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बाल-गृहों में घरेलू दरों से बिजली दी जाए या नहीं- हाईकोर्ट करेगा विचार - बाल गृहों को घरेलू दरों पर बिजली

होईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि अगली सुनवाई में तय किया जाएगा कि बाल-गृहों को घरेलू दरों पर बिजली दी जानी चाहिए या अभी जिन दरों पर बिल वसूला जा रहा है, उसे जारी रहने दिया जाए.

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होईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Sep 30, 2022, 10:52 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बाल-गृहों के बच्चों के हितों से सम्बंधित एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि वह अगली तारीख पर इस विषय पर विचार करेगी कि बाल-गृहों को घरेलू दरों पर बिजली दी जानी चाहिए या अभी जिन दरों पर बिल वसूला जा रहा है, उसे जारी रहने दिया जाए. न्यायालय ने इस विषय पर विचार के लिए अगली सुनवाई पर अपर महाधिवक्ता एमएम पाण्डेय समेत पॉवर कॉर्पोरेशन और विद्युत नियामक आयोग के अधिवक्ताओं को उपस्थित रहने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने अनूप गुप्ता शीर्षक से दर्ज एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. न्यायालय ने इस मामले में पूर्व में भी टिप्पणी की थी कि जैसे हम अपने घरों में रहते हैं, वैसे ही किशोरों के लिए ये बाल-गृह उनके घर हैं. न्यायालय ने कहा था कि इस आधार पर यही तर्कसंगत है कि उन पर भी घरेलू दर ही लागू किया जाए. न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि सरकार में उच्च स्तर पर इस विषय को रखा जाए व उम्मीद जताई थी कि बाल-गृहों को बिजली बकाए के सम्बंध में भी उन्हें यथोचित राहत दी जाएगी.

कोर्ट यह टिप्पणी भी कर चुकी है कि ये बाल-गृह सरकार और समाज का भार साझा कर रहे हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार के उस जवाब को पूरी तरह खारिज कर चुकी है, जिसमें कहा गया था कि बाल-गृहों को बिजली बिल के टैरिफ में पहले से राहत देते हुए, उन पर घरेलू दर ही लागू किया जाता है.

यह भी पढ़ें- किस्त भरने के लिए किया जा रहा था तंग, कर्ज में डूबे किसान ने की आत्महत्या

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बाल-गृहों के बच्चों के हितों से सम्बंधित एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि वह अगली तारीख पर इस विषय पर विचार करेगी कि बाल-गृहों को घरेलू दरों पर बिजली दी जानी चाहिए या अभी जिन दरों पर बिल वसूला जा रहा है, उसे जारी रहने दिया जाए. न्यायालय ने इस विषय पर विचार के लिए अगली सुनवाई पर अपर महाधिवक्ता एमएम पाण्डेय समेत पॉवर कॉर्पोरेशन और विद्युत नियामक आयोग के अधिवक्ताओं को उपस्थित रहने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने अनूप गुप्ता शीर्षक से दर्ज एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. न्यायालय ने इस मामले में पूर्व में भी टिप्पणी की थी कि जैसे हम अपने घरों में रहते हैं, वैसे ही किशोरों के लिए ये बाल-गृह उनके घर हैं. न्यायालय ने कहा था कि इस आधार पर यही तर्कसंगत है कि उन पर भी घरेलू दर ही लागू किया जाए. न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि सरकार में उच्च स्तर पर इस विषय को रखा जाए व उम्मीद जताई थी कि बाल-गृहों को बिजली बकाए के सम्बंध में भी उन्हें यथोचित राहत दी जाएगी.

कोर्ट यह टिप्पणी भी कर चुकी है कि ये बाल-गृह सरकार और समाज का भार साझा कर रहे हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार के उस जवाब को पूरी तरह खारिज कर चुकी है, जिसमें कहा गया था कि बाल-गृहों को बिजली बिल के टैरिफ में पहले से राहत देते हुए, उन पर घरेलू दर ही लागू किया जाता है.

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