लखनऊ: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मेरिट ऑर्डर डिस्पैच और बिजली खरीद नियमावली पर सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह और सदस्य केके शर्मा व वीके श्रीवास्तव भी इस कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हुए. प्रदेश की उत्पादन निगम के वरिष्ठ अभियंताओं सहित प्रदेश के दोनों बड़े निजी उत्पादन इकाइयों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
नियामक आयोग करे गंभीरता से विचार
प्रदेश के उपभोक्ताओं की तरफ से राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस नियमावली को अंतिम रूप देने से पहले नियामक आयोग को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना पड़ेगा. नियमों के बदलाव की वजह से कहीं निजी घरानों को लाभ न मिल जाए.
उन्होंने कहा कि पूर्व में आयोग द्वारा जारी प्राविधानित नियम के तहत अभी तक राज्य सेक्टर में लगे उत्पादन निगम द्वारा फिक्स्ड कॉस्ट में डिस्काउंट देने की वजह से वैरिएबल लागत में छूट पास होने से बिजली सस्ती मिलती थी. अगर यह नियम बदला गया तो प्रदेश के उपभोक्ताओं पर बड़ा भार पड़ेगा और उत्पादन निगम बर्बाद होंगे.
सस्ती बिजली खरीद में न आए अड़चन
उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाया कि आंशिक लोड पर मशीन चलने पर कम्पनसेशन सीआरसी नियम के बाद भी प्रदेश में नहीं है, क्योंकि इससे बिजली दर कम रहती है. अब उसे कोरोना काल में लागू करना ठीक नहीं है. शेड्यूल व रिजर्व शटडाउन के मामले में कोई बदलाव करने के पहले आयोग यह जरूर देख ले कि कहीं इससे सस्ती बिजली खरीद में कोई अड़चन न आए.
रेगुलेशन बनने से प्रदेश के उपभोक्ताओं को अधिक से अधिक लाभ मिले. इस पर आयोग को विचार करना चाहिए. प्रदेश के उत्पादन क्षेत्र में दोनों निजी घराने रिलायंस व बजाज ललितपुर के प्रतिनिधियों ने अपने पक्ष में नियम बनाए जाने के बिन्दुओं पर अपनी बात रखी. आयोग के चेयरमैन ने कहा कि सभी पक्षों की बात सुन ली गई है. आयोग गंभीरता से विचार कर नियम को अंतिम रूप देगा.