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लूट के अभियुक्तों की गिरफ्तारी पर नहीं लगाई जा सकती रोक: हाईकोर्ट - lucknow news

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जनपद अयोध्या के थाना कैंट में दर्ज लूट के एक मामले में अभियुक्तों को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिका को स्वीकार किया जाना अथवा याचियों को गिरफ्तारी से राहत दिया जाना उचित नहीं होगा.

हाईकोर्ट लखनऊ बेंच
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Published : Mar 26, 2021, 9:02 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जनपद अयोध्या के थाना कैंट में दर्ज लूट के एक मामले में अभियुक्तों को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने अभियुक्तों को कोई अंतरिम राहत देने से भी इनकार कर दिया है. यह आदेश न्यायाधीश एआर मसूदी व न्यायाधीश आलोक माथुर की खंडपीठ ने संतोष निषाद व अन्य की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पारित किया.

याचिका में अभियुक्तों की ओर से उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई थी. साथ ही एफआईआर को भी खारिज किये जाने की मांग की गई थी. याचियों के अधिवक्ता मोहसिन इकबाल की दलील थी कि शिकायतकर्ता याची पक्ष की एक जमीन जबरन कब्जाना चाहता है, जिसके चलते उक्त झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है. याचिका का विरोध करते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता चन्दन श्रीवास्तव की दलील थी कि याची पक्ष ने कभी जमीन कब्जाने की शिकायत वादी के विरुद्ध नहीं दर्ज कराई है.

याचिका के साथ शिकायतों की जो प्रतियां लगाई गई हैं, वह वादी के विरुद्ध न होकर किसी अन्य मामले की हैं. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि वर्तमान मामले में याचिका को स्वीकार किया जाना अथवा याचियों को गिरफ्तारी से राहत दिया जाना उचित नहीं होगा. न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया. उल्लेखनीय है कि घटना थाना कैंट अंतर्गत 14 मार्च की है.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जनपद अयोध्या के थाना कैंट में दर्ज लूट के एक मामले में अभियुक्तों को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने अभियुक्तों को कोई अंतरिम राहत देने से भी इनकार कर दिया है. यह आदेश न्यायाधीश एआर मसूदी व न्यायाधीश आलोक माथुर की खंडपीठ ने संतोष निषाद व अन्य की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पारित किया.

याचिका में अभियुक्तों की ओर से उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई थी. साथ ही एफआईआर को भी खारिज किये जाने की मांग की गई थी. याचियों के अधिवक्ता मोहसिन इकबाल की दलील थी कि शिकायतकर्ता याची पक्ष की एक जमीन जबरन कब्जाना चाहता है, जिसके चलते उक्त झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है. याचिका का विरोध करते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता चन्दन श्रीवास्तव की दलील थी कि याची पक्ष ने कभी जमीन कब्जाने की शिकायत वादी के विरुद्ध नहीं दर्ज कराई है.

याचिका के साथ शिकायतों की जो प्रतियां लगाई गई हैं, वह वादी के विरुद्ध न होकर किसी अन्य मामले की हैं. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि वर्तमान मामले में याचिका को स्वीकार किया जाना अथवा याचियों को गिरफ्तारी से राहत दिया जाना उचित नहीं होगा. न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया. उल्लेखनीय है कि घटना थाना कैंट अंतर्गत 14 मार्च की है.

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