लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि डीजीपी पद के लिए संघ लोक सेवा आयोग को आईपीएस अधिकारियों की सूची भेजी गई है, जिसमें डीजी (नागरिक सुरक्षा) जवाहर लाल त्रिपाठी का भी नाम है. महाधिवक्ता के जवाब के बाद न्यायालय ने डीजी की ओर से दाखिल याचिका को बलहीन पाते हुए खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने डीजी की याचिका की खारिज
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने यह आदेश जवाहर लाल त्रिपाठी की याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया कि वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारियों में तीसरे स्थान पर होने के बावजूद याची का नाम डीजीपी पद के लिए नहीं भेजा गया है, जबकि उनकी आठ महीने की सर्विस अभी शेष है.
याची की ओर से इसे प्रकाश सिंह मामले में सर्वोच्च न्यायलाय द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताया गया था. याचिका में राज्य सरकार को तत्काल उनका नाम भेजने का आदेश देने की मांग की गई थी.
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने याची का नाम भेजे जाने की जानकारी दी. महाधिवक्ता ने कहा कि अखबार की खबर के आधार पर यह याचिका दाखिल की गई है. डीजी जैसे वरिष्ठ पद पर बैठे अधिकारी को मात्र अखबार की खबर के आधार पर याचिका नहीं दाखिल करनी चाहिए.
इस पर याची की ओर से प्रतिवाद करते हुए कहा गया कि याची का नाम याचिका दाखिल करने के बाद भेजा गया है. मांग की गई कि सरकार स्पष्ट बताए कि याची का नाम कोर्ट में याचिका दाखिल करने से पहले दिया गया है कि बाद में दिया गया. हालांकि न्यायालय ने कहा कि चूंकि याची का नाम सरकार ने भेज दिया है, लिहाजा याचिका बलहीन हो चुकी है.
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