लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को सुनाए गए अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि लोकसभा चुनावों में प्रत्याशियों का नामांकन पत्र खारिज होने के विरुद्ध रिट याचिका हाईकोर्ट के समक्ष पोषणीय नहीं है. न्यायालय ने कहा कि इस संबंध में हाईकोर्ट के बजाय ट्रिब्युनल के समक्ष निर्वाचन याचिका दाखिल की जा सकती है.
यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ डीके अरोड़ा और न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने डॉ. लाल बहादुर की याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया था कि याची ने 55-अंबेडकरनगर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तीन सेट में नामांकन दाखिल किया था, लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर ने कॉलम 26 और कुछ अन्य कॉलम खाली छूट जाने की बात कहते हुए आपत्ति जताई थी.
याची की दलील थी कि उसे उक्त कमियां दूर करने के लिए कोई दिन और तारीख नहीं दी गई. आगे कहा गया कि उसे सुनवाई का कोई मौका दिए बगैर ही उसका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया. याची ने उसका नामांकन पत्र स्वीकार किए जाने के लिए निर्देश देने की मांग की.
न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को उद्धत करते हुए कहा कि ऐसे मामले में हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका पोषणीय नहीं है. याची इस संबंध में ट्रिब्युनल के समक्ष निर्वाचन याचिका दाखिल कर सकता है. न्यायालय ने उक्त टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया. महत्वपूर्ण निर्णय में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में रिट याचिका पोषणीय नहीं.