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लखनऊ : प्रदेश के डीजीपी को हाईकोर्ट ने जारी किया अवमानना का नोटिस - हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को अदालत के आदेश की अवमानना के लिए नोटिस जारी किया है. दरअसल रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक केश करन सिंह चौहान की ओर से अपना पक्ष रखते हुए याचिका दाखिल की गई थी, जिसको लेकर हाईकोर्ट ने इस नोटिस को जारी किया है.

हाईकोर्ट फाइल फोटो.
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Published : Apr 10, 2019, 10:37 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को अदालत के आदेश की अवमानना के लिये नोटिस जारी किया है. न्यायालय ने पूछा है कि उन्हें अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवहेलना करने के लिये क्यों न दंडित किया जाए.

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हाईकोर्ट फाइल फोटो.

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक केश करन सिंह चौहान की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया है कि याची 16 फरवरी 2018 को पुलिस उपाधीक्षक के पद से सेवानिवृत हुआ, जिसके बाद काफी प्रयास के बावजूद उसके रिटायरल ड्यूज का भुगतान नहीं किया जा रहा था, इस वजह से उसने हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2019 को पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया कि वह छह सप्ताह में याची की समस्या का निराकरण करते हुए तर्कसंगत आदेश पारित करें.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी भी की थी कि एक सेवानिवृत कर्मचारी के लिये रिटायरल ड्यूज एक मात्र आजीविका होती है. इसे सेवानिवृति के तत्काल बाद भुगतान कर दिया जाना चाहिये. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का भी जिक्र करते हुए कहा था कि कर्मचारी रिटायरल ड्यूज में देरी पर ब्याज पाने का भी अधिकारी है.

वर्तमान अवमानना याचिका में कहा गया है कि उक्त स्पष्ट आदेश के बावजूद उसके रिटायरल ड्यूज का भुगतान नहीं किया गया. न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए, पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए पूछा है कि उन्हें अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवहेलना के लिये क्यों न दंडित किया जाए.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को अदालत के आदेश की अवमानना के लिये नोटिस जारी किया है. न्यायालय ने पूछा है कि उन्हें अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवहेलना करने के लिये क्यों न दंडित किया जाए.

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हाईकोर्ट फाइल फोटो.

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक केश करन सिंह चौहान की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया है कि याची 16 फरवरी 2018 को पुलिस उपाधीक्षक के पद से सेवानिवृत हुआ, जिसके बाद काफी प्रयास के बावजूद उसके रिटायरल ड्यूज का भुगतान नहीं किया जा रहा था, इस वजह से उसने हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2019 को पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया कि वह छह सप्ताह में याची की समस्या का निराकरण करते हुए तर्कसंगत आदेश पारित करें.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी भी की थी कि एक सेवानिवृत कर्मचारी के लिये रिटायरल ड्यूज एक मात्र आजीविका होती है. इसे सेवानिवृति के तत्काल बाद भुगतान कर दिया जाना चाहिये. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का भी जिक्र करते हुए कहा था कि कर्मचारी रिटायरल ड्यूज में देरी पर ब्याज पाने का भी अधिकारी है.

वर्तमान अवमानना याचिका में कहा गया है कि उक्त स्पष्ट आदेश के बावजूद उसके रिटायरल ड्यूज का भुगतान नहीं किया गया. न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए, पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए पूछा है कि उन्हें अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवहेलना के लिये क्यों न दंडित किया जाए.

प्रदेश के डीजीपी को हाईकोर्ट ने जारी किया अवमानना का नोटिस
पूछा, क्यों न अदालत के आदेश की अवहेलना के लिये किया जाए दंडित
विधि संवाददाता
लखनऊ
। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को अदालत के आदेश की अवमानना के लिये नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने उनसे पूछा है कि क्यों न उन्हें अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवहेलना करने के लिये दंडित किया जाए।
    यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक केश करन सिंह चौहान की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया है कि याची 16 फरवरी 2018 को पुलिस उपाधीक्षक के पद से सेवानिवृत हुआ। जिसके बाद काफी प्रयास के बावजूद उसके रिटायरल ड्यूज का भुगतान नहीं किया जा रहा था। इस वजह से उसने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2019 को पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया कि वह छह सप्ताह में याची की समस्या का निराकरण करते हुए, तर्कसंगत आदेश पारित करें। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी भी की थी कि एक सेवानिवृत कर्मचारी के लिये रिटायरल ड्यूज एक मात्र आजीविका होती है। इसे सेवानिवृति के तत्काल बाद भुगतान कर दिया जाना चाहिये। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का भी जिक्र करते हुए कहा था कि कर्मचारी रिटायरल ड्यूज में देरी पर ब्याज पाने का भी अधिकारी है।
    वर्तमान अवमानना याचिका में कहा गया है कि उक्त स्पष्ट आदेश के बावजूद उसके रिटायरल ड्यूज का भुगतान नहीं किया गया। न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए, पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को नोटिस जारी करने का आदेश दिया व पूछा कि उन्हें अदालत के आदएश की जानबूझ कर अवहेलना के लिये क्यों न दंडित किया जाए।         


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Chandan Srivastava
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