ETV Bharat / state

46 सालों से जेल में बंद कैदी की रिहाई के लिए हाईकोर्ट ने UP सरकार को दिया आदेश

सीतापुर में हुई एक हत्या के मामले में 46 साल से जेल में निरुद्ध बंदी की रिहाई पर विचार करने के लिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेशित किया है.

लखनऊ हाईकोर्ट
लखनऊ हाईकोर्ट
author img

By

Published : Sep 1, 2022, 8:28 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीतापुर जनपद के हत्या के एक मामले में 46 सालों से जेल में बंद 81 वर्षीय केशव प्रसाद की रिहाई पर 6 सप्ताह में निर्णय लेने का राज्य सरकार को आदेश दिया है. इस मामले में अभिलेखों के न मिलने के कारण बंदी की रिहाई पर अब तक विचार नहीं हो पाया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की खंडपीठ ने बरेली जेल में निरुद्ध केशव प्रसाद की याचिका पर सुनवाई के दिया है.

उल्लेखनीय है कि सीतापुर के थाना कोतवाली क्षेत्र में वर्ष 1974 में हुए हत्या के एक मामले में 18 दिसंबर 1976 को याची को सत्र अदालत ने दोष करार दिया था. उस दौरान सीतापुर सत्र अदालत ने यात्री को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सत्र अदालत के इस निर्णय को याची ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी. लेकिन 2 सितम्बर 1988 को याची की यह अपील भी खारिज हो गई. याची के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष दावा किया कि दोष सिद्धि की तिथि से ही याची जेल में है.

मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद यह तथ्य सामने आया कि 22 जनवरी 2001 को याची को सीतापुर जेल से बरेली जेल स्थानांतरित कर दिया गया था. बरेली जेल प्रशासन का कहना है कि वर्षों पहले जेल में हुए एक अग्निकांड में तमाम अभिलेख नष्ट हुए थे, इसी घटना में याची के भी अभिलेख नष्ट हो गए. उधर हाईकोर्ट में भी याची से संबंधित पत्रवालियों का कोई पता नहीं चल सका. याची की ओर से यह तथ्य भी बताया गया कि कुछ समय पूर्व उसकी रिहाई के लिए भेजा गया आवेदन भी कारागार मुख्यालय सत्र न्यायालय के निर्णय की प्रति के आभाव में वापस भेजा जा चुका है.

इसे पढ़ें- आगरा में वकीलों ने किया पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन, छह के खिलाफ मुकदमा

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीतापुर जनपद के हत्या के एक मामले में 46 सालों से जेल में बंद 81 वर्षीय केशव प्रसाद की रिहाई पर 6 सप्ताह में निर्णय लेने का राज्य सरकार को आदेश दिया है. इस मामले में अभिलेखों के न मिलने के कारण बंदी की रिहाई पर अब तक विचार नहीं हो पाया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की खंडपीठ ने बरेली जेल में निरुद्ध केशव प्रसाद की याचिका पर सुनवाई के दिया है.

उल्लेखनीय है कि सीतापुर के थाना कोतवाली क्षेत्र में वर्ष 1974 में हुए हत्या के एक मामले में 18 दिसंबर 1976 को याची को सत्र अदालत ने दोष करार दिया था. उस दौरान सीतापुर सत्र अदालत ने यात्री को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सत्र अदालत के इस निर्णय को याची ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी. लेकिन 2 सितम्बर 1988 को याची की यह अपील भी खारिज हो गई. याची के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष दावा किया कि दोष सिद्धि की तिथि से ही याची जेल में है.

मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद यह तथ्य सामने आया कि 22 जनवरी 2001 को याची को सीतापुर जेल से बरेली जेल स्थानांतरित कर दिया गया था. बरेली जेल प्रशासन का कहना है कि वर्षों पहले जेल में हुए एक अग्निकांड में तमाम अभिलेख नष्ट हुए थे, इसी घटना में याची के भी अभिलेख नष्ट हो गए. उधर हाईकोर्ट में भी याची से संबंधित पत्रवालियों का कोई पता नहीं चल सका. याची की ओर से यह तथ्य भी बताया गया कि कुछ समय पूर्व उसकी रिहाई के लिए भेजा गया आवेदन भी कारागार मुख्यालय सत्र न्यायालय के निर्णय की प्रति के आभाव में वापस भेजा जा चुका है.

इसे पढ़ें- आगरा में वकीलों ने किया पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन, छह के खिलाफ मुकदमा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.