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वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ जमानतीय वारंट, जानिए वजह

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश का अनुपालन न होने पर सख्त रुख अपनाया है. न्यायालय ने 14 जुलाई को वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की कोर्ट के समक्ष उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ को वारंट तामीला करवाने का आदेश दिया है.

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Published : Jul 5, 2023, 11:04 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आयुवेर्दिक व यूनानी चिकित्साधिकारियों को डायनमिक/विशिष्ट एसीपी का लाभ दिए जाने के आदेश का अनुपालन न होने पर सख्त रुख अपनाते हुए, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रशांत त्रिवेदी के खिलाफ जमानतीय वारंट जारी करने का आदेश दिया है. इसी के साथ न्यायालय ने 14 जुलाई को प्रशांत त्रिवेदी की कोर्ट के समक्ष उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ को वारंट तामीला करवाने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने डॉ. ओम प्रकाश गुप्ता की अवमानना याचिका पर पारित किया. याची का कहना है कि '6 मई 2022 को रिट कोर्ट ने उसकी याचिका पर आदेश दिया था कि एलोपैथिक चिकित्साधिकारियों की तरह आयुवेर्दिक एवं यूनानी चिकित्साधिकारियों को भी डायनमिक/विशिष्ट एस्योर्ड करियर प्रोग्रेशन का लाभ दिया जाए. उक्त आदेश में न्यायालय ने यह भी कहा था कि एलोपैथिक चिकित्साधिकारियों को 14 नवंबर 2014 के शासनादेश का लाभ दिया जा रहा है, ऐसे में आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्साधिकारियों को इसका लाभ न प्रदान करना दोनों प्रकार के चिकित्साधिकारियों के बीच विभेदकारी नीति अपनाने जैसा है.'


उक्त आदेश का अनुपालन न होने पर याची ने वर्तमान अवमानना याचिका दाखिल की, जिसमें 26 जुलाई 2022 को ही जवाब मांगा गया, हालांकि 6 मई 2022 के रिट कोर्ट के उक्त आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल कर दी. सरकार की उक्त अपील भी 15 मार्च 2023 को खारिज हो गई. बावजूद इसके 6 मई 2022 के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. इस पर 6 अप्रैल 2023 को न्यायालय ने प्रशांत त्रिवेदी को बतौर अपर मुख्य सचिव वित्त नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना की कार्यवाही की जाए. 10 मई 2023 को उनकी ओर से सरकारी वकील ने पुनः दो माह का समय देने की मांग की, जिसे न्यायालय ने अस्वीकार करते हुए, तीन सप्ताह में 6 मई 2022 के आदेश का अनुपालन शपथ पत्र दाखिल करने अथवा प्रशांत त्रिवेदी को हाजिर होने का आदेश दिया. न्यायालय के उक्त आदेश के बावजूद प्रशांत त्रिवेदी न तो हाजिर हुए और न ही अनुपालन शपथ पत्र दाखिल किया, इस पर न्यायालय ने जमानतीय वारंट जारी कर दिया है.

यह भी पढ़ें : दो IAS को मिला अतिरिक्त कार्यभार, प्रमुख सचिव के साथ चेयरमैन का भी दायित्व निभाएंगे वेंकटेश्वर लू

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आयुवेर्दिक व यूनानी चिकित्साधिकारियों को डायनमिक/विशिष्ट एसीपी का लाभ दिए जाने के आदेश का अनुपालन न होने पर सख्त रुख अपनाते हुए, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रशांत त्रिवेदी के खिलाफ जमानतीय वारंट जारी करने का आदेश दिया है. इसी के साथ न्यायालय ने 14 जुलाई को प्रशांत त्रिवेदी की कोर्ट के समक्ष उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ को वारंट तामीला करवाने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने डॉ. ओम प्रकाश गुप्ता की अवमानना याचिका पर पारित किया. याची का कहना है कि '6 मई 2022 को रिट कोर्ट ने उसकी याचिका पर आदेश दिया था कि एलोपैथिक चिकित्साधिकारियों की तरह आयुवेर्दिक एवं यूनानी चिकित्साधिकारियों को भी डायनमिक/विशिष्ट एस्योर्ड करियर प्रोग्रेशन का लाभ दिया जाए. उक्त आदेश में न्यायालय ने यह भी कहा था कि एलोपैथिक चिकित्साधिकारियों को 14 नवंबर 2014 के शासनादेश का लाभ दिया जा रहा है, ऐसे में आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्साधिकारियों को इसका लाभ न प्रदान करना दोनों प्रकार के चिकित्साधिकारियों के बीच विभेदकारी नीति अपनाने जैसा है.'


उक्त आदेश का अनुपालन न होने पर याची ने वर्तमान अवमानना याचिका दाखिल की, जिसमें 26 जुलाई 2022 को ही जवाब मांगा गया, हालांकि 6 मई 2022 के रिट कोर्ट के उक्त आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल कर दी. सरकार की उक्त अपील भी 15 मार्च 2023 को खारिज हो गई. बावजूद इसके 6 मई 2022 के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. इस पर 6 अप्रैल 2023 को न्यायालय ने प्रशांत त्रिवेदी को बतौर अपर मुख्य सचिव वित्त नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना की कार्यवाही की जाए. 10 मई 2023 को उनकी ओर से सरकारी वकील ने पुनः दो माह का समय देने की मांग की, जिसे न्यायालय ने अस्वीकार करते हुए, तीन सप्ताह में 6 मई 2022 के आदेश का अनुपालन शपथ पत्र दाखिल करने अथवा प्रशांत त्रिवेदी को हाजिर होने का आदेश दिया. न्यायालय के उक्त आदेश के बावजूद प्रशांत त्रिवेदी न तो हाजिर हुए और न ही अनुपालन शपथ पत्र दाखिल किया, इस पर न्यायालय ने जमानतीय वारंट जारी कर दिया है.

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