लखनऊ: देश की राजधानी दिल्ली में 2012 में गैंगरेप पीड़िता निर्भया की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. लेकिन 7 साल बाद एक बार फिर से दिल्ली गैंगरेप पीड़िता निर्भया का नाम चर्चा में है. दरअसल निर्भया के गांव मेड़वारकला में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर के ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं.
साल 2012 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार द्वारा निर्भया के परिवार से बातचीत में सरकार ने यह आश्वासन देकर बलिया के गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने के लिए कहा था. इसके बाद यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुल तो गया, लेकिन यहां पर कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं रहता.
ये भी पढ़ें- गजब हैं सीएमओ साहब, गांव वालों से कह रहे हैं कि स्वास्थ्य केंद्र के लिए डॉक्टर पैदा करिए
इसी बदहाल व्यवस्था को लेकर निर्भया के गांव में ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे थे. इसके बाद मौके पर पहुंचे सीएमओ ने भी उनसे अमर्यादित भाषा में बातचीत की. मामले ने तूल पकड़ लिया औा इसका वीडियो भी वायरल होने लगा.
बीते 7 सालों में अभी तक इस स्वास्थ्य केंद्र पर कोई भी परमानेंट डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई थी. इसकी वजह से यहां पर स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा सेवाओं के दावे फर्जी साबित हो रहे हैं. जिस पर रही सही कसर मुख्य चिकित्सा अधिकारी बलिया ने अपने बयानबाजी और अमर्यादित भाषा का प्रयोग करके पूरी कर दी.
ये भी पढ़ें- लखनऊ कचहरी ब्लास्ट के बाद हरकत में आई आजमगढ़ पुलिस, कोर्ट परिसर में चलाया चेकिंग अभियान
धरना प्रदर्शन पर बैठे ग्रामीणों को शांत कराने पहुंचे मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए उल्टा ग्रामीणों को ही खरी-खोटी सुनाई. इसका वीडियो भी वायरल हुआ. अब इस पूरे मामले पर स्वास्थ्य विभाग होश में आया है.
इस पूरे मामले पर स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह का कहना है कि जल्द ही चिकित्सकों की नियुक्ति की जाएगी.