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हाथरस में जातीय हिंसा उकसाने के आरोपी सिद्दीक कप्पन के साथ गिरफ्तार आलम को मिली जमानत

लखनऊ हाईकोर्ट ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन के साथ गिरफ्तार किए गए आलम को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जातीय हिंसा उकसाने के लिए हाथरस जाने के प्रयास का आरोप लगा था.

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लखनऊ हाईकोर्ट
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Published : Aug 24, 2022, 9:23 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन के साथ गिरफ्तार किए गए आलम उर्फ मोहम्मद आलम सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. आलम अपनी ओला कैब से सिद्दीक कप्पन को हाथरस ले जा रहा था. लेकिन मथुरा के मांठ थाना क्षेत्र में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. न्यायालय ने कहा कि वर्तमान अभियुक्त का केस अभियुक्त सिद्दीक कप्पन के केस से अलग है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने मोहम्मद आलम की अपील पर पारित किया. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड पर जो भी तथ्य मौजूद हैं, उन्हें देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप सत्य हैं. न्यायालय ने आगे कहा कि प्रथम दृष्टया आतंकी अथवा देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता परिलक्षित नहीं होती. अपील का विरोध करते हुए, राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि अभियुक्त ने सवा दो लाख रुपये कार खरीदने के लिए किया था, साथ ही यह भी कहा गया कि वह दिल्ली दंगे के अभियुक्त दानिश का रिश्तेदार है.

पढ़ेंः अरेस्ट स्टे के बाद भी अभियुक्तों को उठाने का मामला, DCP ने हाईकोर्ट में मांगी माफी

हालांकि न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त की ओर से इन दोनों आरोपों की सफाई दी जा चुकी है कि सवा दो लाख रुपये उसने उधार लिए थे व दानिश के आपराधिक करटीऑन से उसका कोई लेना देना नहीं है.

उल्लेखनीय है कि 5 अक्टूबर 2020 को हाथरस, जहां एक दलित लड़की के साथ सामुहिक दुराचार की घटना घटित हुई थी, जाते समय सिद्दीक कप्पन के साथ आलम को भी गिरफ्तार किया गया था. उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था. कप्पन की जमानत याचिका 2 अगस्त को हाईकोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है.

पढ़ेंः पत्रकार सिद्दीक कप्पन को जमानत पर रिहा करने से हाईकोर्ट का इंकार, ये है मामला

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन के साथ गिरफ्तार किए गए आलम उर्फ मोहम्मद आलम सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. आलम अपनी ओला कैब से सिद्दीक कप्पन को हाथरस ले जा रहा था. लेकिन मथुरा के मांठ थाना क्षेत्र में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. न्यायालय ने कहा कि वर्तमान अभियुक्त का केस अभियुक्त सिद्दीक कप्पन के केस से अलग है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने मोहम्मद आलम की अपील पर पारित किया. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड पर जो भी तथ्य मौजूद हैं, उन्हें देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप सत्य हैं. न्यायालय ने आगे कहा कि प्रथम दृष्टया आतंकी अथवा देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता परिलक्षित नहीं होती. अपील का विरोध करते हुए, राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि अभियुक्त ने सवा दो लाख रुपये कार खरीदने के लिए किया था, साथ ही यह भी कहा गया कि वह दिल्ली दंगे के अभियुक्त दानिश का रिश्तेदार है.

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हालांकि न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त की ओर से इन दोनों आरोपों की सफाई दी जा चुकी है कि सवा दो लाख रुपये उसने उधार लिए थे व दानिश के आपराधिक करटीऑन से उसका कोई लेना देना नहीं है.

उल्लेखनीय है कि 5 अक्टूबर 2020 को हाथरस, जहां एक दलित लड़की के साथ सामुहिक दुराचार की घटना घटित हुई थी, जाते समय सिद्दीक कप्पन के साथ आलम को भी गिरफ्तार किया गया था. उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था. कप्पन की जमानत याचिका 2 अगस्त को हाईकोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है.

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