार वहां चल रहे बिल्डिंग कन्सट्रक्शन की निर्माण सामग्रियां रखने के लिए टीन शेड का इस्तेमाल होता है. न्यायालय ने कहा कि उचित होगा कि लोकल कमिशनर्स की नियुक्ति कर स्टेट्स रिपोर्ट मंगाई जाए.