लखनऊ: राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में सम्बद्ध 9 कर्मियों को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा कार्यमुक्त करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. शनिवार को इसके विरोध में कर्मचारियों ने धरना दिया. इस दौरान प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार, सचिव सौरभ बाबू के हस्तक्षेप के बाद लोहिया संस्थान के निदेशक ने कर्मचारी नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया था.
मामले के निस्तारण का आश्वासन
निदेशक ने कर्मचारी नेताओं से कहा कि राजभवन में एक अनिवार्य बैठक होने के कारण सोमवार को मामले का निस्तारण कर दिया जाएगा. इस सम्बंध में शासन को पत्र भी प्रेषित कर दिया गया है.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा के नेतृत्व में हुई वार्ता के दौरान प्रतिनिधिमंडल में परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव, लोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के अध्यक्ष डीडी त्रिपाठी, उपाध्यक्ष अनिल कुमार, राजेश श्रीवास्तव मंत्री, डी एस पाण्डेय ,राजेश शुक्ला, एक्सरे टेक्नीशियन संघ के अध्यक्ष आर के पी सिंह, अनिल प्रताप सिंह सम्मिलित थे.
जरूरत पड़ी तो बंद करेंगे संस्थान
लोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि निदेशक ने मांगे नहीं मानी तो जरूरत पड़ने पर संस्थान को बंद किया जा सकता है. महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि निदेशक डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ द्वारा डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में विलय से पहले कार्यरत कर्मचारियों जिनकी प्रतिनियुक्ति पर तैनाती नहीं हो पाई थी, संस्थान की गलती के कारण उनके पे बैंड या तो गलत हो गए थे या उनकी शैक्षिक योग्यता गलत बताई गई थी. इसलिए वह प्रतिनियुक्ति पर तैनात नहीं हो पाए थे. उनको शासन द्वारा संबद्ध कर दिया गया था.
प्रतिनियुक्ति का दिया गया था आश्वासन
इस संबंध में 4 अक्टूबर 2019 को रजनीश दुबे प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा के कक्ष में प्रशान्त त्रिवेदी प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, डॉ पदमाकर सिंह, महानिदेशक स्वास्थ्य, डॉ केके गुप्ता महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा, डॉ. एके त्रिपाठी निदेशक राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान,डॉ. डीएस नेगी निदेशक राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय, राष्ट्रीय अध्यक्ष इप्सेफ श्री वीपी मिश्रा , अतुल मिश्रा महामंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और लोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ समझौता हुआ था कि बचे हुए कर्मचारियों को अतिशीघ्र जो कमियां हैं उनको दूर कराकर प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने के निर्देश निदेशक डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान को दिया था, जिसका अनुपालन भी किया गया.
सीएमएस पर द्वेष भावना रखने का आरोप
पदाधिकारियों ने कहा कि सीएमएस प्रतिनियुक्ति और सम्बद्ध कर्मचारियों के साथ द्वेष की भावना रखते हैं. उन्होंने निदेशक को भ्रमित कर आदेश पारित कर लिया है, जिससे कर्मचारियों को आंदोलन करने पर विवश किया जा रहा है.
शासन के निर्णय का नहीं हुआ इंतजार
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि शासन के निर्णय का इंतजार किए बिना किसी आदेश के तानाशाही रवैया को अपनाते हुए महानिदेशक स्वास्थ्य के आदेश का उल्लेख करते हुए कार्य मुक्त कर दिया गया. जिस आदेश का उल्लेख किया है वह आदेश सूचना से संबंधित था, जो कर्मचारियों की संख्या को लेकर था. बाध्य होकर निदेशक तथा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान कार्यालय के समक्ष धरना और घेराव करने का निर्णय लिया गया था.