लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिजली चोरी पकड़ने गए कर्मचारियों के साथ मारपीट कर घायल करने के मामले में अभियुक्त को राहत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि पॉवर कॉर्पोरेशन के कर्मचारी अभियुक्त के हमले में घायल हुए थे. लिहाजा उसे अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती. यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने अभियुक्त अलीम की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया.
राज्य सरकार व पॉवर कार्पोरेशन के अधिवक्ता अमित कुमार द्विवेदी ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि मामले की एफआईआर 31 मई को थाना मड़ियांव में उपखंड अधिकारी मनोज पुष्कर की ओर से दर्ज कराई गई थी. जिसमें कहा गया था कि वादी अवर अभियंता अंकुश मिश्रा विभाग के अन्य कर्मचारियों के साथ आईआईएम रोड स्थित ग्राम डिगुरिया में बिजली चोरी की जांच करने गए थे. इस दौरान वहां 2 परिसरों में संदिग्ध मीटर पाए गए. इस वजह से वहां की बिजली काटकर मीटर को कब्जे में लिया जा रहा था. इसी दौरान गांव के मो. शोएब, शहाबुद्दीन, सरफुद्दीन और अलीम समेत तमाम लोगों ने बिजली विभाग की टीम पर हमला बोला दिया. इसके साथ ही अवर अभियंता अंकुश मिश्रा पर हमलावरों ने धारदार हथियार से हमला बोल दिया. जिससे वह बेसुध होकर जमीन पर गिर गए.
वहां उनके साथ के कर्मचारियों ने किसी तरह बचकर अंकुश मिश्रा को ब्राइट अस्पताल में भर्ती कराया. यहां एक एक कर्मचारी के गले से सोने की चेन भी अभियुक्तों ने छीन ली थी. जबकि याची की ओर से दलील दी गई उसे इस मामले में झूंठा फंसाया गया है. जबकि घटना के समय वह गांव में मौजूद ही नहीं था. मामले में न्यायालय ने याची की दलील को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी को क्रूरता से मारा-पीटा गया था. लिहाजा याची को कोई राहत नहीं दी जा सकती है.
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