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लखनऊ: बिना आईएसआई मार्क के बिक रहे हेलमेट, कैसे बचेगी लोगों का जान

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बिना आईएसआई मार्क के धड़ल्ले से बाजारों में हेलमेट बिक रहा है. लखनऊ पुलिस इस पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही है.

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बिना आईएसआई मार्क के बिक रहा हेलमेट.
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Published : Aug 3, 2020, 12:37 AM IST

लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए रोजाना सैकड़ों चालान काटे जाते हैं. सबसे ज्यादा चलाना बाइक सवार को हेलमेट न लगाने को लेकर किया जाता है. राजधानी की पुलिस हेलमेट न लगाने को लेकर रोजाना भले की सैकड़ों चालान कर रही हो, लेकिन हेलमेट की क्वालिटी को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन कराने में नाकाम साबित हो रही है. बाजारों में और सड़क किनारे हेलमेट विक्रेता धड़ल्ले से बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेच रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल की, तो मामले का खुलासा हुआ.

बिना आईएसआई मार्क के धड़ल्ले से बिक रहा हेलमेट.

मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन 129 के तहत ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बी आईएस) से अप्रूव हेलमेट का ही प्रयोग बाइक चलाते समय किया जाना चाहिए. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के तहत बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेचना कानूनी अपराध है. इसके बावजूद भी राजधानी लखनऊ की विभिन्न दुकानों और सड़कों के किनारे हेलमेट विक्रेता धड़ल्ले से बिना आईएसआई मार्क के इसकी बिक्री कर रहे हैं.

नहीं की जाती है कार्रवाई
हेलमेट पहनने के बाद भी हर वर्ष सड़क हादसे में सिर में चोट लगने के कारण हजारों लोगों की मौत हो जाती है. जानकारों की मानें तो इसका कारण बाइक चलाते समय लो क्वालिटी का हेलमेट लगाना है. ट्रैफिक पुलिस की ओर से हेलमेट न पहनने पर बाइक सवारों का चलाना काटा जाता है, लेकिन हेलमेट के क्वालिटी की जांच नहीं की जाती है. साथ ही ऐसे दुकानदारों पर कोई कार्रवाई भी नहीं की जाती है, जो बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेच रहे हैं. यही कारण है कि राजधानी लखनऊ में धड़ल्ले से बिना आईएसआई के हेलमेट की बिक्री हो रही है.

100 रुपये में बिकता है बिना आईएसआई मार्क का हेलमेट
पड़ताल में सामने आया कि चालान से बचने के लिए लोग बड़ी संख्या में बेहद कम कीमतों में बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट का प्रयोग करते हैं. विक्रेताओं के अनुसार आईएसआई मार्क का हेलमेट 400 रुपये से लेकर 4000 हजार रुपये तक मिलता है. वहीं बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट की कीमत बाजार में 100 रुपये से लेकर 300 रुपये तक है.

वहीं जब इस संबंध में पूर्व डीजीपी एके जैने से बात की गई, तो पुलिस का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी जनसंख्या में पुलिसकर्मियों के लिए हेलमेट की क्वालिटी की जांच करना थोड़ा कठिन है. अगर पुलिस ऐसा करती है, तो अन्य दस्तावेजों की जांच प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि सड़क हादसे को रोकने के लिए पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है और मौत की संख्या में भी गिरावट आई है. पूर्व डीजीपी ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव के बाद ट्रैफिक नियमों को लेकर शक्ति बढ़ी है.

हेलमेट न लगाने से 70 फीसदी हादसों में होती है मौत
वहीं एडीसीपी ट्रैफिक सुरेश रावत ने कहा कि सड़क हादसे में 70 फीसदी मौत हेलमेट न लगाने की वजह से होती हैं. उन्होंने बताया कि हेलमेट न लगाने वाले बाइक सवारों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है. राजधानी लखनऊ में हर माह 12 हजार लोगों का चलाना काटा जाता है. सुरेश रावत ने कहा कि आईएसआई मार्क के हेलमेट का प्रयोग करने के लिए लोगों को लगातार जागरूक भी किया जा रहा है.

लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए रोजाना सैकड़ों चालान काटे जाते हैं. सबसे ज्यादा चलाना बाइक सवार को हेलमेट न लगाने को लेकर किया जाता है. राजधानी की पुलिस हेलमेट न लगाने को लेकर रोजाना भले की सैकड़ों चालान कर रही हो, लेकिन हेलमेट की क्वालिटी को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन कराने में नाकाम साबित हो रही है. बाजारों में और सड़क किनारे हेलमेट विक्रेता धड़ल्ले से बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेच रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल की, तो मामले का खुलासा हुआ.

बिना आईएसआई मार्क के धड़ल्ले से बिक रहा हेलमेट.

मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन 129 के तहत ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बी आईएस) से अप्रूव हेलमेट का ही प्रयोग बाइक चलाते समय किया जाना चाहिए. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के तहत बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेचना कानूनी अपराध है. इसके बावजूद भी राजधानी लखनऊ की विभिन्न दुकानों और सड़कों के किनारे हेलमेट विक्रेता धड़ल्ले से बिना आईएसआई मार्क के इसकी बिक्री कर रहे हैं.

नहीं की जाती है कार्रवाई
हेलमेट पहनने के बाद भी हर वर्ष सड़क हादसे में सिर में चोट लगने के कारण हजारों लोगों की मौत हो जाती है. जानकारों की मानें तो इसका कारण बाइक चलाते समय लो क्वालिटी का हेलमेट लगाना है. ट्रैफिक पुलिस की ओर से हेलमेट न पहनने पर बाइक सवारों का चलाना काटा जाता है, लेकिन हेलमेट के क्वालिटी की जांच नहीं की जाती है. साथ ही ऐसे दुकानदारों पर कोई कार्रवाई भी नहीं की जाती है, जो बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेच रहे हैं. यही कारण है कि राजधानी लखनऊ में धड़ल्ले से बिना आईएसआई के हेलमेट की बिक्री हो रही है.

100 रुपये में बिकता है बिना आईएसआई मार्क का हेलमेट
पड़ताल में सामने आया कि चालान से बचने के लिए लोग बड़ी संख्या में बेहद कम कीमतों में बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट का प्रयोग करते हैं. विक्रेताओं के अनुसार आईएसआई मार्क का हेलमेट 400 रुपये से लेकर 4000 हजार रुपये तक मिलता है. वहीं बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट की कीमत बाजार में 100 रुपये से लेकर 300 रुपये तक है.

वहीं जब इस संबंध में पूर्व डीजीपी एके जैने से बात की गई, तो पुलिस का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी जनसंख्या में पुलिसकर्मियों के लिए हेलमेट की क्वालिटी की जांच करना थोड़ा कठिन है. अगर पुलिस ऐसा करती है, तो अन्य दस्तावेजों की जांच प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि सड़क हादसे को रोकने के लिए पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है और मौत की संख्या में भी गिरावट आई है. पूर्व डीजीपी ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव के बाद ट्रैफिक नियमों को लेकर शक्ति बढ़ी है.

हेलमेट न लगाने से 70 फीसदी हादसों में होती है मौत
वहीं एडीसीपी ट्रैफिक सुरेश रावत ने कहा कि सड़क हादसे में 70 फीसदी मौत हेलमेट न लगाने की वजह से होती हैं. उन्होंने बताया कि हेलमेट न लगाने वाले बाइक सवारों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है. राजधानी लखनऊ में हर माह 12 हजार लोगों का चलाना काटा जाता है. सुरेश रावत ने कहा कि आईएसआई मार्क के हेलमेट का प्रयोग करने के लिए लोगों को लगातार जागरूक भी किया जा रहा है.

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