लखनऊ: कोरोना संक्रमण ने देश और विश्व की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. पूरे विश्व के सामने कोरोनावायरस चुनौती बना हुआ है. हालांकि, काफी हद तक कोरोनावायरस पर लगाम लगाने में उत्तर प्रदेश सरकार कामयाब रही है. उत्तर प्रदेश में वैक्सीनेशन का कार्य किया जा रहा है. भले ही कोरोनावायरस ने उत्तर प्रदेश के लोगों का बड़ा नुकसान किया, लेकिन इस संक्रमण के दौरान उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं में उत्साह जनक सुधार हुआ है.
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किया गया है. डीजी हेल्थ देवेंद्र सिंह नेगी के अनुसार, कोरोना संक्रमण से पहले उत्तर प्रदेश में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, संक्रमण से बचाव के उपकरण की भारी मात्रा में कमी थी, लेकिन संक्रमण के शुरुआती दौर से ही उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग को लेकर युद्ध गति से काम हुआ. इसी का फल था कि उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को बड़े पैमाने पर संसाधन और उपकरण प्राप्त हुए हैं. यह उपकरण भविष्य में उत्तर प्रदेश की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में कारगर साबित होंगे. जिस तरह से पूरे उत्तर प्रदेश में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सीय उपकरणों जैसी आधारभूत सुविधाओं में इजाफा हुआ है यह सराहनीय है.
बढ़ाई गई वेंटिलेटर की सुविधा
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण काल में उत्तर प्रदेश में वेंटिलेटर की संख्या लगभग दोगुनी बढ़ाई गई है. यह अपने आप में उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा इजाफा है. लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में वेंटिलेटर की संख्या कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान दोगुने से अधिक बढ़ाई गई है. केजीएमयू के प्रवक्ता सुधीर सिंह के अनुसार, कोरोनावायरस से पहले केजीएमयू में 225 वेंटीलेटर मौजूद थे, वहीं संक्रमण फैलने के बाद केजीएमयू में 250 वेंटिलेटर बढ़ाए गए हैं. वर्तमान में केजीएमयू में 475 वेंटिलेटर मौजूद हैं.
पैथोलॉजी लैब की संख्याओं में की गई बढ़ोतरी
उत्तर प्रदेश में माइक्रोबायोलॉजी और पैथोलॉजी लैब के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर संसाधन जुटाए गए. माइक्रोबायोलॉजी और पैथोलॉजी लैब की संख्या उत्तर प्रदेश में काफी कम थी. केजीएमयू व पीजीआई जैसे बड़े संस्थानों में ही माइक्रोबायोलॉजी और पैथोलॉजी लैब की सुविधा उपलब्ध थी. जहां पर आईटीपीसीआर जैसी जांच की जा सकती थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के दौरान उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर माइक्रोबायोलॉजी और पैथोलॉजी लैब की संख्या में इजाफा किया गया है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश में दस लाख जांच करने से भी अधिक की कैपेसिटी है.
ऑक्सीजन उपलब्धता को बढ़ाया गया
ऑक्सीजन की उपलब्धता और उसकी आपूर्ति के लिए भी कोरोना संक्रमण के दौरान बड़े पैमाने पर काम किया गया है. उत्तर प्रदेश के कई बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण किया गया है. कोरोना संक्रमण के दौरान राजधानी लखनऊ स्थित राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में ऑक्सीजन प्लांट का शुभारंभ किया गया, वहीं राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ऑक्सीजन की सुविधा वाले 500 बेड बढ़ाए गए हैं.
वायरस स्ट्रेन की जांच के लिए तैयार हुई लैब
कोरोना संक्रमण के दौरान वायरस के वेरिएंट की जांच करने के लिए लैब का निर्माण भी किया गया है. उत्तर प्रदेश में वायरस के वेरिएंट की जांच करने की कोई भी लैब मौजूद नहीं थी. कोरोना संक्रमण के नए वेरिएंट के सामने आने के बाद राजधानी लखनऊ के पीजीआई और केजीएमयू में वेरिएंट की जांच के लिए पैथोलॉजी का निर्माण किया गया है.